अंतर्राष्ट्रीय
06-Jun-2023
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लंदन (ईएमएस)। मछ‎लियों के अत्यधिक ‎शिकार करने से उनके ‎विकासक्रम में बड़ा बदलाव आया है। दरअसल मानव गतिविधियों के मछलियों के विकास पर प्रभाव पर हुए अध्ययन में पाया गया है कि मछलियों का विकास लाखों करोड़ों सालों में नहीं बल्कि दशकों में भी हो सकता है। अंटलांटिक कॉडफिश के जेनेटिक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है किस तरह इंसानों के मछली का ज्यादा शिकार करने का मछलियों के विकास पर असर हुआ है। हालां‎कि मछलियों के विकास की कहानी कुछ अलग है। नए अध्ययन ने खुलासा किया है कि जितना समझा जाता रहा है, उनके विकास में मानव गतिविधियों ने उससे ज्यादा आकार देने का काम किया है। उनके विकास क्रम के गति की इस क्षमता का पता तब सामने आया जब बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध में मानवों द्वारा मछलियों का बहुत ही ज्यादा शिकार किया गया। नए अध्ययन की पड़ताल से साबित हुआ है कि मछलियों में विकासक्रम के बदालव जिनके बारे में माना जाता था कि लाखों करोड़ों साल लगते हैं उसमें कुछ ही दशकों का समय लग सकता है। एक अध्ययन में अटलांटिक कॉड मछली के बहुत ही तेज गति से होने वाले विकास के पहले जीनोम वाले प्रमाण साझा किए गए है। शोध के वरिष्ठ लेखक और रटगर्स स्कूल ऑफ एन्वायर्नमेंटल एंड बायोलॉजिकल साइंसेस में इकोलॉजी, इवोल्यूशन एंड नेचुरल रिसोर्सेस विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर मालिन पिनस्की का मानना है कि उनकी खोज बहुत बड़ी और नई है। इस अध्ययन में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर शोधकर्ताओं ने एक सदी से भी पहले पकड़ी गई कोडफिश के जेनेटिक कोड का अध्ययन किया और उसमें आए बदलाव के आधार पर यह खुलासा किया। पिनस्की का कहना है कि नई तकनीकों ने इस रहस्य को उजागर करने में बड़ी भूमिका निभाई। 20वी सदी के अंत बहुत ज्यादा शिकार की जा चुकीं कॉडफिश ने अस्तित्व बचाने का तरीका निकाल लिया था। वे युवा अवस्था में ही परिपक्व होने लगीं, उनका आकार कम हो गया जिससे वे बहुत मुश्किल से नजर आने लगीं। इसका फायदा यह हुआ कि पकड़ने जाने से पहले उनका प्रजनन बढ़ गया। विकासक्रम के इस बदलाव को समजने के लिए शोधकर्ताओं ने जीन म्यूटेशन को समझने का प्रयास किया लेकिन वह बेकार साबित हुआ। इसके बाद शोधकर्ताओं ने अपना तरीका बदला। उन्होंने सोचा कि अगर बदलाव चुनिंदा मछलियों की जगह सभी मछलियों की जीन में हुआ है तो उनका विश्लेषण अलग नतीजे दे सकता है। इसलिए उन्होंने कॉडफिश का अनुवांशिकीय विश्लेषण किया जिसके बाद वे दर्शा सके कि पिछले 100 सालों में अटलांटिक महासागर के दोनों ओर की कॉड मछलियों में जीनोंम में एक ही तरह से बदलाव देखने को मिले हैं। इससे साबित हुआ कि अलग थलग जेनेटिक बदलाव की जगह जीन में मछलियों के उद्भव प्रक्रिया शुरू हो गई थी। महेश/ईएमएस 06 जून 2023