लेख
06-Jun-2023
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महिला पहलवानों का जंतर मंतर में चल रहा आंदोलन,जिस तरीके से दिल्ली पुलिस ने खत्म कराया। महिला पहलवानों की जिस तरह से गिरफ्तारी हुई। उसकी तीव्र प्रतिक्रिया सारे देश में हुई थी। उसके बाद पहलवानों द्वारा अपने सभी मेडल गंगा में बहाने क़ी जो कवरेज मीडिया में हुई। उससे भाजपा की छवि को बहुत बड़ा बट्टा लगा है। यह अलग बात है, कि सत्ता में रहते हुए छबि पर नुकसान का एहसास सरकार के मंत्रियों और भाजपा के नेताओं को नहीं हो पा रहा है। रही सही कसर सोमवार को पूरी हो गई। जब मीडिया ने यह खबर चलाई कि भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ,पास्को एक्ट के तहत जो शिकायत की गई थी। उसे वापस ले लिया गया है। महिला पहलवान ने पुलिस थाने और न्यायालय में बयान देकर शिकायत को वापस ले ली है। पहलवानों की भेंट केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से देर रात हुई थी। उसके बाद मीडिया के द्वारा शिकायत वापस लेने की खबर सामने आई। मीडिया में इस खबर के आने के बाद खाप पंचायत ने अपने हाथ खींच लिए, वहीं आंदोलन को लेकर सौदेबाजी की बात भी सामने आने लगी। किसान और खाप पंचायतों का जो समर्थन महिला पहलवानों को मिल रहा था। उसको लेकर अनिश्चय की स्थिति बनी। लेकिन जब मीडिया के खबर की सच्चाई सामने आई। उससे मीडिया के साथ-साथ ब्रज भूषण सिंह को बचाने में सरकार की साख को नुकसान हुआ। पहलवान इस बीच रेलवे में अपने काम पर वापस लौटे। मीडिया की खबरों को लोगों ने कुछ देर के लिए सच मान लिया। मीडिया में शिकायत वापस लेने की खबरों के चलने के बाद साक्षी मलिक ने घोषणा की, कि उन्होंने आंदोलन नहीं छोड़ा है। बजरंग पुनिया ने भी कहा कि आंदोलन को हल्का करने के लिए जानबूझकर अफवाह फैलाई जा रही है। पहलवानों का हौसला तोड़ने की कोशिश की जा रही है। वहीं नाबालिग लड़की का पिता भी सामने आया। उसने कहा कि हमने शिकायत को वापस नहीं लिया है। इस खंडन और मुंडन के बाद सरकार पर भी दबाव बना। मंगलवार की सुबह मीडिया ने यह खबर चलाई, कि दिल्ली पुलिस उत्तर प्रदेश के गोंडा में पहुंचकर बृजभूषण शरण सिंह से पूछताछ कर रही है। महिला पहलवानों के इस आंदोलन से भारतीय जनता पार्टी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत छवि को काफी नुकसान हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अंतर्राष्ट्रीय मेडल जीतने के बाद स्वयं महिला पहलवानों से मिले थे। उन्हें अपने परिवार का सदस्य बताया था। जब इनको न्याय नहीं मिल पा रहा है। तो अन्य लोगों को न्याय मिलना संभव नहीं है। तो अन्य लोगों को न्याय मिलना संभव ही नहीं है। इस तरह की धारणा ओर इसका असर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत छवि पर भी पडा है। महिलाओं को लेकर सरकार की असंवेदनशीलता और बृजभूषण शरण सिंह को सरकार की सरपरस्ती से देश भर की महिलाओं मे तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। महीनों बाद इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पहलवानों से मिलकर उनसे बात करना और सही तरीके से जांच करने का आश्वासन देने पर पहलवानों को थोड़ा भरोसा जरूर हुआ है। दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है। अतः पहलवानों ने केंद्रीय गृहमंत्री के आश्वासन को गंभीरता से लिया है। सरकार को यह समझना होगा, कि इतनी बदनामी के बाद यदि पहलवानों का यह आंदोलन इस तरह के हथकंडो से समाप्त कराया जाएगा। तो सरकार को स्थाई रूप से इसका नुकसान होगा। सत्ता का डंडा यदि निर्बल पर चलेगा। निर्बल कोई मुकाबला तो नहीं कर पाएगा। उसे आमजनों की सहानुभूति मिलेगी। हाँ सरकार की साख जरूर गिरेगी। यह नुकसान सरकार और भाजपा को ही स्थाई रूप से उठाना पड़ेगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस नाजुक दौर में काफी सोच समझकर निर्णय लेने की जरूरत है। बृजभूषण शरण सिंह को बचाने के चक्कर में सरकार और पार्टी को दांव में लगाना, इसे सरकार की विफलता ही माना जाएगा। ऐसे संवेदनशील मामलों में सरकार को गंभीरता से, समय के अनुसार निर्णय लेने की जरूरत होती है। जो इस मामले में अभी तक देखने को नहीं मिली है। ईएमएस / 06 जून 23