लेख
09-Jun-2023


यह लेख लिखने के पीछे नित्य इन दिनों में घटित घटनाऔ से हैं। वैसे मानव में ही विष और अमृत दोनों हैं। चित्तविकृतेनारसत्यविषयः किन्न भवति मातापि राक्षसी। दुष्ट -चित्तवाला पापी पुरुष कौन कौन से अनर्थों में प्रवत्ति नहीं करता ?अर्थात सभी में प्रवत्ति करता हैं, अत्यंत स्नेहमयी माता भी विकृत -द्वेष युक्त हो जाने पर क्या राक्षसी (हत्यारी) नहीं होती ?अवश्य होती हैं। सर्वाः स्त्रियः क्षीरोदवेला। इस विषामृतस्थानम। जिस प्रकार क्षीर समुद्र की लहरों में विष और अमृत दोनों पाए जाए हैं उसी प्रकार स्त्रियों में भी विष (दुःख देना ) और अमृत (सुख देना ) या क्रूरता एवं मृदता ये दोनों दोष व गुण पाए जाते हैं, क्योकि प्रतिकूल स्त्री हानिकारक एवं अनुकूल सुख देने वाली होती हैं। स्त्रीणां वशोपायो देवनामपि दुर्लभाः। जिस प्रकार मगर की दाढ़ें स्वाभवतः कुटिल होती हैं, उसी प्रकार स्त्रियां भी स्वभावतः कुटिल होती हैं विरोध हुई स्त्रियों को वशीभूत करने का उपाय देवता भी नहीं जानते। चंचल प्रकृति वाली स्त्री कामदेव के समान सुन्दर पति के पास रहकर दूसरे पुरुष की कामना करती हैं, विरोध करने स्त्रियां अपनी मर्यादा का उल्लंघन कर अनर्थ कर बैठती हैं। वैसे भी जब से मानव सृष्टि में आया उसमे राग -द्वेष की प्रवत्ति होती हैं। राग और द्वेष के कारण संसार चक्र में भटकना पड़ता हैं और कष्टों को भोगना होता हैं। वैसे दुनिया में जितने भी कानून बने हैं वे पंच पाप के लिए हैं जैसे -हिंसा, झूठ, चोरी कुशील, परिग्रह के साथ चार कषायें --क्रोध, मान, माया, लोभ ये प्रमुख कारक हैं। एक पाप के कारण सब पाप करना पड़ते हैं और संसार में आज जितनी भी घटनाएं घटती हैं वे सब नौ कारक के कारण होती हैं। एक अपराध से सब अपराध शुरू होते हैं। एक महिला ने काम वासना के कारण क्रोध के वशीभूत उसने अपनी पति की हत्या की। उसके बाद असत्य वचन बोले की पति नौकरी दूसरे जगह करने लगा जबकि उसने अपने पति की हत्या कर उसे सेप्टिक टैंक में दफनाया। और अपने बच्चों को क्रोध के वशीभूत डराया, धमकाया। वहीँ उस महिला ने पर पुरुष यानी अपने देवर से काम वासना की पूर्ती के लिए संपर्क किया और उसने कुशील पाप किया। उसके बाद वे सब लोग दिन रात हिंसा के कारण भयग्रस्त होने से झूठ बोलते रहे, चोरी का भाव दिन रात रहा और पर पुरुष के सम्पर्क के कारण अपने शील व्रत का पालन नहीं किया और दिन रात उस लाश के संरक्षण का भाव होने से परिग्रह रुपी पाप भोगते रहे। उसके साथ हमेशा गुस्सा का भाव होना, अपनी शेखी बघारते होंगे, दिन रात मायाचारी भाव रखते हुए लोभ के वशीभूत अनर्गल कार्य करना। उनकी मनोदशाएं उस समय और अभी भी कितने उतार चढ़ाव में रह रहें होंगे। उस महिला ने अपने प्रेमी के सहयोग से अपने पति की हत्या की और उसके बाद उसने अपने प्रेमी यानी देवर की हत्या कर उसके शव को सूअरों को लोचने छोड़ दिया। इसका अंत आखिर क्या होगा ?उसने काम वासना के कारण अपने पति की हत्या की उसका अपराध उसके बाद अपने देवर की हत्या की और उसके दो बच्चे हैं उनका भविष्य अंधकारमय हो गया। बालावस्था में ऐसी पीड़ा सहन करने से उनके ऊपर कितना मानसिक दबाव पड़ा होगा और सजा मिलने पर महिला को पूरा जीवन जेल में काटना होगा। वर्तमान में हत्यायें,झगड़ा, मारपीट, झूठ, मक्कारी,नकली माल बेचना, ठगना चोरी, कालाबाज़ारी, डकैती, सेंधमारी, वैश्यावृत्ति, परस्त्रीसेवन,व्यभिचार के कारण बच्चे बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं, और अवैध संरक्षण, लूट खसोट, जमाखोरी करना इस कारण क्रोध करना, मानसिक संतुलन स्थिर नहीं रहना, कभी अपने आपको बहुत होशियार समझना, अपने आपको बड़ा समझना, अहंकार भाव रखना, हर क्षण झूठबोलना, ठगी करना मनोभावों में स्थिरता न होना, और उसके लोभ वृत्ति से हमेशा संग्रह करना, अनाचार करना। जिस प्रकार हाथी के पाँव में सब पाँव समां जाते हैं वैसे ही एक गलत काम मनुष्य को जिंदगी भर के लिए गुनाहगार बना देती हैं। आज तकनिकी युग में अपराध करने वाला बच नहीं सकता कारण उसकी हर गतिविधियों की जानकारी मिल सकती हैं। मिल जाता हैं और फिर पकड़े जाते हैं और यदि न भी पकड़े जाए तो भगवान् के यहाँ लगी कर्मों की सी सी टी वी की रिकॉर्डिंग से कोई नहीं बचा सकता हैं। बुरे काम का बुरा नतीजा होता हैं। आज इस समय कोरोना काल में जो अवैध कमाई कर रहे हैं। रोगियों से, दवाओं में और अन्य सामग्रियों में जो लूट खसोट कर रहे हैं वे क्या अपने साथ कुछ ले जायेंगे। कोई कभी भी नहीं लेकर गया और न ले जायेगा। जितना शुकुन ईमानदारी, सच्चाई, नैतिकता से जीवन यापन करने में हैं उतना बेईमानी, अन्याय, व्यभिचार लूट खसोटी के साथ कमाए धन से नहीं हैं। एक क्षण की भूल जिंदगी भर के लिए गुनाहगार हो जाती हैं और फिर जिंदगी भर गुनाहों की सजा मिलती हैं .../ 9 जून 2023