लेख
30-Nov-2023
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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव की नियुक्ति के मामले में दिल्ली सरकार की आपत्ति को नकार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के मुख्य सचिव के पद पर नरेश कुमार को 6 महीने का सेवा विस्तार देने के मामले में केंद्र की फैसले को स्वीकार कर लिया है। जब नियम और कानून को अपनी अनुकूलता के अनुसार सरकार समय-समय पर बदल लें। सरकार जब जो निर्णय करना चाहती हैं, वह कर लेती हैं। सरकार के अधिकार की बात मानकर सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट भी सरकार के आदेशों पर मोहर लगाने का काम कर रही हैं। पिछले कुछ महीनो से जिस तरह से सुप्रीमकोर्ट न्यायालय में कहती कुछ है, और निर्णय कुछ और करती है। इसको लेकर अब जन सामान्य के बीच में भी चर्चाएं होने लगी हैं। जब सरकार को यह मालूम है, कि हम जो भी फैसला करेंगे, उसका अधिकार हमें है। हम नियम के विपरीत जाकर भी फैसला करेंगे, उस पर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट अपनी मोहर लगा देगी। फिर सरकार पर किसका नियंत्रण होगा? ईडी के डायरेक्टर संजय मिश्रा को केंद्र सरकार ने तीन बार एक्सटेंशन दिया। एक्सटेंशन विषम परिस्थितियों में दिए जाने की व्यवस्था हो सकती है। हर मामले में यदि केंद्र सरकारें और राज्य सरकार नियमों की अवहेलना करके जब निर्णय करते हैं, तभी लोगों को न्यायपालिका की शरण में जाना पड़ता है। हर मामले में यदि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट यह कह देती हैं, कि यह सरकार का अधिकार है। सरकार ने जो किया है, वह सही है। ईडी के डायरेक्टर संजय मिश्रा के बारे में तो सुप्रीमकोर्ट ने यह भी कह दिया था, कि सरकार ने असंवैधानिक तरीके से एक्सटेंशन दिया है। उसके बाद भी सुप्रीमकोर्ट से सरकार ने मिश्रा के लिये एक्सटेंशन मांगा था, उसे मंजूर कर लिया। इस तरह के निर्णय से अब जनता के बीच भी बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया होने लगी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं। सरकार का सारा कामकाज मुख्य सचिव के माध्यम से संचालित होता हैं। मुख्य सचिव नरेश कुमार अभी भी उन्हें सहयोग नहीं कर रहे हैं। उनके खिलाफ शिकायतें भी लंबित हैं। दिल्ली सरकार ने उन्हें मुख्य सचिव के पद से हटाने की अनुशंसा की थी। अब उनकी सेवा निवृत्ति हो रही है। नरेश कुमार के स्थान पर केंद्र सरकार अन्य किसी आईएएस अधिकारी को मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त कर सकती थी। ऐसा नहीं करके केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री के गाल पर चांटा लगाने का काम किया है। केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को बता दिया है, कि वह दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री के कामकाज को नियंत्रित करेगी। निर्वाचित सरकार जो भी निर्णय लेगी, उसके ऊपर अपना वीटो पावर बनाए रखेगी। नरेश कुमार की मुख्य सचिव के पद पर नियुक्ति करके केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री केजरीवाल को उनका दर्जा बता दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी केन्द्र के फैसले पर अपनी मोहर लगा दी है। इसके बाद आसानी से समझा जा सकता है, कि नौकरशाहों के बीच दिल्ली सरकार की हैसियत क्या है। वह किस अधिकार के साथ काम कर सकती हैं। कुछ इसी तरह की की स्थिति दिल्ली के उपमुख्यमंत्री सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बनी थी। जहां पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईडी अभी तक ऐसा कोई सबूत पेश नहीं कर पाई। उसके बाद भी सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज कर दी गई। सारे देश में यह संदेश गया की, मौखिक रूप से सुप्रीम कोर्ट में बहुत कुछ कहा जाता है, सुप्रीमकोर्ट जो कहती है, उसके अनुरूप फैसला नहीं हो रहे हैं। आधे अधूरे फैसले करके, केंद्र सरकार को मदद पहुंचाने का काम सुप्रीम कोर्ट अप्रत्यक्ष तरीके से कर रहा है। सेवा विस्तार कानून के नियम बने हुए हैं। केंद्र की सरकार अपने अधिनस्त अधिकारियों को कई-कई बार सेवा वृद्धि देकर नियमों का लगातार नियमों का उल्लंघन कर रही है। नरेश कुमार की सेवा वृद्धि दी जा सकती है, यह अधिकार केंद्र को है। लेकिन हर मामले में यदि इसी तरीके का मनमाना फैसला किया जाता है। उसके बाद नियम कायदे कानून का तो कोई मतलब ही नहीं रहा। जो अधिकारी मुख्य सचिव बन सकते थे वह मुख्य सचिव बने बिना सेवानिवृत हो जाएंगे। कई अधिकारियों की पदोन्नति पर प्रभाव पड़ेगा। जो अधिकारी नियमों के आधार पर काम करते हैं। वह प्रताड़ित हो रहे हैं। दिल्ली सरकार जिसे जनता ने चुना है। वर्तमान स्थिति में दिल्ली सरकार अपनी जिम्मेदारी को कैसे पूरा नहीं कर पाएगी? निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधिकार उपराज्यपाल और मुख्य सचिव जैसे नौकरशाह निर्वाचित सरकार के कामकाज में रोड़ा अटकाएंगे। यदि सरकार की मर्जी और सरकार के अधिकार को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती है। ऐसी स्थिति के लिये गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामायण में लिखा है, कि समरथ को नहीं दोष गोसाई। सरकार से ज्यादा समर्थता किसकी हो सकती है। सरकार तो अपने आप में भगवान का स्वरूप है। जय श्री राम। ईएमएस / 30 नवम्बर 23