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30-Nov-2023
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नई दिल्ली(ईएमएस)। भारतीय जनता पार्टी के सामने कांग्रेस सर्वाधिक चुनौतियां खड़ी करती है और दोनो ही दलों में सीधी टक्कर होती है। इनके शह और मात के खेल पर सियासी जानकार भी खूब चटखारे लेते हैं। अब कांग्रेस नेताओं की घर वापसी को लेकर अलग अलग राज्यों में चर्चा शुरु हो गई है। इसके अपने अपने स्तर पर मायने निकाले जा रहे हैं। उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे कई राज्य हैं जहां बड़ी संख्या में कांग्रेस नेता रास्ता भटक कर दूसरे के घर चले गए थे। लेकिन जब उन्हे लगा कि अपना घर अपना होता है तो वापसी की होड़ लग गई। इन्हे कितना नफा और नुकसान होगा फिलहाल कहना मुश्किल है लेकिन चर्चा इस बात पर है कि क्या कांग्रेस का घर सुरक्षित और मजबूत हो रहा है। यदि ये सही है तो अगले साल हो रहे लोकसभा चुनाव में इसका कितना असर होगा? सबसे पहले बात करते हैं झारखंड की। 2019 में झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ने वाले दो पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू की कांग्रेस में वापसी हुई। इनके अलावा जमुआ के पूर्व विधायक चंद्रिका महथा की भी घर वापसी हुई। हाल ही में पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव भी फिर से कांग्रेस से जुड़ गई हैं। हजारीबाग से चुनाव लड़ चुके मुन्ना सिंह, एआईएमआईएम के ओबान मलिक, दुमका से संजय बेसरा, गिरिडीह से जिला परिषद सदस्य सजदा खातून समेत कई नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं। जहां कांग्रेस में घर वापसी के बाद अब कई नेता लोकसभा चुनाव और उसके बाद झारखंड विधानसभा चुनाव में अपना दमखम दिखाने को तैयार हैं। कांग्रेस के पुराने नेता जो दूसरे दलों में चले गये थे या फिर राजनीति से दूर हो रहे थे, उन्हें पार्टी से जोड़ने के लिए आ अब लौट चलें अभियान चलाया। इसमें लगातार पार्टी के पुराने नेता-कार्यकर्ता तो जुड़ ही रहे हैं, वैसे लोग भी दामन थाम रहे हैं जो कभी कांग्रेस में नहीं थे। प्रदेश कांग्रेस के नेता अपने इस अभियान को कामयाब बनाने में लगे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार में डिप्टी स्पीकर अजायब सिंह भट्टी ने हाल ही में अपनी बेटी जीवन जोत कौर समेत कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली। इस संबंध में कांग्रेस भवन में एक आयोजन किया गया। जिसमें कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग, नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा समेत कई विधायक व वरिष्ठ नेता शामिल हुए। जीवन जोत कौर की कांग्रेस में ज्वाइनिंग की तस्वीर अक्टूबर माह में ही तय हो गई थी लेकिन पिता के कारण आज उन्होंने पार्टी ज्वाइन की। बता दें कि पंजाब में टिकट न मिलने के कारण कांग्रेस नेता अजायब सिंह भट्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के खिलाफ भदौड़ विधान सभा क्षेत्र में अपनी पत्नी मंजीत कौर को चुनाव मैदान में उतारा था। राजा वड़िंग ने कहा कि नेताओं की घर वापसी से कांग्रेस और मजबूत हो रही है। भट्टी व उनकी बेटी के अलावा राजिंदर सिंह जी (पूर्व एसएसपी), परमजीत सिंह पम्मा, एमसी मजीठा निर्वाचन क्षेत्र और अटारी निर्वाचन क्षेत्र के लिए आप के पूर्व समन्वयक, गुरवीर बराड़, काकू सीरनवाली (महासचिव यूथ अकाली) दल), निर्वाचन क्षेत्र श्री मुक्तसर साहिब ने भी कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। पिछले दिनों यूपी में पूर्व सांसद रवि प्रकाश वर्मा, गयादीन अनुरागी, विनोद राय सहित अन्य पुराने नेताओं की कांग्रेस में वापसी हुई। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि हर जिले में पुराने दिग्गज कांग्रेस नेताओं के परिवार की सुध ली जाए। सियासत में सक्रिय रहे उनके परिजनों को कांग्रेस से जोड़ा जाए। इसी रणनीति के तहत जिलेवार सूची तैयार की जा रही है। इस सूची में शामिल पूर्वांचल के तीन पूर्व सांसदों के परिजन जल्द ही कांग्रेस का हाथ थामेंगे। उत्तर प्रदेश राजनीति की नजर से सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। वजह ये है कि दिल्ली का रास्ता यूपी होते हुए ही जाता है। इसलिए अधिकांश राजनैतिक दलों की नजर यहां होती है। कांग्रेस भी अपनी जमीन मजबूत करने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रही है। खोया हुआ जनाधार पाने के लिए कांग्रेस बेताब है।कांग्रेस अब पुराने दिग्गज नेताओं के परिजनों को अपने साथ जोड़ने का काम कर रही है। उन्हें पुराने रिश्तों की दुहाई देकर अपने साथ जोड़ने की कोशिशें हो रहीं हैं। इसके तहत जिलेवार सूची तैयार की जा रही है। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने आरक्षण बढ़ाओ, संविधान बचाओ अभियान शुरू कर पिछड़ों एवं अति पिछड़ों पर डोरे डालना शुरू किया है। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि दो से ढाई दशक पहले विभिन्न जिलों में कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता थे। ये नेता सांसद व विधायक रहते हुए न सिर्फ अपने क्षेत्र में, बल्कि आसपास की विधानसभा सीटों पर भी पकड़ रखते थे। प्रदेश की सियासी फिजा बदली तो इन नेताओं के परिजनों ने भी ठौर बदल लिया। कोई भाजपा में है तो कोई सपा व बसपा में सियासी पारी खेल रहा है। अब इन्हें गोलबंद कर उनके साथ मौजूद वोटबैंक को अपने पाले में किया जा सकता है। इससे पार्टी के पक्ष में सियासी माहौल बनेगा। पार्टी के पुराने नेताओं की घर वापसी कराई जा रही है। जो नेता अब इस दुनिया में नहीं है, उनके कृतित्व को भुलाया नहीं जा सकता है। उनके परिजनों के लिए पार्टी के दरवाजे खुले हैं। उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि हम एक-एक वोट को जोड़कर पार्टी को फिर से खड़ा करेंगे। 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव और आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी मुख्य धारा में होगी। इसी तरह मध्य प्रदेश में भी कई ऐसा नेता हैं जिनके खून में भाजपा रची बसी थी लेकिन अब उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी अब कांग्रेस के साथ हैं। इसके अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह की भी पिछली दफा ही कांग्रेस में वापसी हो गई। इन तमाम राज्यों के नेताओं पर नजर डालें तो इनकी घर वापसी के पीछे कई सियासी संकेत दिखाई देते हैं। सियासी गलियारा इसके दो कारण मानता है। पहला यह है, कि इन नेताओं को लगने लगा है कि कांग्रेस एक बार फिर मजबूती से खड़ी हो रही है। आने वाले समय में कांग्रेस में सियासी भविष्य भी इन्हे दिखाई देने लगा है। एक बड़ी वजह ये है कि नेता कांग्रेस में आने के लिए बेताव हो रहे हैं। इनकी घर वापसी यहीं थमने वाली नहीं है। अभी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणाम आने वाले हैं। परिणाम भी तय करेंगे इन नेताओं की घर वापसी होगी या घर से वापस दूसरी पार्टी के झंडे तले जाएंगे। इस तरह पांच राज्यों के परिणामों पर भी काफी हद तक निर्भरता रहने वाली है। कांग्रेस जिस तरह से चुनाव जीतने के दावे कर रही है, यदि उसके दावे सच साबित हो गए तो कांग्रेस नेताओं की वापसी तो छोडि़ए कई भाजपा के दिग्गज नेता भी पंजे से हाथ मिलाने में देर नहीं करेंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ और मिजोरम में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम 3 दिसंबर को आने वाले हैं। कांग्रेस के दावे कितने सच होंगे ये बाद में पता चलेगा लेकिन कांग्रेस को टक्कर देने वाली भारतीय जनता पार्टी भी इसे हल्के में नहीं ले रही है। भाजपा में इस बात को लेकर चर्चा है कि जिन कांग्रेस नेताओं को पोट-पुचकार के भाजपा अपने साथ लाई थी कहीं वो हाथ से न खिसक जाएं।