लेख
03-Dec-2023
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एक कहावत की घर का जोगड़ा बाहर का जोगी सिद्ध आज पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। मगर मानव को एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि मुसीबत में अपने ही काम आते है बाहर के तमाशा देखते हैं। आज अपनों को नीचे गिराया जाता है और बाहर के लोगों को उपर उठाया जाता है भेदभाव किया जाता है प्रतिभा को दबाया जाता है और चंद स्वार्थों के लिए बाहर के लोगों को फायदा पहुंचाया जाता है ।आज कितने ही प्रतिभावान लोग है जिन्हे दरकिनार करके अयोग्य लोगों को मौका दिया जाता है।अनुभवहीन लोग आज इतने बड़े बन जाते है कि दूसरों को पाठ पढ़ाने लगते है कि कौन काम सही है और कौन गलत मगर सच्चाई सौ परदे फाड़ कर बाहर आती है तब ऐसे लोग खाक में मिल जाते है यह वक्त का कैसा तकाजा है कि आज सच्चे व इरादों के पक्के लोगों को मुख्यधारा से बाहर किया जा रहा हंै । मगर वक्त एक ऐसा तराजू है जिसके एक पलड़े में जिन्दगी और दूसरे पलड़े में मौत होती है जीवन और मृत्यु में सिर्फ सांसों का फासला है।जब इन्सान जिन्दा होता है तो कोई उसका हाल तक नहीं पूछता लेकिन जब संसार से रुखस्त हो जाता है तो हर आदमी मातम में शामिल होने में अपनी शान समझतें है। जिन्होने जब जिन्दा था तो बात तक नहीं की हांेगी। जब जीता है तो एक जोड़ी कपड़ा तक नसीब नहीं होता मगर जब उसके किसी काम का नहीं होता उसके मृत शरीर पर सैंकड़ों चादरें डाली जाती है।जीते जी जिसे घी नहीं मिलता जलाती बार मुहं में शुद्व देशी घी की आहुती दी जाती है जो व्यर्थ है।कहने का तात्पर्य यह है कि मानव की जीते जी सहायता कि जाए तो वही सच्ची मानवता कहलाएगी।आज लोगों के पास समय नहीं है इतना व्यस्त है कि रोटी खाने के लिये समय नहीं है। हर समय पैसा ही पैसा कमाने मे व्यस्त रहता है।अनैतिक तरीकों से धन कमा रहा है मगर मानव को यह पता है कि दुनिया में नंगा आया था नंगा ही जाएगा तो यह धन-दौलत का लालच क्यों कर रहा है। गलत काम करके पैसा अर्जित करके आलिशान महल बना रहा है मगर पल की खबर नहीं है।मानव को एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होना चाहिए। आज कुछ तथाकथित अमीर बने लोग कारों में बैठकर ऐसे बन जाते है कि धरती पर चल रहे मानव को कीडे़-मकोड़े समझते है आज कारे तों छोटे से छोटे लोगों ने रखी है कार में बैठकर कोई बड़ा नहीं बन सकता समाज के लिए निस्वार्थ भाव से काम करने वाले के आगे कारों की चमक फीकी पड़ जाती है। यह लोग कार, कोठी और पैसे को ही जीवन का ध्येय मान बैठे हैं।महगें कपड़े पहन कर कोई आदमी बड़ा नहीं है बल्कि उसके गुणों के कारण ही पहचान होती है।कुछ लोग आत्मकेन्द्रित होते हैं बस अपना काम हो जाए दुनिया भाड़ में जाए।समाज में ऐसे लोग घातक होते है।आज भूखी जुएं अपनी औकात भूलकर ऐसे इतराती है कि जैसे खानदानी रईस हो पर वक्त के पास हर आदमी का लेखा-जोखा है कि कौन रईस था और कौन दाने-दाने को मोहताज था। किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए हर आदमी से समानता का व्यवहार करना चाहिए।कभी भी भेदभाव नहीं करना चाहिए।वक्त बदलते देर नहीं लगती भाग्य किसी को भी अर्श पर ले जाता है और किसी को फर्श पर ले जाता है इसलिए मानव को मर्यादा में रहकर ही हर काम करना चाहिए।आदमी को किसी के साथ भी धोखा नहीं करना चाहिए।किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।क्योंकि एक बार विश्वास टूट जाता तो फिर से कायम कर पाना मुश्किल हो जाता है।ऐसे मानव का जीवन व्यर्थ है जो दूसरों को दुख देता है।गरीब आदमी को कभी नहीं सताना चाहिए अगर गरीब की बददुआ लग जाए तो बड़े से बड़ा धराशायी हो जाता है इसलिए हर मानव को हमेशा मानव के लिए अच्छे कार्य करने चाहिए।मानव को ऐसे काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी उसे सदियों तक एक अच्छे इन्सान के रुप में हमेशा याद किया जा सके। भूखे को रोटी और प्यासे को पानी पिलाना चाहिए।आज का मानव पैसों से बैंक के खातों को तो भर रहा है मगर उपर का खाता खाली है इसलिए प्रत्येक साधन-संपन्न मानव को लाचार व गरीब लोागों को दान पुण्य करना चाहिए। मानव को एकजुट होकर हर मानव का काम करना चाहिए, कहते है कि एकता में बड़ा बल होता है।प्रत्येक मानव को पता है कि एक दिन सबको मौत आनी है तो फिर मानव क्यों नहीं समझ रहा है।मानव जब कोई चीज बनाता है तो वह उसकी गांरटी तय करता है मगर उसकी अपनी कोई गांरटी नहीं है कि कब प्राण निकल जाएं।रात दिन अवैध तरीकों से जायदाद जोड़ रहा है मगर किसके लिए आज तक कोई उठा कर नहीं लेकर गया तो फिर यह मोह माया क्यों है।मानव को नीच कर्मो को छोड़ देना चाहिए अच्छे कर्म करने चाहिए।मानव जीवन एक बार ही मिलता है बार-बार नहीं मिलता। बेशक स्वाभिमानी अभाव में रहता है पर वह किसी के प्रभाव में नहीं रहता है अपने स्वभाव में रहता है।अपने स्वाभिमान को बरकरार रखो। जीहजूरी करने वाला सिर झुकाकर ही चल सकता है। थर्ड श्रेणी में मुशिकल से पास हुए लोग आज उपदेश देते है कि हमने मेहनत की है मगर सच्चाई सौ परदे फाड़कर बाहर आती है।समय आने पर धराशायी जरुर होगें। नकल व रिश्वत के बल पर सफलता हासिल करने वाले एक दिन बेनकाब होगें नकली पंख कब तक उड़ान देगें।गीदड़ को अगर शेर की खाल पहना दी जाए तो वह शेर नहीं बन जाता।जीहजूरी करने वालों को बंदरों की तरह ही नचाया जाएगा।मदारी उसे अपने हिसाब से नचाएगें।तिगड़म व जीहजूरी के बलबूते सफलता हासिल कर चुके कुछ लोग आज भले ही उंचे ओहदों पर पहुंचे है मगर यह लोग इनके काबिल नहीं है।तिगड़म व तलवे चाटकर सफलता हासिल करना आसान है मगर उसे बनाए रखना कठिन है।प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती।जीहजूरी से सफलता हासिल करने वाले गुलामी में ही जीएंगें।एक मेहनती व स्वाभिमानी सिर उठाकर ही चलेगा। व औंधे मुंह गिरेगें। ईएमएस / 03 दिसम्बर 23