ज़रा हटके
07-Dec-2023
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बुरहानपुर (ईएमएस)। जहां आज सांप्रदायिक वैमनस्य व्याप्त है, और धर्म के बारे में सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य अस्थिर है, मध्यप्रदेश में 500 साल पुराने मंदिर की कहानी सामाजिक एकता का बड़ा संदेश दे रही है। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर को गंगा जमुना तहजीब का शहर भी कहा जाता है। यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समुदाय सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे की भावना को समाहित करते हुए एक-दूसरे के साथ मिलकर त्यौहार और कार्यक्रम आयोजित करते हैं। ये आयोजन बुरहानपुर जिले के इच्छापुर में इच्छा देवी माता मंदिर परिसर में आयोजित होते हैं। इस मंदिर समिति द्वारा धार्मिक आयोजनों के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। यह जानकर आश्चर्य होगा कि मंदिर होने के बावजूद, मुसलमानों को परिसर के अंदर नमाज अदा करने की अनुमति है। माना जा रहा है कि यह ऐसा करना वाला दुनिया का एकमात्र मंदिर हो सकता है। मंदिर समिति के विजय भागवत पवार ने कहा कि इच्छा देवी माता मंदिर दिवाली और ईद दोनों को समान धूमधाम और उत्सव की भावना के साथ मनाता है और सभी धार्मिक समुदायों के लोग यहां पूजा के लिए आते हैं। यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा के पास स्थित है। किंवदंती के अनुसार, एक मराठा गवर्नर ने इच्छा देवी के लिए एक कुआं और एक मंदिर बनाने की कसम खाई थी, अगर उसकी पत्नी से उस बेटा पैदा होता। मंदिर को इच्छाएं पूरी करने वाली देवी भी कहा जाता है। उनकी इच्छा पूरी होने के बाद, उन्होंने एक मंदिर और एक कुआँ बनवाया। चैत्र मास में वहां एक वार्षिक मेला लगता है जिसमें हजारों लोग शामिल होते हैं। मंदिर समिति धर्मार्थ के साथ-साथ परोपकारी कार्यों में भी शामिल है। पवार के मुताबिक, समिति ने इच्छापुर और बुरहानपुर के आसपास विकास कार्य किये हैं। सभी धार्मिक समुदायों के लोगों के लिए अपने दरवाजे खोलकर, इच्छा देवी माता मंदिर धार्मिक सद्भाव और भाईचारे के लिए एक उदाहरण और प्रतीक बन गया है। आशीष/ईएमएस 07 दिसंबर 2023