राज्य
07-Dec-2023
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विधासभा अध्यक्ष, एक केबिनेट और एक राज्यमंत्री मिलने की संभावना जबलपुर, (ईएमएस)। विधानसभा चुनाव की समाप्ति के बाद अब इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि अगला सीएम कौन होगा। अगला होम मिनिस्टर कौन होगा। आगामी केबिनेट में किसे जगह मिलेगी और किसे नहीं। यह सवाल जबलपुर के लिये इस बार खास इसलिये है क्योंकि जबलपुर और उससे जुड़े कई कद्दावर नेता विधानसभा में पहुंचे हैं। जिन्हें सत्ता में सम्मानजनक प्रतिनिधित्व देना पार्टी की जरूरत और मजबूरी दोनों है। पहला नाम तो प्रहलाद पटेल का ही है जिन्होंने छात्र जीवन से जबलपुर कर्मभूमी रहा है अब तो उनका आधिकारिक निवास भी जबलपुर पश्चिम विधानसभा की सैनिक सोसायटी में है। प्रहलाद ने केन्द्रीय नेतृत्व के आदेश पर पहली बार विधायक का चुनाव लड़ा और जीता। प्रहलाद उन टॉप 3 नेताओं में शुमार हैं, जिनकी चर्चा सीएम पद के लिये हो रही है। जबलपुर की बात करें तो सांसद राकेश सिंह का नाम हर जुबान पर है। जिनका एक स्ट्रांग पोर्टफोलियो के साथ केबिनेट बनना तो तय माना जा रहा है। लेकिन जानकार कहते हैं कि सितारों ने साथ दिया और भोपाल में गणित पलटे तो फिर राकेश सिंह का सीएम बनना अचरज वाली बात नहीं होगी। इनके बाद वरिष्ठतम विधायकों में शुमार अजय विश्नोई को भी सत्ता में सम्मानजनक स्थान मिलना तय है। अधिक संभावना उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाने की है। वहीं केन्ट के अशोक रोहाणी और पनागर के सुशील तिवारी इंदू भी लगातार तीन बार से ऐतिहासिक मतों से जीत रहे हैं। उनको नजर अंदाज करना भी संगठन के लिये आसान नहीं है। वर्तमान परिस्थितियों में माना जा रहा है कि जिले को इस बार एक स्ट्रांग पोर्ट फोलिया वाला कैबिनेट मंत्री, एक विधानसभा अध्यक्ष और एक राज्यमंत्री पद मिलना करीब करीब तय है। बाकी यदि भाग्य और गणित ने सहारा दिया तो जबलपुर के या फिर जबलपुर से जुड़े एक एक विधायक की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी हो सकती है। यहां दिलचस्प यह है कि महाकौशल के कई बड़े भाजपा नेता चुनाव हारकर या अन्य वजहों से रेस से बाहर हैं। जिनमें केन्द्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, केबिनेट मंत्री गौरी शंकर बिसेन, आयुष राज्य मंत्री रामकिशोर कांवरे नानू चुनाव हार गये हैं। जबकी जबलपुर में सभी प्रमुख चेहरे ऐतिहासिक मतों से चुनाव जीत गये। जिससे जिले में अधिक मंत्री पद आने की संभावना और बढ़ी है। - नजरअंदाज करना मुश्किल...... गौरतलब है कि इस कार्यकाल में भारतीय जनता पार्टी पर सबसे अधिक सवाल जबलपुर में यही उठा कि जबलपुर को सत्ता में सम्मानजनक तो दूर संतोषजनक स्थान भी नहीं दिया गया। माना जा रहा था कि यह मुद्दा भाजपा को जिले में प्रभावित करेगा। लेकिन जबलपुर के जन ने भाजपा पर 2018 से अधिक विश्वास जताया और 8 में से 7 सीटें उसे एकतरफा मिली। वहीं इस बार जबलपुर से जितने मजबूत और जितनी श्रमता के साथ जीतकर विधायक भोपाल पहुंचे हैं। उनको नजरअंदाज करना प्रदेश एवं केन्द्रीय नेतृत्व के लिये आसान नहीं है। उम्मीद जताई जा रही है कि जबलपुर इस बार दशकों बाद प्रदेश की सत्ता में अपना वाजिब और जायज स्थान पाएगा।