09-Apr-2024
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- वन मंत्रालय के आदेश से वन विभाग में मचा हड़कंप - वन विभाग के अधिकारी अब सिर्फ होंगे मार्गदर्शक भोपाल (ईएमएस)। आदिवासियों और वनवासियों की शुभचिंतक प्रदेश सरकार पर उनसे रोजगार छीनने का आरोप लगने लगा है। बिरसा मुंडा और टंट्या मामा के माध्यम से प्रदेश सरकार आदिवासियों को साधने में जुटी हुई थी लेकिन लोकसभा चुनाव की ठीक पहले मध्य प्रदेश सरकार के 27 मार्च को निकले आदेश ने आदिवासियों और वनवासियों में हड़कंप मचा दिया है। दरअसल पहले जो काम सीधे वन विभाग के माध्यम से आदिवासियों और वन समितियों को दिया जाता था, वह काम अब ठेकेदारों के माध्यम से किया जाएगा। वन मंत्रालय द्वारा इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बाल प्रमुख को आदेश जारी कर दिए हैं। इसे लेकर आदिवासियों और वनवासियों में काफी नाराजगी है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा अब ठेकेदारों को काम देकर उनसे रोजगार का अवसर छीना जा रहा है। वन ग्राम में रहने वाले वनवासियों और आदिवासियों से पहले वन विभाग कार्य करता था लेकिन अब जंगल में होने वाले समस्त निर्माण और पौधारोपण से जुड़े कार्य टेंडर के माध्यम से ठेकेदारों से कराए जाएंगे। जबकि अभी तक वन विभाग में ठेका प्रथा लागू नहीं हुई थी। जंगल के होने वाले सारे कार्य वन समिति के माध्यम से वहां के स्थानीय वनवासियों और आदिवासियों की मदद से पूरे कराए जाते थे। लेकिन अब जंगल में भी ठेका प्रथा लागू हो जाएगी। वन मंत्रालय के इस आदेश का विरोध मध्य प्रदेश रेंजर्स संगठन ने भी किया है। -डीएफओ को निर्देश जारी पूरे प्रदेश सहित छिंदवाड़ा जिले में भी वन विभाग के समस्त वानिकी,क्षेत्रीय और तकनीकी कार्य ठेका पद्धति यानि की निविदा के माध्यम से कराई जाने की तैयारी पूरी की जा चुकी है। इसके लिए सभी डीएफओ को निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। वन विभाग में ठेका प्रथा लागू होने से वन क्षेत्र से सटे इलाकों में निवास करने वाले वहां के वनवासियों और आदिवासियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। वन समितियां सिर्फ नाम मात्र की होगी। जिनके पास रोजगार के लिए कोई विकल्प नहीं होगा। - अगर रोजगार छीना तो क्या करेंगे आदिवासी और वनवासी वन विभाग द्वारा जंगल के नजदीक रहने वाले ग्रामीण क्षेत्र के वनवासियों और आदिवासियों को कार्य और रोजगार के अवसर देकर उनका जंगल से पलायन रोका जाता था। ताकि प्राचीन सभ्यता और संस्कृति जीवित रहे। वनवासियों और आदिवासियों से पौधारोपण में गड्ढे खुदाई, तालाब और कंटूर निर्माण, पौधे लगाना,फायर लाइन बनाना, निंदाई-बुआई जैसे कार्य के माध्यम से इन्हें रोजगार का अवसर दिया जाता था। इसके बदले इन्हें राशि आवंटित होती थी जो सीधे इनके खातों में जाती थी। इसका एक लाभ यह भी था कि वन क्षेत्र में किसी बाहरी व्यक्ति का प्रवेश नहीं होता था, जिससे जंगल को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता था ना ही किसी जंगली जानवर का शिकार होता था। लेकिन अब इस नए आदेश के मुताबिक ठेकेदारों का जंगल पर राज होगा। वे वनवासियों के अलावा कहीं से भी मजदूर लाकर जंगलों में काम कर मोटा मुनाफा कमाएंगे। यानी कि वन समिति और वनवासियों का हिस्सा अब ठेकेदार खाएंगे। - तो फिर डीएफओ बन जायेंगे सिर्फ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर वन मंत्रालय के इस नए आदेश के मुताबिक वन विभाग के कार्य निविदा के माध्यम से होंगे। सभी वन मंडल स्तर पर होने वाले कार्यों के लिए टेंडर निकाले जाएंगे साथ ही जंगल की सीमा के अंदर भारी ठेकेदारों को प्रवेश की अनुमति होगी। इससे जंगल में वन्य प्राणियों का शिकार,वन संपदा को नुकसान सहित अन्य घटनाएं भी सामने आएगी। बाउंड्री वाल निर्माण, भवन निर्माण,नर्सरी से जुड़े कार्य, पौधारोपण, गड्ढे की खुदाई, वन मार्ग उन्नयन, तालाब निर्माण और अन्य कार्य अब वन विभाग की जगह ठेकेदारों से कराया जाएगा यानी की डीएफओ सिर्फ एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की तरह इन ठेकेदारों पर निगरानी रखेंगे और अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। -इन कामों को कराया जाएगा ठेकेदारों के जरिए समस्त वन मंडलों और वन्य प्राणी क्षेत्र में फेंसिंग कार्य, वारवेडवायर फेंसिंग, चैन लिंक फेंसिंग,पशु अवरोधक खंती और पशु अवरोधक दीवार का निर्माण कार्य, दो लाख रुपये से अधिक लागत के समस्त भवन निर्माण और मरम्मत कार्य, नर्सरी में अधोसंरचना विकास अंतर्गत पॉलीहाउस मिस्टर चेंबर का निर्माण, बोरवेल्स निर्माण, क्षेत्र तैयारी, गड्ढा खुदाई कार्य, पौधारोपण लगवाई और अन्य कार्य, दो लाख रुपए लागत से अधिक के भू जल संरक्षण के कार्य ठेकेदार के माध्यम से कराए जाएंगे। -वन विभाग लगाएगा कार्यशाला ठेकेदारों को वन विभाग का काम देने के बाद वन विभाग के अधिकारी अब प्रशिक्षण, कार्यशाला,अनुभूति जो वित्तीय अधिकार पुस्तिका के प्रावधानों के अनुसार कार्य होते हैं वह करेंगे। इसके अलावा रोपड़ियों में पौधा तैयारी और रखरखाव कार्य, वन्य प्राणी क्षेत्र में कोर एरिया के समस्त कार्य, मुनारा, फायर लाइन कटाई और रख रखाव कार्य, वन मार्ग उन्नयन कार्य विभागीय स्तर पर कराए जाएंगे। -रेंजर्स एसोसिएशन ने लिखा पत्र वन विभाग के आदेश के बाद मध्य प्रदेश रेंजर्स एसोसिएशन ने इस मामले को लेकर सरकार को पत्र लिखा है। जिसमें रेंजर्स एसोसिएशन ने वन विभाग का काम निविदा निकालकर ठेकेदारों को दिए जाने पर आपत्ति दर्ज कराई है।मध्य प्रदेश रेंजर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शिशुपाल का कहना है कि मध्य प्रदेश वन विभाग द्वारा अभी तक जो भी उपलब्धि चाहे वह वन क्षेत्र में घनत्व में उन्नति की गई हो, मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट, तेंदुआ स्टेट,घड़ियाल स्टेट,चीता स्टेट और राजस्व बढ़ाने में नंबर वन स्टेट की हो यह सभी उपलब्धि वर्दी धारी वन अमले और उनके साथ 24 घंटे दिन रात, हर मौसम में काम करने वाली वन समिति और आदिवासी टीम ने की है।वन विभाग में निविदा प्रक्रिया लागू होती है तो निश्चित ही वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों के अधिकारों का हनन होगा। - और जुगाड़ में लग गए ठेकेदार वन विभाग के कामों को लेकर प्रदेश से लेकर स्थानीय स्तर तक के ठेकेदार जुगाड़ में लग गए हैं। वन विभाग की निविदा को लेकर अभी से ठेकेदारों द्वारा अधिकारियों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया गया है। सूत्रों की मानें तो वन मंत्रालय से लेकर अन्य नेताओं के फोन भी अपने चहेते ठेकेदारों को देने के लिए आने लगे हैं।