अंतर्राष्ट्रीय
17-Apr-2024
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- इस गृहयुद्ध का अब बच्चों के भविष्य पर भी पड़ रहा असर - संघर्ष में अब तक 14,600 से ज्यादा लोगों की हो चुकी मौत खरतौम (ईएमएस)। सूडान में हिंसक संघर्ष को एक साल हो गया। देश में सालभर से चल रही हिंसा का यह दौर अब खतरनाक स्थिति में पहुंच चुका है इस हिंसा के चलते अब यहां लोगों के सामने भूखमरी, बेरोजगारी जैसी समस्या पैदा हो गई है। हाल ही में यूनिसेफ की आई एक रिपोर्ट के अनुसार इस गृहयुद्ध का अब बच्चों के भविष्य पर भी पड़ रहा है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे जिस कारण उनकी पढ़ाई एक तरह से ठप हो गई है। यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक युद्ध के कारण सूडान में अब तक लगभग 18 मिलियन लोग भुखमरी की कगार पर हैं, जिनमें 5 मिलियन लोग इमरजेंसी लेवल पर हैं। 5 साल से कम उम्र के 3.5 मिलियन बच्चे यानी हर सातवां बच्चा कुपोषण का शिकार हो चुका है और यहां का मृत्यु दर भी बेहद चौंकाने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार यहां के लगभग 19 मिलियन स्कूली बच्चों में से 90 फीसदी से ज्यादा बच्चों के पास औपचारिक रूप से शिक्षा की पहुंच नहीं है। रिपोर्ट में दावा किया है जाहिर है कि इससे इस देश के भविष्य में सबसे बड़ा संकट पैदा हो सकता है। यूनीसेफ ने इसी रिपोर्ट में कहा कि सूडान में कुपोषण से ग्रसित आधे से ज्यादा बच्चे युद्ध वाले क्षेत्र से हैं, जहां पर आम सुविधाएं मुहैया करना बेहद मुश्किल है। उनके मुताबिक भुखमरी और कुपोषण बच्चों को मौत की तरफ धकेल रही है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सूडान संघर्ष में अब तक 14,600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं इस संघर्ष में लगभग 10.7 लाख से ज्यादा लोगों बेघर हो गए है। इस युद्ध के कारण पूरे देश का राजनीतिक, मेडिकल और आर्थिक ढांचा ढह गया है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 46 लाख की आबादी वाले सूडान में 25 लाख को तुरंत मदद की जरुरत है। फरवरी में इस देश में हैजा के मरीजों की संख्या 10,700 तक पहुंच गई थी. जिसके कारण देश के लगभग 80 फीसदी अस्पताल बंद हो गए थे। ये है संघर्ष शुरु होने की वजह 15 अप्रैल 2023 को सूडानी सशस्त्र बल प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान और उनके पूर्व डिप्टी मोहम्मद हमदान डागलो, अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के कमांडर के बीच सत्ता को लेकर जंग छिड़ गई थी। जिसकी कीमत पूरा देश चुका रहा है। सूडान को साल 1956 में आजादी मिली थी। उसके बाद से अब तक 35 बार इस देश में तख्तापलट या उसकी कोशिश हो चुकी है। 2019 में लंबे समय तक तानाशाह उमर अल-बशीर के खिलाफ विद्रोह हुआ और उनको सत्ता से बेहखदल कर एक सैन्य-नागरिक संक्रमणकालीन सरकार बनाई गई, तो सूडानी नागरिकों में एक उम्मीद जगी थी। उन्हें उम्मीद थी कि उनका देश लोकतांत्रिक शासन में परिवर्तित हो जाएगा। लेकिन ये उम्मीदें अक्टूबर 2021 में धराशायी हो गईं जब अब्देल फतह अल-बुरहान ने संक्रमणकालीन सरकार में अपने नागरिक समकक्षों के खिलाफ तख्तापलट कर दिया। इसके बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने गए और गृहयुद्ध की स्थिति बन गई। फिल्हाल देश को सेना और आरएसएफ चला रहे हैं। सूडान सरकार की असली कमान सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथों में है। वे एक तरह से देश के राष्ट्रपति हैं। वहीं सॉवरेन काउंसिल के डिप्टी और आरएसएफ़ प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो देश के दूसरे नंबर के नेता हैं। इन्हीं दोनों के बीच यह लड़ाई है। युद्ध् की मुख्य वजह सेना और अर्धसैनिक बल आरएसएफ के विलय को लेकर है। इस विवाद के बीच सबसे बड़ा सवाल है कि करीब एक लाख की तादाद वाली रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स का अगर सेना में विलय हो जाता है तो सभी का नेतृत्व कौन करेगा। क्या सारी शक्ति जनरल अब्देल फत्तह अल बुरहान के हाथों में होगी या मोहम्मद हमदान दगालो के हाथों में। सिराज/ ईएमएस 17अप्रैल24