लेख
18-Apr-2024
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मनी लॉन्ड्रिंग कानून देश में आतंकवादी गतिविधियों,ड्रग्स और मादक पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहम‎ति से बनाया हुआ कानून है। भारत में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय को मनी लांड्रिग कानून के तहत कार्रवाई करने के अधिकार प्रवर्तन निदेशालय ईड़ी को दिए गए। 2005 से 2014 के 10 वर्षों में केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय ने 1797 मामलों की जांच शुरू की थी। इसमें 84 छापे डाले गए 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 102 मामलों की जांच की गई थी। 2005 से 2014 के बीच में 5086 करोड रुपए की संपत्ति अटैच की गई थी। 43 लाख रुपए की जपती बनाई गई थी। पीएमएलए कानून 2002 में बनाया गया था। जब अटल जी की सरकार केन्द्र में थी। अंतर्राष्ट्रीय अपराधों को रोकने के लिए यह कानून बनाया गया था, जो भारत में 2005 से लागू किया गया। 2014 के बाद से इस कानून का उपयोग लगभग बदल गया है, जो कानून अंतरराष्ट्रीय सहमति से आतंकवादी गतिविधियों और ड्रग्स के कारोबार तथा मनी लांड्रिंग के गंभीर अपराधों को रोकने के लिए बनाया गया था। उस कानून का उपयोग पिछले 10 वर्षों से भ्रष्टाचार के आरोप मैं शिकायतों की जांच के लिए किया जाने लगा। अप्रैल 2014 से लेकर मार्च 2024 के बीच में ईड़ी ने 5155 मामलों को जांच के दायरे में लिया। 7264 स्थानो पर छापेमारी की 755 लोगों को गिरफ्तार किया। इसमें अधिकांश राजनीतिक दलों के नेता, कारोबारी और कुछ सरकारी अधिकारी शा‎मिल हैं। जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, उनकी जांच ईड़ी के अधिकारी कर रहे हैं। पिछले 20 सालों में अभी तक 36 मामलों में ही न्यायालय से 63 लोगों को सजा मिली है। ईड़ी ने पिछले 10 वर्षों में 24 मामलों में रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए हैं। छापे में 1,21,618 करोड रुपए की संपत्ति को अटैच किया है। 2310 करोड रुपए की नगदी को जप्त किया है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में पीएमएलए कानून के तहत 1797 मामलों की जांच में 102 चार्ज सीट न्यायालय में दाखिल की गई वहीं एनडीए के 10 सालों के कार्यकाल में 5155 मामलों में मनी लेंडिंग की जांच शुरू हुई। एनडीए के कार्यकाल में 1281 मामलों में जांच शुरू की। अभी तक मात्र 6 फ़ीसदी मामलों की ही चार्ज शीट न्यायालय में पेश हो पाई है। 2014 के बाद से विपक्षी दलों के नेताओं और उनसे जुड़े मामलों को लेकर ईडी द्वारा जांच की जा रही है। नेताओं को जेल में इस कानून के तहत बंद किया जा रहा है। इस कानून में जमानत देने के अधिकार न्यायालयों के सीमित है। यूपीए के कार्यकाल में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उन में अधिकांश मामलों में चार्ज शीट न्यायालय में पेश नहीं हो पाई है। वर्षों से आरोपी न्या‎यिक हिरासत में जेलों में बंद है। जिन मामलों में अभी तक सजा हुई है, वह सभी मामले यूपीए के कार्यकाल में शुरू की गई जांच के मामलों में हुई है। 2005 से 2014 की तुलना में 2014 से 2024 के बीच में 84 फ़ीसदी तलाशी और छापे की कार्रवाई बढ़ गई है। गिरफ्तार लोगों की संख्या भी 29 से बढ़कर 755 पर पहुंच गई है। पिछले 10 सालों में भ्रष्टाचार के आरोप में जो जांच शुरू की गई थी, उस पर ईड़ी ने पीएमएलए कानून के तहत मामला दर्ज करके गिरफ्तारियां की हैं। जबकि भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए भारत में केंद्रीय स्तर पर और राज्य स्तर पर अलग एजेंसियां और अलग कानून हैं। आरो‎पियों को पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तार करने से न्यायालयों से जमानत नहीं मिल रही है। ईड़ी के अधिकारी दिल्ली के शराब घोटाले के आरोप की जांच 2 साल में भी पूरी नहीं कर पाए। मनी लॉन्ड्रिंग का कोई सबूत अभी तक जांच एजेंसी नहीं जुटा पाई है। इसके बाद भी जांच और तारीख पर तारीख के नाम पर आरोपियों को लंबे समय तक जेलों में बंद रखा जा रहा है। पीएमएलए कानून का उपयोग भ्रष्टाचार के मामले में होगा, ऐसा ‎किसी ने सोचा नहीं था। इसके बाद भी केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में जिस तरह से छापामारी और गिरफ्तारियां की जा रही है। उसमें संजय सिंह पहले व्यक्ति हैं, जिन्हें 6 महीने के अंदर न्यायालय से जमानत हुई है। न्यायालय में जो मामले अभी तक गए हैं। उसमें ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पीएमएलए कानून में गिरफ्तार लोगों की जमानत के मामले में अब वस्तु स्थिति सामने आ चुकी है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईड़ी को चेतावनी भी दी है। एनडीए सरकार के ऊपर अब यह आरोप भी लग रहे हैं राजनीतिक द्वेष के कारण पहले आरोप लगाए जाते हैं। फिर उन मामलों को ईड़ी को सौंप दिया जाता है। जो लोग भाजपा में प्रवेश ले लेते हैं, उन्हें गिरफ्तारी से बचाकर उनका मामला ठंडा बस्ते में डाल दिया जाता है। जो भाजपा में प्रवेश नहीं लेते हैं अथवा जो सरकार के सामने समर्पण नहीं करते हैं, उन्हें जेलों में बंद करके रखा जाता है। हाल ही में झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्री भी पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तार कर उन्हें न्यायिक हिरासत में रखा गया है। इसके बाद से ईड़ी,सरकार और न्यायपालिका में दबाव बढ़ गया है। लोकसभा चुनाव के बाद ही राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी लगातार इन मामलों में न्यायालय से तारीख पर तारीख ले रहे हैं। सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट का दबाव ईड़ी पर पड़ने लगा है। इसको देखते हुए जल्द ही राहत की उम्मीद की जा सकती है। एसजे / 18 अप्रैल 2024