राष्ट्रीय
18-Apr-2024
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-ग्वालियर-भिंड-इटावा नेशनल हाईवे का मामला ग्वालियर,(ईएमएस)। कहने को तो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भाजपा की ही सराकर है और खास बात यह है कि केंद्र में भी मोदी सरकार है, लेकिन ग्वालियर-भिंड-इटावा नेशनल हाईवे पर पिछले 10 माह से वाहनों का आवागमन बंद पड़ा हुआ है। वजह इटावा कलेक्टर के आदेश को बताया जा रहा है, जबकि मामला डबल इंजन सरकार से जुड़ता है। इससे यात्रियों को तो खासी दिक्कत हो ही रही है, साथ ही माइनिंग का कार्य भी ठप पड़ा हुआ है। जानकारी अनुसार एमपी और यूपी को जोड़ने वाले ग्वालियर-भिंड-इटावा नेशनल हाईवे का यातायात आवागमन पिछले 10 माह से बंद पड़ा हुआ है। जब कारण जानने की कोशिश की गई तो मालूम चला कि विगत वर्ष 8 जून को इटावा कलेक्टर अवनीश राय ने नेशलन हाईवे पर बरही के समीप बने चंबल पुल को क्षतिग्रस्त बताया और भारी वाहनों के आवागमन पर पाबंदी लगा दी। कलेक्टर ने ऐसा करते हुए कहा कि नया पुल बनने तक इस मार्ग पर भारी वाहनों का आवागमन बंद किया जाए। इस पर सवाल किए गए थे और बताया गया था कि यदि नए पुल का निर्माण तत्काल भी शुरु कर दिया जाए तब भी पूर्ण होने में करीब 3 साल का समय तो लग ही सकता है। समय के साथ बात आई-गई हो गई और पिछले 10 महीने से यातायात वाकई बंद हुआ पड़ा है। सूत्रों की मानें तो पुराना पुल दुरुस्त कर दिया गया है। ढाई माह पहले आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों की एक टीम ने इसके दुरुस्त होने का सर्टिफिकेट भी दे दिया। यहां भिंड के कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने भी भारी वाहनों के आवागमन की मंजूरी दे चुके हैं। बावजूद इसके इटावा कलेक्टर ने अपने पूर्व के आदेश को निश्क्रिय नहीं किया और न ही आवागमन में लगाई गई रोक को ही हटाया है। इसके चलते मध्य प्रदेश के भिंड, मुरैना, दतिया और ग्वालियर जिले के साथ ही आस-पड़ोस के लोगों का यूपी के इटावा और उसके आस-पास के जिलों से संपर्क कटा हुआ है। अब आम लोग भी सवाल कर रहे हैं और पूछ रहे हैं कि जब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भाजपा की ही डबल इंजन सरकार काम कर रही हैं तो फिर इस तरह की परेशानी क्यों आ रही है। यदि इन राज्यों में या केंद्र में किसी और दल की सरकार होती तब भी समझा जा सकता था कि मामला कहीं राजनीतिक तौर पर अटक गया है, लेकिन एक ही पार्टी की सरकार के होते हुए भी नेशनल हाईवे जैसे मार्ग पर 10 माह से आवागमन बंद पड़ा हुआ है और इन सरकारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है, यह चिंता का ही नहीं बल्कि विचारणीय सवाल बन गया है। इससे दोनों ही राज्यों की प्रभावित जनता में आक्रोष व्याप्त है। इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा उन यात्रियों को हो रही है जिन्हें तकरीबन एक किलोमीटर पैदर चलकर पुल क्रॉस करना पड़ता है और दूसरी ओर की बस पकड़नी होती है। दरअसल भारी वाहनों और यात्री बसों पर रोक के चलते यात्री बसें पुल के एक ओर यात्रियों को उतार देती हैं, फिर यात्री एक किमी पैदल पुल पार कर दूसरी ओर पहुंचते हैं, जहां से उन्हें दूसरी बस पकड़नी होती है। इसके अतिरिक्त इस मामले के कारण माइनिंग का कार्य भी ठप पड़ा हुआ है। बताया जा रहा है कि छह माह में माइनिंग कार्पोरेशन ने तीन बार रेत खदानों के लिए टेंडर कॉल किए, लेकिन ठेकेदारों ने यातायात आवागमन मसले को लेकर आगे नहीं आए हैं। दरअसल रेत एमपी से निकाली जाती है, जबकि उसकी ज्यादातर खपत यूपी में होती है, ऐसे में रेत निकाल भी लें तो भी यूपी भेजी नहीं जा सकती है। इसलिए ठेकेदार टेंडर भरने से बच रहे हैं। इससे सरकार को भी आय का नुक्सान हो रहा है। हिदायत/ईएमएस 18अप्रैल24