राज्य
26-Apr-2024


जबलपुर, (ईएमएस)। किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयासों के फलस्वरूप जैविक खेती अपनाने के साथ-साथ जिले में अब किसानों का रुझान जैविक प्रमाणीकरण की और भी बढ़ता जा रहा है। जैविक खेती कर रहे किसानों को अब यह बात समझ में आने लगी है कि बाजार में बढ़ती मांग को देखते हुये उनके उत्पादों की स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच बनाने के लिये तथा अच्छी कीमत प्राप्त करने के लिये उनकी कृषि भूमि का जैविक प्रमाणीकरण होना जरूरी है । परियोजना संचालक आत्मा डॉ एस के निगम के मुताबिक जबलपुर जिले में कई किसान प्राकृतिक जैविक खेती कर रहे हैं किन्तु अभी तक उनकी रुचि अपनी कृषि भूमि के जैविक प्रमाणीकरण में नहीं थी। कृषि अधिकारियों द्वारा जैविक खेती कर रहे किसानों को जैविक प्रमाणीकरण से होने वाले फायदों की जानकारी दिये जाने पर उनका रुझान अब इस ओर बढ़ने लगा है। डॉ निगम ने बताया कि जिले में फिलहाल १ हजार ७८० किसान जैविक खेती कर रहे हैं। इनमें से ९ किसान अपनी कृषि भूमि का जैविक प्रमाणीकरण करा भी चुके हैं । इन किसानों के उत्पादों को मिल रही अच्छी कीमत को देखते हुये और विभागीय अधिकारियों के प्रयासों के फलस्वरूप पिछले वर्ष दो तथा इस वर्ष तीन और किसानों ने जैविक प्रमाणीकरण के लिये आवेदन दिया है । इस वर्ष जैविक प्रमाणीकरण के लिये आवेदन देने वाले किसानों में ह्रदय नगर (सिहोरा) के कृषक जयराम केवट राय सिमरिया (सिहोरा) की कृषक श्रीमति सुधा गुप्ता एवं ककरेहटा (पाटन) के कृषक जसवंत पटेल शामिल हैं । इन कृषकों ने कृषि विभाग के विकासखंड स्तरीय अमले के माध्यम से जैविक प्रमाणीकरण के लिये अपना आवेदन भोपाल स्थित मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्थान भोपाल में प्रस्तुत किया है। राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्थान द्वारा इन कृषकों के कृषि भूमि का निरीक्षण करने अनुविभागीय कृषि अधिकारी पाटन डॉ. इंदिरा त्रिपाठी को नामांकित किया गया है । डॉ त्रिपाठी ने शुक्रवार को हृदय नगर के कृषक जयराम के खेत का निरीक्षण भी किया है। जल्दी ही निरीक्षण प्रतिवेदन मध्य प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्थान को प्रथम वर्ष का जैविक सर्टिफिकेशन जारी करने हेतु प्रेषित किया जायेगा। सुनील // मोनिका // २६ अप्रैल २०२४ // ६.१५