(नशामुक्ति दिवस) ब्रह्माकुमारीज संस्था कई दशकों से लोगो मे नशे की आदत को दूर करने के लिए लोगो को प्रेरित करती रही है।तभी तो ब्रह्माकुमारीज के संपर्क एवं प्रोत्साहन से बड़ी संख्या में लोग नशे की बुरी आदत को छोड़ चुके है और अभी भी यह अभियान जारी है।ब्रह्माकुमारीज के व्यसन मुक्ति अभियान से प्रभावित होकर भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा ब्रह्माकुमारीज ने नशा मुक्त भारत के लिए संयुक्त रूप से बड़ी पहल की है। नशा मुक्त भारत के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय विभाग व ब्रह्माकुमारीज के बीच 3 साल के लिए एमओयू साइन किया गया है। जिसके तहत देशभर में राष्ट्रव्यापी अभियान चलाकर दस करोड़ लोगों को नशा मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।इस अभियान को पूरा करने के लिए स्कूल से लेकर कॉलेज तक व विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और सामाजिक संस्थानों में लोगों को नशे से होने वाले दुष्परिणाम के बारे में सेमीनार, मोटिवेशनल वर्कशॉप के जरिए जागरूक किया जा रहा है । नई दिल्ली के डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, 15 जनपथ में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले, विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण और ब्रह्माकुमारी संस्थान की ओर से ब्रह्माकुमारीज संस्थान के प्रबंधन कमेटी की सदस्य राजयोगिनी बीके आशा दीदी, माउंट आबू से प्रबंधन कमेटी के सदस्य डॉ. प्रताप मिडढा, मेडिकल विंग के सचिव डॉ. बीके बनारसीलाल विशेष रूप से मौजूद रहे। इस अभियान का लक्ष्य है कि भारत को विश्व का सर्वोच्च नेता बनाने के लिए नशा मुक्त समाज बनाना होगा। नशा मुक्त भारत अभियान में ब्रह्माकुमारीज आध्यात्मिक संगठन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैं।ब्रह्माकुमारीज की ओर से वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका एवं ओआरसी की निदेशिका बीके आशा दीदी ने कहना है कि देश के लोगों को नशा मुक्त जीवन जीने में सहायता करने में उनका संस्थान पूरी तरह समर्पित है। नशा मुक्ति केवल आत्मनिरीक्षण, आत्म-जागरूकता और आध्यात्मिक जागृति से ही संभव हो सकती है।नशा मुक्त भारत अभियान सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा ब्रह्माकुमारीज के साथ मिलकर वर्तमान में देश के 372 जिलों में चलाया जा रहा है। इसका उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालय परिसरों, विद्यालयों और समुदायो में पहुंचकर उसमें लोगो की भागीदारी और अभियान का स्वामित्व प्राप्त करना है।इस अभियान की पहुंच अब तक 9.50 करोड़ से अधिक लोगों तक हो चुकी है, जिनमें 3.10 करोड़ से अधिक युवा, 2.05 करोड़ से अधिक लोग बड़ी उम्र के है,जो विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से इस अभियान का हिस्सा बन रहे हैं। नशामुक्ति का संदेश फैलाने के लिए 3 लाख से अधिक शिक्षण संस्थान इस अभियान में अभी तक शामिल हो चुके हैं।नशामुक्ति के बारे में जागरूकता पैदा करने और ब्रह्माकुमारीज़ संगठन के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क की ताकत को समाज के एक व्यापक वर्ग तक पहुँचाने के लिए, ब्रह्माकुमारीज़ के मेडिकल विंग और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय कार्य कर रहा है।इस अभियान के अंतर्गत नशा क्या है, कितने प्रकार का है, क्यों करते हैं, नशा करने कारण के साथ किस उम्र में नशा की लत लगती है,पर अध्ययन कर उसके निवारण पर काम किया जाता है।माना गया है आंतरिक शक्ति की कमी के कारण और गलत संगत से नशे की आदत पड़ती है। 12 से 25 साल के बच्चे मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होने से नशे की चपेट में आ जाते हैं।पर्याप्त सम्मान न मिल पाना और प्यार की कमी भी नशे का एक मुख्य कारण है। नशे का विकार डॉक्टरी इलाज से पूरी तरह संभव नही है। नशा मुक्ति के लिए अध्यात्म और मेडिटेशन से जुड़कर ही बेहतर परिणाम प्राप्त किये जा सकते है। ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा तैयार राजयोग मेडिटेशन को नियमित करने से भी नशी की लत से मुक्ति पाना संभव है। प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मेडिकल विंग द्वारा देश को नशा मुक्त करने को लेकर शपथ भी दिलाई जा रही है। जिसमें सरकारी गैर सरकारी संस्थानों के कर्मचारियों ,स्कूली बच्चों के साथ साथ आम लोगों को भी नशा न करने की शपथ दिलाई जा रही है। जिसके तहत प्रण लिया जाता है कि आज से वे नशी का सेवन नहीं करेंगे। लोगों को बुरी आदतों से दूर करने के साथ-साथ वह स्वस्थ रहें और परिवार की देखरेख करें,इसके लिए यह अभियान चलाया जा रहा है।नशा मुक्ति अभियान कार्यक्रमों में ब्रह्माकुमारी बहने व भाई लोगो को ईश्वरीय ज्ञान ,राजयोग, पवित्रता की धारणा और जनसेवा के प्रति प्रोत्साहित करते हुए इन चारों ही विषयो पर प्रकाश डालते है।ब्रह्माकुमारीज संस्थान में रहने वाली बहनें समाज के परिवर्तन के लिए निरंतर कार्य कर रही है और वे अपने ज्ञान और योग बल के द्वारा लोगों के विवेक और सद्बुद्धि जागृत करने की निस्वार्थ सेवा कर रही हैं।दरअसल बच्चों में माताएं संस्कार जो डालती हैं जीवन पर्यंत उनके काम आते हैं जीवन की मुश्किल घड़ी में भी संस्कार उन्हें बुरे व्यसनों से बचाए रखते हैं, यदि माताएं बच्चों में बचपन से ही अच्छे संस्कार डालें तो निश्चित ही वे कभी भी व्यसनों के आदी नहीं होंगे। साथ ही समाज में कई ऐसी परिस्थितियां भी होती हैं जिसकी वजह से लोग व्यसनों के शिकार हो जाते हैं।बेरोजगारी, गरीबी इत्यादि के कारण उत्पन्न होने वाली हीनभावना, लोगो को नशे की तरफ धकेल देती है। ऐसे लोगो को सकारात्मक विचारों से जोड़कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ना ही इस अभियान का उद्देश्य है।देहरादून में इस अभियान की शुरुआत पिछले दिनों उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत के माध्यम से ब्रह्माकुमारीज संस्थान द्वारा कराई गई थी।जिसकी प्रेरणा स्रोत बनी राजयोगिनी बीके मंजू, जिन्होंने नशे के अंधेरे से पीड़ितों को निकालकर उनके जीवन मे आध्यात्म का उजाला भरने की बात कही।ब्रह्माकुमारीज तभी से इस अभियान को सतत चलाये हुए है। (लेखक ब्रह्माकुमारीज मीडियाविंग के आजीवन सदस्य एवं विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति है) …/ 25 जून 2024