दंतेवाड़ा(ईएमएस)। बस्तर संभाग में प्रशासनिक लापरवाहियों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। दंतेवाड़ा जिले के मेंडोली में आदिवासी छात्रों के लिए बने 100 सीटर बालक छात्रावास का निर्माण अधूरा छोड़कर ही लोक निर्माण विभाग ने इसका लोकार्पण करवा दिया। छात्रावास भवन का पहला तल आज भी बिना दरवाजे-खिड़की और प्लास्टर के केवल ढांचा बनकर खड़ा है, जबकि भूतल पर सीमित सुविधाओं के बीच आदिवासी छात्र रहने को मजबूर हैं। अधूरा भवन, अधूरी सुविधाएं राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन (आरएसएमए) के तहत इस दो मंजिला छात्रावास के लिए 132.79 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। निर्माण एजेंसी के तौर पर जिला निर्माण समिति और लोक निर्माण विभाग, दक्षिण बस्तर संभाग को जिम्मेदारी सौंपी गई। भूतल का काम किसी तरह पूरा कर 14 अक्टूबर 2022 को तत्कालीन विधायक से इसका लोकार्पण करवा दिया गया। हालांकि, भवन का ऊपरी तल आज तक अधूरा है। न खिड़कियां लगीं, न प्लास्टर हुआ, न ही फर्श पर टाइल्स बिछाई गईं। यह हाल तब है, जब लोकार्पण को दो साल से अधिक समय बीत चुका है। नेता और अधिकारियों की अनदेखी लोकार्पण के दौरान अधूरे निर्माण की खामियों को नजरअंदाज करना अधिकारियों और नेताजी की लापरवाही को उजागर करता है। भवन के अधूरे निर्माण और छात्रों की परेशानी पर जब कार्यपालन अभियंता एसएल ठाकुर से संपर्क किया गया, तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। अगले दिन जानकारी देने का वादा किया, लेकिन बाद में फोन ही नहीं उठाया। छात्रों के लिए बढ़ी मुश्किलें मेंडोली का यह छात्रावास दंतेवाड़ा मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बावजूद, यहां छात्रों को मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल रहीं। भूतल पर बने छोटे-छोटे कमरों में ज्यादा बिस्तर लगाकर बच्चों को समायोजित किया गया है। जगह की कमी से उनकी पढ़ाई बाधित हो रही है और दैनिक जीवन में असुविधाएं बढ़ रही हैं। अधिकारियों की अनियमितता से आदिवासी बच्चे प्रभावित लोक निर्माण विभाग की इस लापरवाही ने आदिवासी छात्रों के लिए आवासीय सुविधाओं का सपना अधूरा छोड़ दिया है। 100 सीटर बालक छात्रावास का उद्देश्य बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं देना था, लेकिन आधे-अधूरे भवन ने इस उद्देश्य को विफल कर दिया। सत्यप्रकाश(ईएमएस) 30 नवम्बर 2024