एसीपी ने बताया की मामला गंभीर, आरोपियो की बैंक और कॉल डिटेल की जॉच जरुरी -अदालत ने खारिज कर दी टीआई की अग्रिम जमानत याचिका भोपाल(ईएमएस)। राजधानी भोपाल के ऐशबाग थाने में पूर्व में पदस्थ और अभी संस्पैंड होने के बाद अन्य आरोपियो के साथ फरार चल रहे एएसआई पवन रघुवंशी पर रिश्वत के 4.94 लाख रुपए घर में रखने के आरोप हैं। रिश्वत खोरी का यह मामला फर्जी कॉल सेंटर के भाडांफोड़ होने के बाद एक आरोपी को बचाने के लिये किया गया था। इस मामले में हुई एफआईआर में पवन सहित दो अन्य पुलिसकर्मी और ऐशबाद थाने के ही ऐशबाग थाने के निलंबित टीआई जितेंद्र गढ़वाल को आरोपी बनाया गया है। फिलहाल टीआई कोर्ट से अग्रिम जमानत लेने के लिये हर संभव प्रयास कर रहे है। लेकिन अदालत ने सुनवाई होने के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया। जानकारी के अनुसार आरोपी टीआई जितेंद्र गढ़वाल की ओर से उनके वकील ने अग्रिम जमानत पाने के लिये आरपी मिश्रा की कोर्ट में याचिका लगाते हुए तर्क दिए थे। की पवन लाइन हाजिर होने के बाद भी कई अहम केसों की डायरियां अपने साथ ले गया था। उसका संदिग्ध आचरण देख जितेंद्र गढ़वाल ने डीसीपी जोन-1 को गोपनीय पत्र के माध्यम से उसके संदिग्ध आचरण की जानकारी दी थी। इस आधार पर 28 फरवरी को उसे लाइन हाजिर किया गया। इसकी रिपोर्ट रोजनामचा में भी दर्ज की गई थी।इसके बाद तत्काल प्रभाव से उसे अपने पास मौजूद तमाम केस डायरियों का चार्ज दूसरे को ट्रांसफर करने के आदेश दिए गए, लेकिन वह डायरियां अपने साथ लेकर चला गया। इन डायरियों में फर्जी कॉल सेंटर केस की डायरी भी मौजूद थी। इस बात की रिपोर्ट भी रोजनामचा में दर्ज है। कोर्ट में निलबिंत टीआई के वकील ने यह भी कहा कि टीआई ने एएसआई पवन पर कार्रवाई कराई थी। इस कारण पवन ने अपने घर से बरामद कराई रिश्वत की रकम को टीआई के कहने पर लेना बताया। जिसके बाद टीआई को भी भ्रष्टाचार के केस में आरोपी बनाया गया। सूनवाई के दौरान निलंबित टीआई जितेंद्र गढ़वाल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए मामले की जांच कर रहे एसीपी निहित उपाध्याय ने कोर्ट में प्रतिवेदन पेश कर आपत्ति ली। इस प्रतिवेदन में कोर्ट को बताया गया है की मामले के सभी आरोपी फरार हैं। कार्रवाई के दिन 5 मार्च को पवन रघुवंशी ने रिश्वत की रकम को स्वयं अपने घर से निकालकर दबिश देने पहुंची पुलिस की टीम को सौंपा था। इसकी विधिवत जब्ती की गई और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई। बाद में एएसआई पवन के कथनों को भी दर्ज किया गया। जमानत न देने पर आपत्ति लेते हुए आगे बताया गया की केस के सभी आरोपियों की बैंक खातों और उनके मोबाइल की कॉल डिटेल की भी जांच की जाना है। वहीं कई अहम बिंदु भी है, जिनकी जॉच जारी है, ऐसे में टीआई गढ़वाल को जमानत का लाभ दिया जाता है तो साक्ष्य को प्रभावित करने की पूरी आशंका है। अपराध की गंभीरता और एसीपी के आपत्ति प्रतिवेदन को देखते हुए कोर्ट ने टीआई को अग्रिम जमानत का लाभ देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। जुनेद / 18 मार्च