नई दिल्ली (ईएमएस)। औषधीय गुणों से भरपूर ‘मौलश्री’ केवल एक खूबसूरत फूल नहीं, बल्कि कई बीमारियों का इलाज भी है। आयुर्वेद में इसे सर्वगुण संपन्न औषधि कहा गया है। मौलश्री को बकुल के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खासियत यह है कि इसके फूल सूखने के बाद भी अपनी भीनी-भीनी खुशबू बरकरार रखते हैं। छोटे-छोटे सफेद फूलों और चमकीले हरे पत्तों वाला यह पौधा दिखने में जितना मनमोहक है, उससे कहीं अधिक यह औषधीय गुणों से भरपूर है। मौलश्री का पौधा साल भर फूल देता है और इसकी खुशबू वातावरण को सुगंधित करती है। यह न केवल घर की सुंदरता को बढ़ाता है बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह पौधा विशेष रूप से दांत और पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभकारी होता है। इसके फूल, पत्तियां, छाल, डंठल और फल सभी का उपयोग किसी न किसी रोग के उपचार में किया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह सूजन को कम करने, संक्रमण को दूर करने और पाचन संबंधी दिक्कतों में राहत देने में कारगर होता है। मौलश्री के फूलों का सेवन पित्त और कफ से राहत दिलाता है। यह योनिस्राव जैसी समस्या, मूत्र मार्ग की जलन और सूजन, हृदय तथा सिर दर्द जैसी परेशानियों में भी राहत देता है। इसके अलावा यह दांतों की मजबूती के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसकी छाल से बने काढ़े का सेवन या पाउडर का उपयोग गर्म पानी या दूध के साथ करने से दांत मजबूत होते हैं। मौलश्री के पाउडर से मंजन करने पर दांत दर्द, हिलना और बदबू जैसी समस्याएं दूर होती हैं। इसके फलों को चबाने से भी दांत मजबूत होते हैं। जानकारों के अनुसार मौलश्री की डंठल से ब्रश करना भी उतना ही लाभकारी होता है जितना नीम से। यहां तक कि पुरानी खांसी को ठीक करने के लिए भी इसके फूलों का पानी पीना लाभदायक माना गया है। सुदामा/ईएमएस 13 अप्रैल 2025