वॉशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस अंदाज में काम कर रहे हैं वो किसी को नहीं पुसा रहा है। उन्होंने टीवी शो के दौरान अपनी खिल्ली उड़ाने पर एक चैनल को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी। अब उनका गुस्सा अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी पर फूट पड़ा। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड पर 2.2 अरब डॉलर की संघीय फंडिंग रोक दी है। यह कदम कैंपस में कथित यहूदी विरोधी माहौल को लेकर भेजी गई सख्त शर्तों की सूची को ठुकराने के बाद उठाया गया है। वाइट हाउस की ओर से हार्वर्ड से उसके गवर्नेंस, नियुक्तियों और प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव की मांग की गई थी। इसके साथ ही डाइवर्सिटी से जुड़ी यूनिट्स बंद करने और अंतरराष्ट्रीय छात्रों की जांच में आव्रजन अधिकारियों से सहयोग करने की भी बात शामिल थी। पिछले वर्ष इजरायल-गाज़ा युद्ध के दौरान अमेरिकी विश्वविद्यालयों में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों की लहर देखने को मिली थी, जिनमें कई जगह पुलिस और इजराइल समर्थक प्रदर्शनकारियों से झड़पें भी हुई थीं। ट्रंप और रिपब्लिकन नेताओं ने इन प्रदर्शनों को हमास समर्थन कहकर निंदा की थी। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन के दो आयोजकों को भी निशाना बनाया है, महमूद खलील को देश से बाहर निकालने की कार्रवाई चल रही है, जबकि मोहसेन महदावी को सोमवार को अमेरिकी नागरिकता की प्रक्रिया के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया। कांग्रेस की रिपब्लिकन नेता एलिस स्टेफानिक ने हार्वर्ड को शैक्षिक पतन का प्रतीक करार देते हुए इसकी पूरी फंडिंग रोकने की मांग की है। कोलंबिया यूनिवर्सिटी में बीते साल फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों की शुरुआत हुई थी, उसने ट्रंप प्रशासन के दबाव के बाद अपने अनुशासनात्मक नियमों में सुधार और सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने जैसे कदम उठाए थे। इसके बावजूद उसे 400 मिलियन डॉलर की फंडिंग में कटौती झेलनी पड़ी। 2.2 अरब डॉलर की ग्रांट रोकी हार्वर्ड के अंतरिम अध्यक्ष एलन गार्बर ने छात्रों और फैकल्टी को लिखे पत्र में सरकार के आदेशों को मानने से इनकार करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी अपनी स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों से समझौता नहीं करेगी। इस पर ट्रंप प्रशासन की संयुक्त यहूदी-विरोधी निगरानी टास्क फोर्स ने प्रतिक्रिया में 2.2 अरब डॉलर की ग्रांट और 60 मिलियन डॉलर के सरकारी अनुबंधों को रोकने की घोषणा की। बयान में कहा गया, हार्वर्ड की प्रतिक्रिया दर्शाती है कि देश के शीर्ष विश्वविद्यालयों में यह भ्रांति फैल चुकी है कि उन्हें करदाताओं की फंडिंग तो मिलनी चाहिए, लेकिन जवाबदेही नहीं होनी चाहिए। वीरेंद्र/ईएमएस/15अप्रैल2025