अंतर्राष्ट्रीय
15-Apr-2025
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वॉशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेशों को लेकर पूरी दुनिया में हलचल मची हुई है। अब 20 अप्रैल को मार्शल लॉ जैसा आदेश लागू होने की संभावना पर अमेरिका में शंका आशंका व्यक्त की जा रही है। ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, तो उन्होंने सबसे पहले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। ये आदेश अमेरिका की दक्षिणी सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने से जुड़ा था। इस आदेश में एक शर्त थी कि कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर के नब्बे दिन बाद राष्ट्रपति ट्रंप 1807 के विद्रोह एक्ट को लागू कर सकते हैं और संभवतः 20 अप्रैल को अमेरिकी धरती पर सेना तैनात कर सकते हैं। इसको लेकर अमेरिका में आशंकाएं जोर पकड़ने लगी हैं कि ट्रंप सेना को घुसपैठ रोकने के लिए अपनी ही धरती पर उतार सकते हैं। विद्रोह अधिनियम मार्शल लॉ से कुछ हद तक अलग है। जबकि मार्शल लॉ में प्रशासन और राज्य के मामलों का पूरा नियंत्रण एक सैन्य जनरल को सौंप दिया जाता है, विद्रोह अधिनियम में राज्य और प्रशासन की शक्तियां अमेरिकी राष्ट्रपति के पास रहती हैं। जो कानून और व्यवस्था लागू करने के लिए चुनिंदा रूप से सैन्य शक्तियों का उपयोग करते हैं। दूसरे शब्दों में, जबकि मार्शल लॉ में सेना को नागरिक सरकार की भूमिका संभालने की अनुमति मिलती है, विद्रोह अधिनियम में सेना को केवल नागरिक अधिकारियों की सहायता करने की अनुमति मिलती है, उनकी जगह लेने की नहीं। 1807 के विद्रोह एक्ट के मुताबिक अमेरिका के राष्ट्रपति कुछ परिस्थितियों और हालातों में कानून को लागू करने के लिए सेना और अमेरिकी राष्ट्रीय गार्ड की तैनाती की अनुमति दे सकते हैं। यह अधिनियम सेना को किसी भी विद्रोह, उथल-पुथल, या किसी भी प्रकार की हिंसा या प्रतिरोध को पूरी तरह से दबाने का अधिकार देता है। जिसमें नागरिकों द्वारा किया गया प्रतिरोध भी शामिल है। विद्रोह अधिनियम के पास पॉसे कोमिटेटस एक्ट को ओवरराइड करने की शक्तियां हैं, जो सामान्यतः हमेशा लागू रहता है। ये कानून अमेरिकी सेना को किसी भी नागरिक कानून प्रवर्तन में भाग लेने या हस्तक्षेप करने से रोकता है। यह अमेरिकी सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ राष्ट्रपति को यह तय करने की पूरी शक्तियां देता है कि कब, कहां और कैसे अमेरिकी सैनिकों को अमेरिका के भीतर तैनात किया जाए। वीरेंद्र/ईएमएस/15अप्रैल2025