नई दिल्ली अमेरिकी टैरिफ से दुनिया भर की अर्थव्यस्था परेशान है लेकिन भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 18 अप्रैल, 2025 को खत्म हुए हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 8.31 अरब डॉलर बढ़कर 686.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया। ये लगातार सातवां हफ्ता है, जब भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान देश में सोने के भंडार में भी इजाफा हुआ है। उधर, पड़ोसी देश पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की खबर है। इसके पहले 11 अप्रैल को खत्म हुए हफ्ते में कुल विदेशी मुद्रा भंडार 1.57 अरब डॉलर बढ़कर 677.83 अरब डॉलर हो गया था। सितंबर, 2024 में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 704.89 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, 18 अप्रैल को खत्म हुए हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) 3.52 अरब डॉलर से बढ़कर 578.49 अरब डॉलर हो गईं। डॉलर में बताई जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी फॉरेन करेंसी के मूल्य में बढ़ोतरी या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, गोल्ड रिजर्व 4.57 अरब डॉलर बढ़कर 84.57 अरब डॉलर हो गया। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) में देश का स्पेशल ड्राइंग राइट (एसडीआर) 21.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.57 अरब डॉलर हो गया। जबकि आईएमएफ में देश का आरक्षित विदेशी मुद्रा भंडार 70 लाख डॉलर बढ़कर 4.51 अरब डॉलर हो गया। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार, भारत के वित्तीय बाजार, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए एक गतिशील और मजबूत ताकत के रूप में विकसित हुए हैं। विदेशी मुद्रा बाजार 2020 में 32 बिलियन डॉलर से लगभग दोगुना होकर 2024 में 60 बिलियन डॉलर हो गया है और ओवरनाइट मनी मार्केट में औसत दैनिक वॉल्यूम इस चार साल की अवधि में लगभग 3 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 5.4 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है। आशीष दुबे / 26 अप्रैल 2025
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