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08-Jul-2025
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नई दिल्ली/कारगिल,(ईएमएस)। भारत की सैन्य शक्ति ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। 26 साल बाद, उस कारगिल एयरस्ट्रिप पर, जहां 1999 में युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने हमला बोला था, अब भारतीय वायुसेना का सबसे भारी विमान सी-17 ग्लोबमास्टर सफलतापूर्वक उतार दिया गया है। यह लैंडिंग सिर्फ एक तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक तैयारियों का पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के लिए एक स्पष्ट और साहसी संदेश भी है। यहां बताते चलें कि फरवरी 2025 में वायुसेना ने पहली बार कारगिल एयरस्ट्रिप पर सी-17 ग्लोबमास्टर की सफल ट्रायल लैंडिंग की थी। इससे पहले जनवरी 2024 में यहां पर सी-130जे सुपर हर्क्यूलिस की नाइट लैंडिंग हो चुकी है। सी-17 की लैंडिंग से अब कारगिल में 24x7 हैवी एयरलिफ्ट ऑपरेशन की क्षमता मिल गई है। कारगिल एयरस्ट्रिप की रणनीतिक अहमियत एलओसी से बेहद नजदीक स्थित यह एयरस्ट्रिप अब तक सीमित ऑपरेशन के लिए ही उपयोग होती थी। यहाँ से टेकऑफ सीधा पीओके की तरफ होता है इस तरह हर उड़ान, हर लैंडिंग खतरे से खाली नहीं हैं। पहले केवल एएन-32 और सी-130जे ही ऑपरेट कर रहे थे, जिनकी पेलोड कैपेसिटी सीमित थी। सी-17 की ताकत: क्या बदल गया? विशेषता : सी-130जे सुपर हर्क्यूलिस सी-17 ग्लोबमास्टर अधिकतम भार क्षमता 6-7 टन 30-35 टन (सर्दियों में) सैनिकों की संख्या 90 180+ साजो-सामान के साथ उड़ान रेंज 3,300 किमी 4,500 किमी (फुल लोड) रनवे की जरूरत कम कठिन एयरस्ट्रिप पर सक्षम अब सेना के टैंक, आर्टिलरी गन, बीएमपी वाहनों, भारी हथियार, हाई एल्टीट्यूड टेंट, राशन, ईंधन—सब कुछ कारगिल तक सी-17 से सीधे पहुंचाया जा सकेगा। इससे लॉजिस्टिक ऑपरेशन चार गुना तेजी से हो पाएंगे। विशेषज्ञों की राय में यह सिर्फ एक लैंडिंग नहीं, बल्कि भारत की रणनीतिक चेतावनी है। अब देश के सबसे कठिन इलाके में भी सी-17 उतार सकता है, यह भारत की एयरलिफ्ट क्षमताओं की पराकाष्ठा है। हिदायत/ईएमएस 08जुलाई25