लेख
27-Apr-2025
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हिमाचल में सड़क हादसों की लकीर नियति ने बहुत गहरी लिख दी है।सड़क हादसे अभिशाप बनते जा रहे है।2025के चार महिनों में हजारो लोग मौत के मुह में समा चुके है। हादसों को देखकर हालात ऐसे बन गए है कि अल सुबह घर से निकले लोग शाम को घर पहुंचेगे इसकी कोई गारंटी नहीं होती है। सड़क हादसों हर रोज घरों के चिराग बूझ रहे है।बच्चे अनाथ हो रहे है।मातओं व बहनों के सिदूंर मिट रहे है। यह सिलसिला अनवरत जारी है। हिमाचल में किन्नौर से लेकर भरमौर तक प्रतिदिन भीषण व दर्दनाक सड़क हादसे होते जा रहे है। एक बार फिर लाशों क़े ढेर लग गए लाशों क़ो ढ़ापने क़े लिए कफ़न कम पड़ गए l 25 अप्रैल 2025 को पंडोह में एक कार के खाई में गिर जाने से एक ही परिवार के पांच लोग मौत की नींद सो गए यह बहुत ही दर्दनाक हादसा हुआ है एक साथ पांच चितायें जलने से हर आँखों से आंसू बह रहे थे शादी का माहौल मातम में बदल गया यह बारात से लौट रहे थे l बीते साल 2024में भी बहुत दर्दनाक हादसे हुए थे यह हादसे बदस्तूर जारी हैं lआकडों के अनुसार 4 दिसंबर 2023 का काला दिन काल बनकर 11 लोगों क़ो लील गया था l तीन सड़क हादसों में कई घरों क़े चिराग़ बुझ गए थे l पहला हादसा शिमला जिला क़े सुन्नी में हुआ था जहाँ एक पिकअप गहरी खाई में गिर गई और छः लोगों की मौत हो गई थी मरने वालों में जम्मू कश्मीर क़े चार लोगों की मौत हो गई थी यह चारों एक ही गाँव क़े रहने वाले थे तथा एक हप्ता पहले ही काम पऱ सुन्नी आये थे l दूसरा हादसा ददाहू संगड़ाह मार्ग पऱ एक टिपर खाई में गिर गया था और दो लोगों की मौत हो गई थी और दो लोग घायल हो गए थे l तीसरा हादसा मंडी जिले क़े गोहर क़े केलोधार में शादी समारोह में भाग लेकर जंजेहली लौट रहे तीन लोगों की कार खाई में गिर गई और तीनों की मौत हो गई थी और दो घायल हो गए थे इस हादसे में पति पत्नी की मौत हो गई l एक दिन में ग्यारह लोगों की मौत से लोग सदमे में है l 2 नवबंर 2023 क़ो करवा चौथ के दिन मंडी व बिलासपुर में दो सड़क हादसों में तीन महिलाओ समेत छह की मौत हो गई थी और आठ लोग घायल हो गए थे यह बहुत ही दर्दनाक हादसा हुआ था जो असमय ही इतनी जिंदगीयाँ लील गया था l करवा चौथ के दिन हुआ यह हादसा कभी नहीं भूलेगा l चारों तरफ चीखो पुकार मच गई थी पल भर में लोग चिथड़ों में बदल गए थे lभीषण सडक हादसे कब रुकेंगे यह एक यक्ष प्रश्न बन गया है l दर्दनाक हादसे में किसी ने अपना पति तो किसी ने अपनी पत्नी खोई है l कोटली व घुमारवीं में हुए इन हादसों से लोग मातम में हैं lवर्ष 2018 में शिमला से 130 किलोमीटर दूर मुगंरा में एक वाहन के खाई में गिरने से 13 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी ।हादसें में मरने वालों में पांच लोग एक ही परिवार के थे मरनेवालों में ज्यादातर चिड़गांव के गावों के थे । मरने वालों में चार महिलाएं आठ पुरुष व एक बच्ची थी । मृतक आपस में करीबी रिश्तेदारथे ।मौत के इस दर्दनाक मंजर में हुई इन अकाल मौतों से हर हिमाचली गमगीन हुआ था ।यह लोग हाटकोटी से उतराखंड में मदिर दर्शन को जा रहे थे।मगर मंदिर पहुचने से पहले ही काल के गाल मे समा गए। हर रोज सड़के खून से लाल हो रही है लाशो के ढेर लग रहे है।लापरवाही से घरों के चिराग असमय बुझते जा रहे हैं। परिवार के परिवार खत्म हो रहे है।लाशो के अग्नि देने वाले भी नहीं बच रहे है।हजारो लोग तामउम्र हादसों का दंश झेल रहे है।पल भर में जीता-जागता आदमी लाशों के चिथड़ों में तब्दील हो रहा है।बच्चे अनाथ हो रहे हैै।प्रदेश में प्रतिदिन हो रहे इस मौत के ताडव को रोकने के लिए कारगर कदम उठाने होगें। इन सड़क हादसों से हर हिमाचली उद्वेलित है। गत वर्ष शिमला के रामपुर के खनेरी में पास बस के खाई में गिर जाने से 28 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। कांगडा के देहरा के ढलियारा में श्रध्दालूओं की एक बस खाई में गिरने से 10 लोगों की मौत हो गई र्थी और 45 के लगभग बुरी तरह से घायल हो गए थे।बस 200 मीटर गहरी खाई में गिरी थी।प्रदेश में हर रोज हादसों का सिलसिला जारी है।प्रतिदिन भीषण हादसे होते जा रहे है ।प्रदेश में एक दिन में 13 लोगों की मौतें बहुत ही दुखद है। प्रदेश में ऐसा कोई दिन नहीं होता जब किसी की सड़क हादसे में मौत न हुई हो हादसों का यह क्रम लगातार जारी है।सबक न सीखना लोागों की आदत बन गया है इतने हादसे हो रहे है मगर सुधार शून्य ही है।इस पर मंथन करना होगा। जनवरी 2023से लेकर अक्टूबर 2025 के चार महिनों में हजारों हादसे हो चुके है और हजारों लोग मारे जा चुके है और यह सिलसिला थमनें का नाम नहीं ले रहा हैै। इससे पहले कई भीषण हादसे हो चुके है।कुछ साल पहले भीषण हादसा मंडी के झिड़ी में हुआ था जब एक निजि बस चालक की लापरवाही के कारण 40 से अधिक लोगों की असमय मौत हो गई थी। व्यास नदी में गिरी इस बस में लगभग 70 सवारियां सवार थी। चालक कथित तौर पर मोबाईल फोन पर बात कर रहा था कि बस अनिंयत्रित हो गई और नदी में समा गई। पल भर में ही यात्री लाशों में तब्दील हो गये। गनीमत रही कि राफटिंग दल ने जान जोखिम में डालकर 17 लोगों की जिदंगियां बचा ली नही तो मरने वालों का आंकडा 60 हो जाता यह हादसा नहीं सरासर हत्या थी कि चालक ने खुद छलांग लगाकर यात्रियों को असमय मौत के मुहं में धकेल दिया। बीते हादसों से न तो यात्रियों ने सबक सीखे और न ही प्रशासन ने कोई सबक सीखा ।अक्सर देखा गया है कि ज्यादातर हादसे ओवरलोडिगं के कारण होते है क्योकि इस 42 यात्रियों कि क्षमता वाली बस में 70 यात्री सफर कर रहे थे। कांगडा के आशापुरी में तथा बिलासपुर केे बंदला में भी ऐसे भीषण हादसे हो चुके हैं। अप्रैल माह में चंबा में भी 12 यवकों की मौत हो गई थी। हमीरपुर में भी मजदूर दिवस के दिन एक टाटा सूमों के खाई में गिरने से 10 मजदूरों की मृत्यु हो गई थी।बीते 2024 में इतने बड़े-बड़े हादसे हुए मगर इसमें सुधार नहीं हुआ।आखिर कब थमेगा यह मौत का मंजर इसका जबाव प्रशासन को देना होगा। प्रतिवर्ष हजारों लोग हादसों का शिकार होते है तथा इतने ही घायल होते है लोग असमय काल के गाल में समाते जा रहे हैं मगर हालात सुधरने के बजाए बिगड़ते ही जा रहे है लोग बीते हादसों को कैसे भूल जातें है हिमाचल में हर रोज लापरवाही के कारण लोगों को मौत नसीब हो रही है अगर लोग जरा सी सावधनी बरते तो हादसों को रोका जा सकता है और अनमोल जीवन को बचाया जा सकता है।बीते हादसों पर नजर उाली जाए तो रौगटे खडे हो जाते है। सड़को पर मौत रेंग रही है और सड़के रक्तरंजित हो रही हैं। अमूमन देखा गया है कि निजि बसेंा के कारण ज्यादातर दुर्घटनाएं हो रही है। क्योकि इन बसों में अप्रशिक्षित चालकों की लापरवाही के कारण भंयकर हादसे हो रहें हैं। मोबाइल पर प्रतिबन्ध है लेकिन इसकी खुजेआम धज्जियां उडाई जा रही है। प्रशासन भी हादसे के कुछ दिन सक्रियता दिखाता है फिर वही हालात हो जातें है। लोग भी किराये में कुछ रियायत के कारण सरकारी बसों में यात्रा न कर निजि बसों को अहमिहत देतें है और जिदंगियों से खिलवाड करवातें है। चंद चंादी के सिक्कांे की खतिर बसों के परिचालक बसों में अपेक्षा से अधिक यात्रियों को बिठाते है और खुद मौत को निमंत्रण देते हैं। प्रतिदिन सडकों पर ओवरलोडिग बसें सरपट दौडती रहती है मगर प्रशासन आखें बंद करके सोया रहता है जब हादसा हो जाता है तब इसकी कुभंकरणी नींद टूटती है । प्रशासन के पहुचनें तक लोगों की सासें खत्म हो चुकी होती है। यदि प्रशासन समय≤ पर कारवाई करता रहे तों इन हादसों पर लगाम लग सकती है। मगर ऐसा नहीं होता ।समझ से परे है कि प्रशासन जितना पैसा राहत कार्यों में बांटता है यदि पहले ही सुरक्षा बरती जाए तो लोगों की अनमोल जिन्दगियां बच सकती हैं। एक व्यक्ति की लापरवाही का खामियाजा लोगांे को जान देकर भुगतना पड रहा है। ऐसे लोगों को सजा-ए -मौत देनी चाहिए जो जानबूझकर लोगों की मौत का कारण बनते हैं। यह हादसा इतने जख्म दे गया कि लोगों को उबरने में वर्षों लग जाएगें। इसमें घरों के चिराग बूझ गये कई बच्चों के सिर से बाप का साया उठ गया तो कई माताओं व बहनों के सुहाग छिन गये, माता -पिता के बुढापे के सहारे असमय काल के गाल मे समा गए। इस हादसे मे आनी के एक परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई। विशेषज्ञ रिपोटों में सामने आता है कि 80 फीसदी हादसे चालकों की लापरवाही के कारण होतें है जबकि 20 फीसदी तकनीकी खराबी के कारण होतें है। हर हादसे के बाद मैजिस्ट्रेट जांच होती है मगर कुछ समय बाद यह भी ठंडे बस्ते में पड जाती है।ऐसे हत्यारे चालकों को सरेआम सजा देनी चाहिए ताकि भविष्य में कीमती जाने बच सके। ऐसे हादसे क्यों नहीं रूक पा रहे है यह एक यक्ष प्रश्न बनता जा रहा है। पुलिस भी इन हादसों को रोकनें में नाकाम साबित हो रही है। पुलिस पैट्रोलिगं करने वाले भी इन दुर्घटनाओं को राकेनें में अक्षम नजर आते है। यदि इस ओवरलोडिगं बस पर शिकंजा कसा होता तो शायद यह हादसा न होता, हर चैराहे पर पुलिस होती है क्या इस पर किसी की नजर नहीं पडी। ऐसे कई सवाल है जिनका जबाब लापरवाह व बहरे हो चुके प्रशासन को देना होगा। सरकार को इन हादसों पर रोक लगानें के लिए सुधारात्मक कदम उठाने होगें मात्र मुआवजा देकर कर्तब्य की इतिश्री नहीं करनी चाहिए। ऐसे चालकों पर हत्या का मामला दर्ज करना चाहिए।परिवहन विभाग को भी ऐसे चालकों के लाईसैसं रद्द करने चाहिए तथा बसों के रूट परमिट भी बंद कर देने चाहिए। सरकार को चाहिए कि क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को भी निर्देश दिए जाएं कि बस अड्डे पर प्रत्येक बस की रूटिन चैकिगं की जाए तथा बीच में भी छापामारी की जाए ताकि दोषी चालको के विरूद्व मौके पर चालान काटा जाए। ऐसे हादसों से जनमानस खौफजदा होता जा रहा है। बसों में मोबाइ्र्रल फोन पर रोक लगाई जाए। अगर अब भी कोई कदम न उठाये तो लोग बेमौत मरते रहेगें। यदि प्रशासन सक्रिय होगा तो ऐसे बेलगाम चालकों पर नकेल कसी जा सकती है तथा लोगों की जिन्दगियां बच सकती हैंl (स्वतंत्र पत्रकार) ईएमएस / 27 अप्रैल 25