लेख
28-Apr-2025
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दक्षिण कोरिया में शादी के पहले होने वाले दूल्हे के पैर में रस्सी बांधकर उसके तलवे में लकड़ी से मारा जाता है ताकि ये पता लग सके कि उसमें कितनी सहनशक्ति है। अपने को तो समझ में नहीं आता कि दक्षिण कोरिया वालों को हो क्या गया है अरे जो दूल्हा बनने जा रहा है वो तो वैसे ही सहनशक्ति वाला होगा जो शादी जैसी चीज के लिए राजी हो गया है ,क्योंकि उसे मालूम है कि उसे तो अब जिंदगी भर सहना ही सहना है जो शादी के लिए तैयार है वो निश्चित तौर पर सहनशील होगा । उसके पैर पर लाठी से मारने से उसकी सहनशक्ति का पता कैसे लगेगा उसकी सहनशक्ति का पता तो शादी के दो चार साल बाद लग पाएगा कि वो बेचारा किन परिस्थितियों में अपनी बीवी के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है। लोग बाग किसी की शादी की वर्षगांठ पर उसे बधाई देते हैं लेकिन अपन जब बधाई देते हैं तो यही कहते हैं आपकी सहनशीलता के लिए बधाई वैसे भी जब इंसान शादी करता है तो समझौता ग़मों से कर लो जिंदगी में गम भी मिलते हैं इसी गीत को आत्मसात कर लेता है । पुरानी कहावत है कि अच्छी पत्नी और अच्छा नौकर बड़ी किस्मत वालों को मिलता है अब किसकी किस्मत अच्छी होती है ये उससे ही पूछ लो जिसने शादी करी हो । दक्षिण कोरिया में ये जो परिपाटी चल रही है उसको देखते हुए अपने को ऐसा लगता है कि वहां की पत्नियां बहुत ज्यादा खतरनाक होती होगी तभी होने वाले दूल्हे के पैरों में लाठी मार कर उसकी सहनशीलता का अंदाजा लगाया जाता है अगर वो दर्द के मारे चिल्लाने लगे तो समझ लो उसकी शादी नहीं हो सकती। ये भी पता लगा है कि शादी के इच्छुक कई युवक लाठी पर लाठी खाते रहे लेकिन उन्होंने उफ़ तक नहीं की शायद इसलिए कि उनकी शादी हो जाए लेकिन जब शादी हुई तब उन्हें पता लगा कि तलवे में लाठी खाना ज्यादा आसान था बनिस्पत बीवी के साथ रहना। बहरहाल अपने देश में भी पत्नी पीड़ित संघ बन चुका है अनेक बीबी पीड़ित पति अपनी अपनी समस्याएं लेकर पीड़ित संघ के पास आ रहे है और उन्हें न्याय दिलाने की गुहार लगा रहे हैं भले ही यह कहा जाता कि ये पुरुष प्रधान समाज है लेकिन कितना ही बड़ा जोधा पुरुष हो बीवी के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है इसमें कोई दो राय नहीं है ।अपना मानना तो ये है कि इन सब चीजों का कोई औचित्य नहीं है तलवे पर लाठी खाना और दिमाग पर लगातार हमले करवाना इन दोनों में जमीन आसमान का अंतर है । बीवी कब नाराज हो जाए, किस बात पर उसको गुस्सा आ जाए, ये कोई पुरुष नहीं जान सकता इसलिए ये भी कहा जाता है त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम देवों न जानती यानी औरत के चरित्र और पुरुष के भाग्य को भगवान भी नहीं जानता। अंग्रेजी में पति को हस्बैंड कहते हैं इसका शाब्दिक अर्थ हिंदी में यही है कि जो हंस हंस कर पत्नी से अपनी बैंड बजवाए वही हस्बैंड कहलाता है इस पर भरोसा मत करो कहने को तो मौसम विभाग की स्थापना इसलिए की गई है कि वो मौसम के बारे में अपना पूर्वानुमान लोगों तक पहुंचाए। वो भी बेचारा इधर-उधर की जानकारी लेकर अपने हिसाब से मौसम के बारे में भविष्यवाणी कर देता है लेकिन मौसम कोई उसके हिसाब से चलने वाला है क्या ?आजकल का मौसम तो नेताओं की संगत में है कब बदल जाए कोई भरोसा नहीं जिस तरह नेता कब कौन सी पार्टी में चले जाएं, कब किसका गुणगान करने लगे, कब किसको गाली देने लगे इसके बारे में वे खुद भी नहीं जानते ठीक वही हाल मौसम का है ना कहो गर्मी में झमाझम बारिश होने लगे, बारिश में कंपकंपाने वाली ठंड पड़ जाए, और ठंड में लू लगने लगे, ये हालत मौसम का है मौसम भी क्या करें जैसी दुनिया चल रही है वो भी उसी तरह का व्यवहार करने लगा है । बेचारे मौसम विभाग वाले अपनी तरफ से तो पूरी कोशिश करते हैं कि जनता को मौसम के बारे में सही-सही जानकारी दे सकें लेकिन उनकी सारी जानकारी मौसम एक ही झटके में फेल कर देता है। अभी बताया जा रहा है इस बरस भारी बारिश की संभावना है और करीब 105 फीसदी तक बारिश हो सकती है लेकिन अपने को मौसम विभाग पर धेले भर का यकीन नहीं है जब मौसम पर यकीन नहीं बचा तो मौसम विभाग पर यकीन कैसे किया जा सकता है? अगर कहीं मौसम ने भी यह पढ़ लिया और सुन लिया कि मौसम विभाग वाले ये बतला रहे हैं कि इस वर्ष भारी बारिश की संभावना है ना कहो मौसम बारिश तो छोड़ो सूखे की नौबत ला दे । अपनी तो हर व्यक्ति को यही राय रहती है कि भैया जब भी घर से निकलो बरसाती ले लो, एक प्याज रख लो, और कोट भी डिक्की में डाल लो क्या पता लू चलने लगे तो प्याज बचा लेगी, बारिश होने लगे तो बरसाती से बच जाओगे, और अगर ठंड पड़ने लगी तो कोट आपको इस ठंड से बचा लेगा। अब इस सलाह को मानना या ना मानना आप पर निर्भर करता है लेकिन अपन तो ये तीनों चीज अपने स्कूटर की डिक्की में डालकर चलते हैं और चलते रहेंगे मौसम जाए भाड़ में अपनी व्यवस्था अपने हाथ । वो मंत्री हैं भाई एक खबर अखबार में आई है कि मध्य प्रदेश में 16 महीने में मंत्रियों के बंगले की सजावट में करीब 13 करोड रुपए खर्च हो गए । विरोधी पार्टी इस पर ऑब्जेक्शन ले सकती है कि जनता का पैसा मंत्रियों के बंगलो पर रिनोवेशन के नाम पर क्यों बर्बाद किया जा रहा है । अरे भाई ये भी तो सोचो कि सरकार के मंत्री है मंत्री कोई छोटी-मोटी चीज होती नहीं कितनी मेहनत करना पड़ती है। पहले टिकिट पाने की जद्दोजहद, फिर चुनाव जीतने के लिए कोशिश विधायक बन गए तो हाई कमान के चक्कर काटने पड़ते हैं बड़े पावरफुल नेताओं की जी हजूरी करना पड़ती है तब कहीं जाकर मंत्री बनने का नंबर आता है । अब जब मंत्री बने हैं तो बंगला भी तो शानदार होना चाहिए। झुग्गी झोपड़ी में तो मंत्री रहेगा नहीं। सौ पचास लोग रोज मिलने आते हैं वो भी देखेंगे कि उनके यहां का विधायक जो मंत्री बन गया है कैसी हालत में रह रहा है अगर उन्होंने देखा कि मंत्री तो दो कमरों के फ्लैट में रह रहा है तो वो समझ जाएंगे इसकी बखत नहीं है वहीं अगर वो दो एकड़ के बंगले में रह रहा होगा तो उससे मिलने आने वाली जनता भी समझ जाएगी कि दमदार मंत्री है तब तो इतने बड़े बंगले में रह रहा है। जनता का क्या है जब आपने उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाया है तो फिर उस प्रतिनिधि की भी ये जिम्मेदारी है कि वो जलवे से रहे। बंगला शानदार रहेगा तो मंत्री की हैसियत का भी पता लगता रहेगा अपने हिसाब से तो ये जो पैसा सजावट में खर्च हुआ है कोई बहुत ज्यादा नहीं है और फिर कौन सा अपनी जेब से मंत्री जी को पैसा देना है सरकारी पैसा है और फिर उसे बंगले में कोई परमानेंट रहवास तो है नहीं मंत्री जी का। कब ऊपर वालों की नजर टेढ़ी हो जाए और मंत्री जी को बंगला खाली करना पड़ जाए इसलिए हर मंत्री यह सोचता है कि जब तक मंत्री हैं अपने बंगले को शानदार तरीके से बना कर रखो क्योंकि भविष्य में क्या से क्या हो जाए किसी नेता को पता नहीं रहता। सुपर हिट ऑफ द वीक तुम शराब में बहुत पैसे बरबाद करते हो, अब बंद करो श्रीमती जी ने श्रीमान जी से कहा और तुम ब्यूटी पार्लर में 5000 का कबाड़ा करके आती हो उसका क्या? वो तो मैं तुम्हें सुंदर लगूं इसलिए...श्रीमती जी ने बताया पगली तो में भी तो इसलिये पीता हूं कि तू मुझे सुंदर लगे श्रीमान जी ने भी उत्तर दे दिया। (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) ईएमएस / 28 अप्रैल 25