ए.क्यू. खान ने चोरी कर लाया परमाणु ब्लूप्रिंट इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसके बाद से पाकिस्तान परमाणु बम की धमकी देने लगा है। पाकिस्तान के रेलमंत्री हनीफ अब्बासी ने खुलेआम कहा, हमारे पास गौरी, शाहीन, गजनवी मिसाइलें हैं, 130 परमाणु हथियार हैं, और ये सब भारत के लिए तैयार हैं। लेकिन पाकिस्तान जिस बम की बात करता है, वहां बम उसका अपना है भी नहीं बल्कि यह चोरी का माल है, और इसकी कहानी जासूसी, धोखे और ग्लोबल स्मगलिंग से जुड़ी है। दरअसल 1971 के युद्ध में जब पाकिस्तान को भारत से करारी हार मिली। तब पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने परमाणु बम बनाने का ऐलान कर दिया। नीदरलैंड में यूरेनको कंपनी में तब अब्दुल कादिर खान यानी ए.क्यू. काम करता था। बात दें कि ए.क्यू. खान को ही पाकिस्तान के परमाणु बम का जनक कहा जाता है। ए.क्यू 1974-75 में यूरेनको से यूरेनियम संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज तकनीक के गोपनीय ब्लूप्रिंट चुराकर पाकिस्तान आ गया। बात दें कि ए.क्यू का जन्म भोपाल में 1936 में हुआ था। बाद में वह 1952 में पाकिस्तान चला गया। परमाणु ब्लूप्रिंट चुराने के बाद जब पाकिस्तान पहुंचा, तब भुट्टो ने खान को अनलिमिटेड फंडिंग और काम में आजादी दी। अपने सभी हार्डवेयर को वह स्मग्लिंग के जरिए पाकिस्तान लाया। पाकिस्तान में खान ने एक लैबोरेटरी तैयारी की। जिसे खान रिसर्च सेंटर के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान में कोई भी हार्डवेयर नहीं बन रहा था, इसकारण यह नहीं पता चल पाया कि पाकिस्तान परमाणु बम के करीब है। शुद्ध यूरेनियम पाने के बाद अगला कदम था असली परमाणु बम बनाने की तकनीक हासिल करना। इसके लिए पाकिस्तान ने चीन से मदद ली। चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान को मदद देने के लिए तैयार हो गया। नीदरलैंड से चुराए गए ब्लूप्रिंट का लालच देकर पाकिस्तान ने बम बनाने में सहायता मांगी। चीन ने प्रस्ताव को स्वीकार किया। चीन ने बम के डिजाइन के साथ-साथ परमाणु बम बनाने में भी मदद की। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान को उसने रिंग मैग्नेट दिया, जो बम के ट्रिगर मैकेनिज्म के लिए जरूरी है। चीन ने एम-9 और एम-11 मिसाइलें दीं। 1978 से 1988 के पूरे दशक में पाकिस्तान सीक्रेट बमों को बनाने में लगा रहा। 1998 में पाकिस्तान ने भारत के बाद अपने बम का परीक्षण किया। इस्लामिक देशों में इकलौता पाकिस्तान है, जो परमाणु संपन्न है। कई बार वह अपने बम को इस्लामिक बम भी कहता है, लेकिन उसके बम में शायद ही कुछ इस्लामिक हो। आशीष दुबे / 28 अप्रैल 2025
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