लेख
29-Apr-2025
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केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने मध्य प्रदेश के शराब कारोबारियों से जुड़े हुए फर्जीवाडे को लेकर 11 शराब कारोबारी के 18 ठिकानों पर छापेमारी की है। इस छापामारी में 49 करोड़ 42 लाख रुपए की धोखाधड़ी और सरकारी खजाने मे और वह रुपए की डकैती डालने का मामला सामने आया है। ईडी ने मनी लॉंड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत कार्रवाई की है। जांच एजेंसी को छापे के दौरान कई ऐसे दस्तावेज और जानकारियां प्राप्त हुई हैं, जिससे करोड़ों-अरबों रुपए का किया गया घोटाला मध्य प्रदेश में उजागर हुआ है। मध्य प्रदेश में 2015-16 मे पहली बार यह मामला उजागर हुआ था। उस समय इस मामले को दबा दिया गया था। हाल ही में ईडी की टीम ने जब छापा मारकर जांच शुरू की। उसके बाद एक के बाद एक नए फर्जीवाड़े की परतें खुलकर सामने आनी शुरु हो गईं हैं। 2015-16 से 2017-18 के बीच चालानो में फर्जीवाडा किया गया। जिससे सरकार को अरबो रुपए का नुकसान उठाना पड़ा। बैंक गारंटी के रूप में फर्जी गारंटी प्रस्तुत की गई। शराब कारोबारियों द्वारा दस्तावेजों में हेराफेरी करके करोड़ों रुपए का नुकसान सरकारी खजाने को पहुंचाया गया। सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से शराब कारोबारी फर्जीवाड़ा कर रहे थे। इस लूट में सभी शामिल थे। जब मामला सामने आया, तब तत्कालीन आबकारी मंत्री की भूमिका संदेहासप्रद रही। आबकारी विभाग के जिस अधिकारी संजीव दुबे की सरपरस्ती में आबकारी विभाग में करोड़ों रुपए के घोटाले हुए थे, 2017 में उसकी एफआईआर दर्ज हुई। क्योंकि इस लूट में आबकारी विभाग के महत्वपूर्ण पदों में बैठे लोग शामिल थे अत: मामले को दबा दिया गया। जब यह मामला उजागर हुआ, तब शराब ठेकेदारों ने 22 करोड़ रुपए सरकार के खाते में जमाकर मामले को दबबा दिया था। इस मामले को दबाने मे आबकारी विभाग के अधिकारी और तत्कालीन मंत्री की भूमिका थी। उस समय सभी जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए पदाधिकारियों ने इस लूट में अपना-अपना हिस्सा वसूल किया था। 2017 से यह मामला ईडी के पास लंबित पड़ा हुआ था। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों द्वारा बार-बार जानकारी मांगी गई। उसके बाद भी आबकारी विभाग द्वारा ईडी को समय पर जानकारी नहीं दी जा रही थी। ईडी ने शराब कारोबार से जुडे ठेकेदारों और अधिकारियों की जांच अपने स्तर पर कर 18 ठिकानों पर छापेमारी की है। अभी तक लगभग 50 करोड़ रुपए के सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाने वाले दस्तावेजों को ईडी ने जप्त किया है। इस मामले की जिस तरह से ईडी जांच कर रही है, उससे अरबो रुपए की धोखाधड़ी के नए मामले उजागर होने की संभावना ईडी के अधिकारियों ने व्यक्त की है। शराब कारोबारियों और आबकारी विभाग के अधिकारियों तथा राजनेताओं की मिली भगत से बड़े पैमाने पर अरबों रुपए के घोटाले हर राज्य में हो रहे हैं। दिल्ली का मामला पिछले कई वर्षों से चर्चाओं में है। मध्य प्रदेश मे भी हर साल सैकड़ों करोड़ रुपए का घोटाला शराब कारोबारियों और आबकारी विभाग की मिलीभगत से होता है। शराब कारोबार मे सरकारी खजाने को सुनियोजित रूप से नुकसान पहुंचाया जाता है। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय के निशाने पर शराब कारोबार से जुड़े किस तरह के अपराध होते हैं, यह मामला सामने आ चुका है। केंद्रीय परिवर्तन निदेशालय द्वारा आबकारी विभाग में चल रहे घोटाले की ट्रैकिंग पिछले कई महीनो से की जा रही थी। सही तरीके से कार्रवाई हुई, तो इसमें बड़े-बड़े खुलासे होंगे। यह मामला मध्य प्रदेश का है। देशभर में इसी तरीके से फर्जी दस्तावेजों के जरिए बड़े पैमाने पर सरकारी खजाने में घोटाले किए जा रहे हैं। ट्रेजरी में चालान से और ऑनलाइन ट्रांसफर की गई राशि का मिलान कई-कई वर्षों तक नहीं हो पाता है। अधिकारियों की कोई रुचि नहीं रहती है। जिस तरीके से ट्रेजरी में लेन-देन बढ़ रहा है। वित्त मंत्रालय और वित्त विभाग के पास जो दस्तावेज प्रस्तुत किए जाते हैं। सरकार के खातों में जो रकम जमा होती है। उसका मिलान करने का सिस्टम नहीं होने से हर राज्य में अरबो रुपए की धोखाधड़ी बदस्तूर जारी है। विभागों और वित्त मंत्रालय की ट्रेजरी के बीच में ऐसा कोई तरीका नहीं अपनाया जाता है, जिससे यह पता लगे, कहां पर किस लेवल पर गड़बड़ी हो रही है। ईडी ने इस मामले में छापे डाले हैं। निश्चित रूप से नए-नए खुलासे होंगे। धोखाधड़ी और दस्तावेजों में हेरा-फेरी करके राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को अरबोँ रुपए का नुकसान हर महीने पहुंचाया जा रहा है। उसमें रोक लगेगी, यही आशा की जा सकती है। ईएमएस / 29 अप्रैल 25