आज अधिक से अधिक हिंदी विज्ञान संस्थानो का कभी बुरा दौर चल रहा है जो चिंता की बात है अच्छे समय में सब साथ रहते हैं और बुरा समय में सब भागने लगते हैं या मज़ाक का पात्र बन जाते हैं हिंदी विज्ञान की सबसे पुरानी संस्थान, विज्ञान परिषद, प्रयाग, प्रयागराज की स्थापना सन 1935में हुई और उसकी पत्रिका विज्ञान शायद 2साल बाद 1937 में प्रकाशित हुई दरअसल हिंदी में सबसे पुरानी विज्ञान की पत्रिका विज्ञान ही थी जो आजादी के बाद से अब तक चल रही है उसका भी कोरोना के बाद आर्थिक संकट में घिर गई और लोगों से मदद मांगकर पत्रिका को 2औऱ 3अंक साथ मिलाकर चलानी पड़ी, बाद में विज्ञान परिषद, प्रयाग जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय,प्रयागराज के जमीन पर बनी थी वो कहीं से फंड न मिलने के कारण, हॉल व जो कमरा बनवाया था उसे किसी कार्यक्रम में पैसा लेकर बुक करने की नौबत आई,2013 में विज्ञान परिषद का शताब्दी सामारोह में बहुत से विज्ञान लेखकों को सम्मान मिला जिन्होंने सहायता राशि भी दि जिसमें मुझे भी बुलाया गया उससे पहले उस समय के विज्ञान और प्रोधोगिकी विभाग के सचिव ने विज्ञान परिषद का दौरा किया और परिषद के शताब्दी समारोह हेतु 1करोड़ की राशि को स्वीकृति दि और बहुत धूमधाम से शताब्दी सामारोह हुआ जिसमें शुरुआत में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब ने उसका उद्धघाटन किया, जिसमें जाने माने परमाणु वैज्ञानिक, और भारत सरकार के पूर्व वैज्ञानिक सलाहकार डॉ (स्व ) आर चिदमरम सर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे और विज्ञान परिषद के प्रधानमंत्री डॉ शिवगोपाल मिश्र ने उनका स्वागत किया और अतिथि के कर कमलों द्वारा विज्ञान परिषद की स्मारिका व पुस्तक का विमोचन हुआ इधर हिंदी विज्ञान में एक और नई क्रांति मुंबई के वैज्ञानिकों ने 1968 में हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद की नींव रखी और 2साल बाद वैज्ञानिक पत्रिका का सतत प्रकाशन हुआ जो आज भी ऑनलाइन माध्यम से चल रही है औऱ हाल ही में महान वैज्ञानिक डॉ आर चिदंबरम के निधन पर वैज्ञानिक का जनवरी -मार्च 25 का अंक डॉ चिदंबरम स्मृति विशेषाँक निकाल कर श्रद्धांजलि अर्पित की अतः राष्ट्रीय अस्तर पर हिंदी विज्ञान साहित्य परिषद ही एक मात्र ऐसी संस्था बची है जो इन उद्देश्यों क़ो पूर्ण कर सकती 11मई 25क़ो 10:30बजे रविवार, क़ो नई कार्यकारिणी का गठन हेतु 11 मई 25 को अनुशक्तिनगर में विशेष आम सभा बुलाई गई है आम सभा में चुनाव कार्यकारिणी समिति 25-27 हेतु सभी आजीवन सदस्यों को सचिव श्री सत्य प्रभात प्रभाकर व श्री राजेश कुमार सह सचिव ने परिषद परिषद के आगे आने वाले कार्यक्रम के बारे में बात करेंगे , बाद में नई संपादक मंडल व व्यवस्थापन मंडल के सदस्य बनाए जायेंगे व नई कार्यकारिणी के सदस्यों को वर्तमान कार्यकारिणी के को अब परिषद के आगे के कार्यक्रम के बारे में बताया जायेगा जो सभा में उपस्थित सभी लोगों ने स्वीकार हो परिषद के सभी आजीवन सदस्यो से अपील है कि पुनः आम सभा में उपस्थित है क्योंकि वैज्ञानिक के वर्तमान अंक में डॉ आर चिदंबरम के विशेष अंक का सफल प्रकाशन से उन्हें याद किया गया महान परमाणु वैज्ञानिक का भारत में नाभिकीय ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया औऱ पोखरण 2 परमाणु परीक्षण में मुख्य भूमिका थी खासबात यह है कि वे बहुत पहले हिन्दी विज्ञान के अध्यक्ष भी थे और उनका आकस्मिक निधन मुंबई में परमाणु वैज्ञानिक डॉ. चिदंबरम का 4 जनवरी 2025 में 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया, वे भारत के परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख वास्तुकारों में से एक थे., हिंदी के कार्यकारिणी समिति के चुनाव हेतु कृप्या ईमेल - hvspelection@gmail.com पर 5दिन के अंदर आवेदन पत्र भेज दे. हिन्दी विज्ञान की लोकप्रिय पत्रिका वैज्ञानिक से जुड़े सभी विज्ञान लेखकों पाठकों और सृजनशील व्यक्तियों के निरंतर सहयोग, स्नेह, विश्वास और वैज्ञानिक से लगाव है। इसके मुख्य संपादक श्री राजेश कुमार मिश्र हैं व संपादकीय बोर्ड के सदस्य सर्वश्री, राजेश कुमार, केके वर्मा, डॉ संजय कुमार पाठक व वैज्ञानिक के व्यवस्थापक ,सर्वश्री श्री नवीन त्रिपाठी, बी.एन. मिश्र,अनिल अहिरवार, प्रकाश कश्यप, बधाई के पात्र हैँ.विज्ञान साहित्य का ऐसा मिला-जुला ढंग उस साहित्य के सृजन में सहायक होता है जो पूर्णत: भौतिकवादी होता है तथा शुद्ध कला का निर्माण नहीं करता है.हिंदी विज्ञान की पत्रिका वैज्ञानिक का योगदान विज्ञान संचार हेतु जरुरी है ताकि इससे नवविज्ञान लेखकों क़ो एक वैज्ञानिक मंच मिल सके। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 30 अप्रैल /2025