लेख
30-Apr-2025
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ये अपने केंद्रीय मंत्री है ना जो नितिन गडकरी जी, कभी-कभी बड़ी मार्के की बात करते हैं अभी हाल में उन्होंने बताया कि ये जो गाड़ियों में जोर-जोर के कर्कश हॉर्न रहते हैं उनको निकलवा कर उनकी जगह अब ऐसे हॉर्न लगाए जाएंगे जिन में हारमोनियम की, तबले की, बांसुरी की, गिटार की आवाज सुनाई पड़ेगी ताकि इन कर्कश हॉर्न से जो ध्वनि प्रदूषण होता है वो खत्म हो सके, वैसे विचार तो बहुत अच्छा है कि जिस तरह के कर्कश हॉर्न आजकल गाड़ियों में लगाए जाते हैं उसको सुनकर अपने आप हथेलियां कानों पर लग जाती है लेकिन अब इस बात पर विचार हो रहा है कि जो हारमोनियम, तबला, बांसुरी, गिटार की आवाज में हॉर्न में बजेंगे ये कौन सी राग में रहेंगे यमन में होंगे या भैरवी में, इसके अलावा यह भी देखना होगा कि हारमोनियम के साथ तबला भी बजेगा कि नहीं या अकेले हारमोनियम की आवाज निकलेगी। अपने को तो लगता है कि अब सड़कों पर राग रागिनी बजती नजर आएंगी और इनमें गाने भी अच्छे खासे फिक्स हो सकते हैं जैसे कोई व्यक्ति बहुत तेज गाड़ी चल रहा है तो उसके पीछे का कार चालक अपना हॉर्न बजाएगा और उसमें से ये धुन निकलेगी जरा होले होले चलो मेरे भाई जी हम भी पीछे हैं तुम्हारे यदि दो गाड़ियां आपस में भिड़ जाएंगी तो दोनों अपना अपना हॉर्न जोर जोर से बजाएंगे और उससे यह गीत निकलेगा ए भाई जरा देखकर चलो आगे ही नहीं पीछे भी, दाएं ही नहीं बाएं भी, ऊपर ही नहीं नीचे भीकोई वाहन चालक अचानक ही सड़क पर बिना कोई संकेत दिए रुक जाएगा तो उसके पीछे वाला जब उससे पूछेगा कि भाई साहब कम से कम कुछ संकेत तो देते थे तो वो हॉर्न बजाएगा और उसमें से ये गीत निकलेगा चलते-चलते यूं ही कोई मिल गया था सरे राह चलते चलते कभी कोई वाहन चालक तेज गति से चलता हुआ नजर आएगा तो उसके पीछे वाला अपना हॉर्न बजाकर चेतावनी देगा बाबूजी धीरे चलना जाम में जरा संभलना वैसे भी जाम तो आजकल हर शहर में एक आम बात हो गई है, ट्रैफिक पुलिस को जाम से कोई लेना देना है नहीं उसका तो एक ही काम है चालान करो और नोट अपनी जेब में डालो थोड़ा बहुत माल सरकार के पास भी चला जाता है लेकिन अधिकांश माल तो उनके ही जेब में जाता है ,कई बार तो ये स्थिति बन जाएगी कि कोई नया जोड़ा काफी देर से जब जाम में फंसा रहेगा तो गुस्से में जोर-जोर से हॉर्न बजाएगा जिसमें से एक ही आवाज आएगी चलो दिलदार चलो चांद के पार चलो नई बीवी बोलेगी हम भी तैयार चलो ऐसे ही कभी जब कोई वाहन चालक किसी चौराहे पर पहुंचकर ये नहीं निर्णय कर पाएगा कि वो कहां जाए और गलती से उसका हाथ हॉर्न पर लग जाएगा तो यही गीत लोगों को सुनाई पड़ेगा मैं इधर जाऊं या उधर जाऊं बड़ी मुश्किल में हूं मैं किधर जाऊंलेकिन ऐसा नहीं है नितिन गडकरी जी ने बिल्कुल निराशा वाली बात कर दी भले ही कितना ही जाम लगा हो, कितनी ही भीड़ हो, गाड़ियां हिल रही हो फिर भी हॉर्न से यही आवाज आएगी रुक जाना नहीं तू कभी हार के कांटों से चलकर मिलेंगे साए बहार के और कितनी मोटी चमड़ी कर ले प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यसभा सांसद विवेक तंखा के बीच मानहानि के मुकदमों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी मजेदार टिप्पणी करी उन्होंने कहा कि आप दोनों कोर्ट के बाहर इस मामले को निबटा लो और वैसे भी नेता को मोटी चमड़ी का होना चाहिए ।अपने को ये बात पल्ले नहीं पड़ी क्योंकि अभी तक तो यही माना जाता था कि नेता बहुत मोटी चमड़ी का होता है उसको कुछ भी कहते रहो उसको कोई असर नहीं होता माना तो ये भी जाता है कि जितनी मोटी चमड़ी कछुए और मगरमच्छ की होती है उससे भी ज्यादा मोटी चमड़ी नेताओं की होती है और क्यों ना हो आरोपों की जो बरसात उन पर होती है अगर जरा जरा सी बात पर बुरा मानने लगे तो हो गई नेतागिरी। वैसे भी अगर नेतागिरी में आना है तो आपको अपनी चमड़ी मोटी करना ही पड़ेगी ,अगर पतली चमड़ी लेकर नेतागिरी में आ गए तो कुछ दिन बाद नेतागिरी से बाहर कर दिए जाओगे । कितना हल्ला नहीं मचाती जनता, कितनी खबरें नहीं छपती अखबारों में, टीवी में, नेताओं के बारे में, लेकिन उनको कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि उनकी चमड़ी खुद-ब-खुद नेता बनते से ही मोटी हो जाती है सुप्रीम कोर्ट फिर भी कह रहा है कि चमड़ी मोटी होना चाहिए अपने को तो समझ में नहीं आता कि इतनी मोटी चमड़ी के बाद भी अब सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है कि और मोटी चमड़ी करो तो आखिर कितनी मोटी चमड़ी करें बेचारे नेता । चमड़ी का बोझ भी तो उनको ही उठाना है ऐसा ना हो कि चमड़ी मोटी करते-करते चलने फिरने से भी मोहताज हो जाए वो । वैसे सुप्रीम कोर्ट ने भले ही हास परिहार में टिप्पणी की हो लेकिन उनकी ये टिप्पणी सच्चाई के बिल्कुल करीब है, अब देखना होगा कि सांसद जी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को कितना मानते हैं और अपने मामा जी के साथ समझौता करते हैं या नहीं । मंत्री जी को गुस्सा क्यों आता है कुछ बरस पहले एक फिल्म आई थी अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है आजकल अपने ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल जी को अल्बर्ट पिंटो की तर्ज पर गुस्सा बहुत आ रहा है। ज्यादा वक्त नहीं बीता जब उन्होंने भरी सभा में जनता को भिखारी बतला दिया था। भारी हल्ला मचाया कांग्रेसियों ने देखो मंत्री जी कितने अहंकार में है जिस जनता से वे वोट की भीख मांगते हैं उसी जनता को भिखारी कह रहे हैं लेकिन मंत्री जी तो मंत्री जी है एक वृक्षारोपण के कार्यक्रम में अफसर को कह दिया साले तुम लोगों की नौटंकी बहुत अच्छी तरह समझता हूं गर्मी में भी कहीं वृक्षारोपण होता है इसी चक्कर में वो अधिकारी भी सस्पेंड हो गया अब मंत्री जी ने फिर एक बार साफ कह दिया है सरपंचों से, । मेरे पास नाली, रोड, बाउंड्री वॉल, स्टॉप डैम के लिए पैसा मांगने मत आना यदि तुम लोगों ने वास्तव में इस पैसे का सदुपयोग किया होता तो आज जगह-जगह स्टॉप डैम, नाली और सड़के बन जाती । लोग बात कह रहे हैं कि जब मंत्री जी केंद्रीय मंत्री थे तब इतना गुस्सा नहीं करते थे लेकिन जब से राज्य सरकार में मंत्री बने उनका गुस्सा सातवें आसमान में पहुंच गया है अब इसके पीछे क्या कारण है ये तो मंत्री जी ही बताएंगे लेकिन आजकल जनता को, अफसरों को मंत्री जी से बात करने में डर सा लगने लगा है कि पता नहीं मंत्री जी कौन सी बात पर क्रोधित हो जाएं। वैसे अपनी मंत्री जी को सलाह है कि क्रोध पर नियंत्रण रखिए । क्रोध, लोभ ,मोह, माया ये सब इंसानी कमजोरी है लेकिन आप तो मंत्री हो आपको तो अपने गुस्से पर काबू रखना पड़ेगा क्योंकि जनता तो आपके दरबार में ही आएगी क्योंकि आप जनता का प्रतिनिधित्व करते हो और जब जनता का प्रतिनिधित्व करते हो तो फिर उनकी बातें भी सुनना पड़ेंगी। सुपर हिट ऑफ द वीक श्रीमान जी ने अपने मित्र को बताया कि वे पिछले बीस बरस से गीता के उपदेश सुनते आ रहे हैं बड़े धार्मिक हैं आप मित्र ने बड़े सम्मान के साथ कहा आप समझे नहीं दरअसल गीता मेरी धर्मपत्नी का नाम है श्रीमान जी ने उन्हें समझाया (यह लेखक के व्य‎‎‎क्तिगत ‎विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अ‎निवार्य नहीं है) ईएमएस / 30 अप्रैल 25