लंदन (ईएमएस)। हेल्थ विशेषज्ञों के अनुसार, जंक फूड में खराब वसा, अधिक मात्रा में चीनी और प्रोसेस्ड पदार्थ शामिल होते हैं, जो शरीर में मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल और टाइप-2 डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे को बढ़ाते हैं। लिवर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए अच्छी नींद लेना और जंक फूड से दूरी बनाना बेहद जरूरी है। इन बीमारियों के चलते नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफडी) का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। यह बीमारी समय के साथ सिरोसिस या लिवर कैंसर जैसी गंभीर स्थितियों में बदल सकती है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि जंक फूड को रोजाना खाने की आदत लिवर के लिए बेहद हानिकारक है। उनके अनुसार, जंक फूड का नाम ही बताता है कि यह कचरे के समान है और इसे डस्टबिन में डाल देना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति अपने पेट और आंतों को कचरे का डिब्बा नहीं समझता, तो उसे ऐसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए केवल सही खानपान ही नहीं, बल्कि पर्याप्त और सही समय पर नींद लेना भी आवश्यक है। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो लोग ठीक से नींद नहीं लेते, उनमें फैटी लिवर डिजीज होने का खतरा कई गुना अधिक बढ़ जाता है। देर रात जागने और देर से भोजन करने की आदतें पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को भी प्रभावित करती हैं, जो शरीर की संपूर्ण सेहत के लिए आवश्यक हैं। रात को देर से खाना खाने से वसा और कार्बोहाइड्रेट का पाचन ठीक से नहीं हो पाता, जिससे ये तत्व लिवर में जमा हो जाते हैं और लिवर को नुकसान पहुंचाते हैं। विशेषज्ञों ने लोगों को सलाह दी है कि वे जीवन में पैसा, ताकत और ऊंचे पदों के पीछे भागते हुए अपनी सेहत की अनदेखी न करें, क्योंकि एक स्वस्थ शरीर और अच्छी नींद ही असली खुशी का आधार है। नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, जिसे अब मेटाबोलिक डिस्फंक्शन-एसोसिएटेड स्टीटोटिक लिवर डिजीज (एमएएफएलडी) के नाम से जाना जाता है, उन लोगों को भी हो सकती है जो शराब का सेवन नहीं करते। यह बीमारी डायबिटीज, मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे कारकों के कारण विकसित होती है। भारत में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है और हर दस में से तीन लोग इससे प्रभावित हैं। सुदामा/ईएमएस 30 अप्रैल 2025