नई दिल्ली (ईएमएस)। बिहार चुनाव से पहले पीएम मोदी ने जाति जनगणना कराने का दांव खेलकर पूरे विपक्ष से मुद्दा ही छीन लिया है। नई जनगणना के साथ ही अब जातियों की गिनती भी होगी। उसके बाद आरक्षण बढ़ाने का दांव खेला जाएगा। संविधान में आरक्षण की जो 50 फीसदी सीमा है, उसे तोड़ने की बात पहले ही राहुल गांधी कह चुके हैं। तो फिर किसका हक मारा जाएगा? किसको फायदा होगा? भारत में अभी तक केंद्रीय स्तर पर न तो कोई जाति जनगणना हुई है और ना ही कोई सर्वे हुआ है। इसलिए कहां, कितनी और कौन सी जातियां हैं, इसके बारे में पुख्ता तौर पर कोई जानकारी मौजूद नहीं है। बिहार समेत कई राज्यों में जातिगत सर्वे जरूर हुए हैं, जो बताते हैं कि ओबीसी और अन्य पिछड़ा वर्ग की संख्या ज्यादा है। साथ ही दावा ये भी किया जाता है कि जितनी इन जातियों की संख्या है, उसके हिसाब से उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है। बिहार में जो सर्वे हुआ उसके मुताबिक पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी जबिक अति पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी है। अभी बिहार में ओबीसी को 12 फीसदी जबिक अन्य पिछड़ा वर्ग को 18 फीसदी रिजर्वेशन मिला हुआ है। अगर इसको मानकर जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी वाला फार्मूला लागू करें तो ओबीसी+ईबीसी की जनसंख्या 63 फीसदी से ज्यादा हुई यानी इन्हें 63 फीसदी आरक्षण दिया जाना चाहिए। इस तरह बिहार में एससी और एसटी 20 फीसदी से ज्यादा हैं। उन्हें 17 फीसदी आरक्षण मिला है। जब ओबीसी को ज्यादा आरक्षण मिलेगा तो वे भी बढ़ाने की डिमांड करेंगे। ऐसे में आरक्षण कहां से दिया जाएगा। इसका सीधा जवाब है कि सामान्य वर्ग का आरक्षण काटकर इन जातियों को दिया जाएगा जिनकी आबादी बिहार के जातिगत सर्वे में सिर्फ 15 फीसदी है, लेकिन अभी 50 फीसदी सामान्य आरक्षण है। हालांकि इसमें सारी जातिंया शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी करीब 35 फीसदी, जबकि अनुसूचित जाति की आबादी 16.6 फीसदी है। अनुसूचित जनजाति की आबादी 8.6 फीसदी और सामान्य वर्ग की आबादी करीब 25 फीसदी बताई जाती है। अगर यही सच हुआ और इस आधार पर आरक्षण दिया तो सियासत का पूरा खेल बदल जाएगा। बीजेपी को ओबीसी समुदाय से बड़ा वोट मिलता है, देशभर में इनकी आबादी 52 फीसदी के आसपास होगी। बीजेपी अब पूरी तरह इन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी। बीजेपी यह दिखाना चाहेगी वह हिंदुओं के हित के बारे में सोचती है। वह मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ मैदान में उतरेगी, जिसकी कोशिश कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल बार-बार करते रहे हैं। बीजेपी को पता था कि जाति जनगणना न कराकर वह खुद के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है। ऐसे में पीएम मोदी ने बड़ा दांव चल ही दिया है। अब देखना है कि आने वाले चुनावों में इसका क्या असर पड़ता है। सिराज/ईएमएस 03 मई 2025