राष्ट्रीय
06-May-2025
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मुंबई, (ईएमएस)। आज की व्यस्त जिंदगी में बांझपन एक बहुत ही आम बात मानी जाती है। उपचार के बाद भी गर्भधारण में कठिनाइयां आती हैं, यही कारण है कि आजकल कई दम्पति बच्चे गोद ले लेते हैं और उनकी परवरिश की जिम्मेदारी उठा लेते हैं। हालाँकि, यह कानूनी प्रक्रिया बहुत समय लेने वाली है, और भावी माता-पिता को बच्चा गोद लेने से पहले लगभग साढ़े तीन साल तक इंतजार करना पड़ता है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस धीमी प्रक्रिया को गंभीरता से लिया है और सुमोटो (स्वतः संज्ञान) याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को इस याचिका पर विस्तार से अपनी स्थिति स्पष्ट करने के निर्देश जारी किए हैं। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को 23 जून को अगली सुनवाई में इस याचिका पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने का आदेश दिया है। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने मामले में कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे एवं एडवोकेट को नियुक्त किया था। गौरव श्रीवास्तव को एमिकस क्यूरी (न्यायालय मित्र) नियुक्त किया गया। केंद्र सरकार, केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण और अन्य प्रतिवादियों को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के आदेश जारी किए गए हैं। संजय/संतोष झा- ०६ मई/२०२५/ईएमएस