13-May-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। हरियाणा रोडवेज के एक कंडक्टर को 110 रुपये के धोखाधड़ी के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने 20 साल बाद बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने कंडक्टर के खिलाफ अनुशानिक और अपीलीय प्राधिकरण के ऑर्डर को रद्द कर दिया। साथ ही अपने विशेषाधिकार का उपयोग करते आदेश दिया कि कंडक्टर की जो भी सैलरी और अन्य भत्ते रोके गए वो उसे तीन माह में दिए जाएं। दरअसल, कडंक्टर की हरियाणा रोजवेज में नियुक्ति साल 1981 में हुई थी। घटना के समय वो हरियाणा रोडवेज की उस बस में कंडक्टर था, जो हरियाणा से दिल्ली के बाहरी क्षेत्रों में चल रही थी। निरिक्षकों ने कडंक्टर को पांच भिन्न मामलों में धोखाधड़ी करते पाया था। पहली बार कंडक्टर पर धोखाधड़ी के आरोप साल 2006 में लगे। इसके बाद चार और धोखाधड़ी के आरोप कंडक्टर पर लगे। आरोप था कि कंडक्टर ने यात्रियों से कुल 110 रुपये वसूले और टिकट नहीं दिए। मामला अनुशानिक और अपीलीय प्राधिकरण के पास पहुंचा, जहां प्राधिकरण ने माना की कंडक्टर पर धोखाधड़ी और वरिष्ठ अधिकारियों से दुर्व्यवहार करने जो आरोप लगे हैं वो सही हैं। इसके बाद कंडक्टर को नियुक्ति से लेकर काम के दौरान तक के सभी लाभों से वंचित कर दिया गया। साथ ही उसकी नौकरी से भी निकाल दिया गया। अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस प्रतीक जालौन की पीठ ने कहा कि कंडक्टर पर यात्रियों को टिकट नहीं देने और पैसा वसूलने का आरोप है। ये इस मामले का पहला पहलू है। मामले का दूसरा पहलू ये भी है कि कडंक्टर हरियाणा से लेकर तक दिल्ली तक दो दशकों में अपने खिलाफ केस में पक्ष रखने में लाखों रुपये खर्च कर चुका है। जस्टिस प्रतीक जालौन की पीठ ने कहा कि ये नियम है कि मामले को दोबारा जांच के लिए भेजा जाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट को ये भी अधिकार है कि वो सालों से चले आ रहे मामले को बंद भी कर सकते हैं। पीठ की ओर से इस बाबत दो केसों का हवाला भी दिया गया, जिनमें केस लंबा चला तो आरोपी को राहत दे दी गई। हाईकोर्ट ने कंडक्टर के इस मामले में भी यही सिद्धांत अपनाया। कंटडक्टर अब भले ली रिटायर हो चुका है, लेकिन हाईकोर्ट ने हरियाणा रोडवेज को आदेश दिए कि कंडक्टर को वो सभी लाभ दिए जाएं जो उसे सेवा के दौरान मिलते। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/13/मई/2025