अंतर्राष्ट्रीय
14-May-2025
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-रियाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक लाईन कहकर बढ़ा दी नेतन्याहू की टेंशन रियाद,(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों सऊदी अरब के दौरे पर हैं। राजधानी रियाद में उन्होंने सऊदी के वली अहद क्राउन प्रिंस से मुलाकात की और फिर जो मैसेज दिया वह इजराइल की टेंशन बढ़ाने वाला होगा। इस दौरान उनकी एक तस्वीर ने लोगों का ध्यान खींचा और इजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को उसे टकटकी लगाए देख रहे होंगे। डोनाल्ड ट्रंप जिस मंच से अरबी लोगों को संबोधित कर रहे थे, उसके पीछे अरबी में कलमा लिखा था। इस दौरान ट्रंप ने कहा कि सऊदी अरब और इजराइल के बीच औपचारिक रिश्ते बनाना उनका ‘सपना’ है, लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि यह फैसला सऊदी को अपनी ‘मर्जी और समय’ पर करना चाहिए। उधर व्हाइट हाउस ने भी सऊदी अरब के साथ रक्षा और आर्थिक क्षेत्रों में सैकड़ों अरब डॉलर के डील की घोषणा की है, लेकिन कहीं भी इजराइल का नाम नहीं लिया। ट्रंप प्रशासन के इस बदले हुए रुख को लेकर जानकारों का कहना है कि अब अमेरिका की प्राथमिकता इजराइल-सऊदी संबंध नहीं, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता है। ट्रंप जिस मंच से इजराइल और सऊदी के रिश्तों पर अपना रुख साफ कर रहे थे, उसके पीछे अरबी में कलमा लिखा था। इसमें लिखा था, ‘ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसूलुल्लाह’… इसका मतलब है, ‘अल्लाह के अलावा कोई दूसरा ईश्वर नहीं है और मुहम्मद साहब अल्लाह के रसूल हैं। यह इस्लामी अकीदे यानी विश्वास का आधार है, जिस पर यकीन इस्लाम का पालन करने वाले हर मुसलमान के लिए जरूरी है। ट्रंप ने साफ कर दिया कि फिलहाल गाजा युद्ध और इजराइल की फिलिस्तीनी राज्य के गठन पर बातचीत से इनकार को देखते हुए सऊदी-इजराइल समझौते का समय सही नहीं है। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में यूएई समेत कई अरब देशों के साथ अब्राहम समझौतों के जरिये इजराइल के संबंध सामान्य किए थे, लेकिन फिलिस्तीन के सवाल को दरकिनार करने वाली इन डील्स का जमीनी असर नहीं दिखा। अक्टूबर 2023 में गाजा युद्ध के बाद यह साफ हो गया कि अब्राहम एकॉर्ड क्षेत्रीय संकटों को सुलझाने में फेल रहे हैं। इसी वजह से बाइडन प्रशासन का सऊदी को अब्राहम एकॉर्ड में शामिल करने का प्रयास भी विफल रहा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 2002 के अरब शांति प्रस्ताव पर सऊदी अरब अब भी कायम है, जिसके तहत इजराइल को फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देनी होगी तभी उससे संबंध सामान्य हो सकते हैं, लेकिन नेतन्याहू सरकार इस ‘लैंड फॉर पीस’ फॉर्मूले को पूरी तरह खारिज कर चुकी है। दरअसल इजराइली सरकार दो-राष्ट्र सिद्धांत पर कतई तैयार नहीं। ऐसे में सऊदी अरब के लिए आगे बढ़ना असंभव है और ट्रंप प्रशासन को भी अब यह बात समझ आ गई है। गाजा युद्ध के दौरान हमास की तरफ से पकड़े गए अमेरिकी-इजराइली सैनिक एडन अलेक्जेंडर की रिहाई के लिए भी अमेरिका ने कतर और मिस्र के जरिए मध्यस्थता की, लेकिन इजराइल को इन बातचीतों से बाहर रखा गया। इन सभी घटनाक्रमों से यह साफ हो गया है कि ट्रंप अब इजराइल को लेकर पहले जैसे उत्साही नहीं हैं। सऊदी के दरबार से निकली एक लाइन ‘अपनी मर्जी से करेंगे’ – ने पीएम नेतन्याहू की टेंशन बढ़ा दी है, और अब वे वाशिंगटन की ओर टकटकी लगाए देख रहे होंगे कि आगे कारोबारी बुद्धि वाले ट्रंप इजराइल की दोस्ती देखते हैं या सऊदी का पैसा…। सिराज/ईएमएस 14मई25 ----------------------------