वाराणसी (ईएमएस)। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी में आईडियल डेवलपमेंट एजेंसी उड़िसा के सुन्दरगढ़ जिले से आये हुए 27 प्रगतिशील किसानों का सब्जी फसलों के माध्यम से फसल विविधिकरण विषय पर सात दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रशिक्षण के दौरान वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को समेकित कीट एवं रोग प्रबंधन, जैविक खेती, सब्जी पौध ग्राफ्टिंग, बीज उत्पादन, संरक्षित खेती, मशरुम उत्पादन, सब्जी प्रसंस्करण एवं विपणन सम्बन्धित व्याख्यान व प्रायोगिक ज्ञान दिया गया। अधिक लाभ अर्जित करने के लिए किसानों को सभी सब्जी फसलों के उन्नत किस्मों को अपनाने पर जोर दिया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार के निर्देशन में चलने वाले इस कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के ध्यान में रखते हुए फसलों का चुनाव और विविधीकरण किये जाने की सलाह दी गई। निदेशक ने अपने व्याख्यान में बताया कि विविधीकरण के माध्यम से कम से कम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर अधिक से अधिक उत्पादन एवं जन-जन तक आर्थिक समृद्धि लायी जा सकती है। आईआईवीआर का उद्देश्य देश के दूर-दराज क्षेत्रों में सब्जी आधारित तकनीकों को किसानों तक पहुँचाना एवं सब्जी उत्पादन के माध्यम से किसानों को आत्मनिर्भर बनाना है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समन्वयक व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह ने बताया कि बाजार का अवलोकन कर, प्रमाणित बीजों एवं दवाओं का चयन तथा सामुहिक खेती के माध्यम से किसान भाई बाजार एवं निर्यात से जुड़कर लाभप्रद खेती कर सकते है। डॉ. डी.आर. भारद्वाज, प्रधान वैज्ञानिक द्वारा कद्दूवर्गीय सब्जियों को पूरे वर्ष बाजार में उपलब्धता बनायें रखने के लिए मौसम के अनुकूल खेतों में, नदियों के किनारे, पाली हाउस व लो टनेल जैसी संरचना में जैविक व कार्बनिक खेती की पद्धति को अपनाने के साथ ही साथ सही अवस्था में मानक के अनुरुप तुड़ाई करके अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करने के विषय में जानकारी दी गई। डॉक्टर नरसिंह राम /ईएमएस / 14 मई, 2025