राष्ट्रीय
15-May-2025
...


नई दिल्ली(ईएमएस)। सीज़फायर की घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उन देशों से पहले ही कर दी, जो इस तनाव का हिस्सा थे। उनके एक ट्वीट ने भारत-पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी हैरान कर दिया था क्योंकि उसे भी इस बात का पता नहीं था। दोनों पक्ष सीज़फायर पर राज़ी भी हुए लेकिन इस घटना ने पाकिस्तान के जिगरी यार चीन के दिल पर चोट पहुंचा दी। अब मुश्किल ये है कि वो ट्रंप से व्यापार करे या चीन को मनाए। अमेरिका, चीन, भारत और पाकिस्तान ने युद्धविराम की अपनी-अपनी कहानी बताई है। भारत का कहना है कि पाकिस्तान के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस ने खुद फोन करके युद्धविराम की बात की और ट्रंप के उस दावे को खारिज़ कर दिया, जिसमें वो अपनी अहम भूमिका बता रहे थे। इन सबके बीच फंस गया पाकिस्तान, जिससे चीन नाराज़ हो गया। जब पाकिस्तान, भारतीय हमलों की वजह से संकट में आ गया तो उसने अमेरिका से संपर्क किया। पाकिस्तान 9 मई तक इस बात से सदमे में था कि भारत की ओर से लगातार हो रहे हमले उसके सैन्य ठिकानों को तबाह कर रहे थे। ऐसे में उसे मदद की गुहार के लिए डोनाल्ड ट्रंप ही सही व्यक्ति लगे और उसे चीन की याद भी नहीं आई। डोनाल्ड ट्रंप ने आनन-फानन में सीज़फायर की बात सबसे पहले शेयर भी कर दी। चीन को जैसे ही ये बात पता चली वो अपने ‘जिगरी यार’ पाकिस्तान से खफा हो गया। उसे शिकायत ये है कि उसे इस बात की जानकारी ही नहीं थी। अब बारी थी पाकिस्तान की, उसे चीन को मैनेज करना था, जिसके लिए उसने एक बार फिर सीज़फायर का उल्लंघन किया। इस पूरे घटनाक्रम में भारत की नीति साफ थी कि वो किसी भी हालत में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगा। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपने बयान में बताया कि 9 मई को दोपहर 3:35 बजे भारत के डीजीएमओ से युद्धविराम की गुहार लगाई, जिस पर भारत ने शर्त रखी कि वो आतंकवाद की किसी भी घटना को युद्ध ही मानेगा। उन्होंने साफ किया कि द्विपक्षीय बातचीत के बाद 10 मई की शाम 5 बजे से सभी सैन्य कार्रवाइयां रोकने पर सहमति बनी है। सीज़फायर के दो दिन बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से दावा किया कि उन्होंने दोनों देशों पर व्यापार का दबाव बनाकर युद्धविराम करवाया है। इस दावे को भारत ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत में व्यापार पर कोई बात नहीं हुई है। कुल मिलाकर इस पूरे परिदृश्य भारत शुरू से अंत तक अपनी आतंकवाद विरोधी नीति पर अड़ा रहा, जबकि चीन और अमेरिका युद्धविराम में अपनी भूमिका दिखाने की होड़ में नज़र आए। पाकिस्तान किसी तरह युद्ध से निजात पाना चाहता था, यही वजह है कि उसे चीन की याद भी नहीं आई। कश्मीर, पंजाब, गुजरात और जम्मू में पाकिस्तान के ड्रोन दिखाई दिए। इसके बाद चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से भी बातचीत की, जबकि पाकिस्तान के संपर्क में वे थे ही। फिर चीन के विदेश मंत्री का बयान जारी हुआ , जिसमें उन्होंने दोनों देशों के बीच सीज़फायर के कायम रहने की उम्मीद की। इस पूरे मामले में पाकिस्तान जब अमेरिका और चीन के बीच फंसने लगा, तो उसने 10 मई को फिर सीज़फायर तोड़ा और चीन को इस मामले में प्रासंगिक बनाने की भरपूर कोशिश की। इतना ही नहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने चीन की संयमित नीति की तारीफ की और कहा कि वो उनके साथ मजबूती से खड़ा है। वीरेंद्र/ईएमएस 15 मई 2025