मॉस्को(ईएमएस)। रूस और यूक्रेन के बीच बीते तीन सालों से जंग चल रही है। एक दूसरे के यहां बमबारी आम हो गई है। शांति के प्रयास सफल होते होते असफल हो जाते है। इस युद्ध से पूरी दुनिया में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन काफी चर्चा में हैं। इस वक्त उनके 25 साल पहले दिए इंटरव्यू की भी चर्चा हो रही है। जिसमें उन्होंने कहा था कि एक चूहे ने कैसे उन्हे दौड़ाया और उससे उन्होंने क्या सीखा। जिसमें उन्होंने एक ऐसी घटना का ज़िक्र किया था जिसने शायद उनकी युद्ध-नीति की नींव रखी। पुतिन ने कहा था कि एक बार बचपन में उन्होंने एक चूहे को कोने में घेर लिया था, लेकिन जब वो चूहा पलटा और उन्हें दौड़ा लिया, तब उन्हें जिंदगी का सबसे बड़ा सबक मिला। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बचपन की घटना इन दिनों फिर चर्चा में है, जो न केवल उनके व्यक्तित्व को समझने में मदद करती है बल्कि यूक्रेन युद्ध में उनके रवैये की भी झलक देती है। साल 2000 में दिए एक इंटरव्यू में पुतिन ने बताया था कि बचपन में वह लेनिनग्राद (अब सेंट पीटर्सबर्ग) की एक जर्जर बिल्डिंग में रहते थे। वहां के संकरे गलियारों में वह और उनके दोस्त लाठियों से चूहों को भगाया करते थे। एक दिन, उन्होंने एक बड़े चूहे को कोने में घेर लिया। लेकिन तभी चूहा पलटा और पुतिन पर झपट पड़ा, जिससे वह घबराकर भागे। पुतिन ने कहा था, मुझे पहली बार समझ में आया कि जब कोई कोने में फंस जाए, तो वह किस हद तक जा सकता है। इस घटना ने उनके सोचने के तरीके पर गहरा असर डाला— खासतौर पर तब, जब उन्हें लगे कि उनका अस्तित्व खतरे में है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो पुतिन खुद को उस “कोने में पड़े चूहे” की तरह देखते हैं, जिसे जब कोई विकल्प नहीं दिखता, तो वह पलटकर हमला करता है। यह मनोवृति यूक्रेन युद्ध में भी देखी जा सकती है, जहां पुतिन ने नाटो के विस्तार और पश्चिमी दबाव को अपने लिए सीधा खतरा मानते हुए सैन्य कार्रवाई का रास्ता चुना।यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही पुतिन की रणनीति में आक्रामकता, जिद और अस्तित्व की लड़ाई जैसा भाव देखा गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पश्चिमी देशों द्वारा रूस को अलग-थलग करने और नाटो की सीमाओं को रूस के और करीब लाने की कोशिशों को पुतिन ने घेरने की कोशिश के रूप में लिया और उसी चूहे की मानसिकता में प्रतिक्रिया दी। वीरेंद्र/ईएमएस/15मई 2025