प्रयागराज (ईएमएस)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा है कि पिता की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन पा रही बेटी के नौकरी पर लगने के बाद अब पेंशन का लाभ उसकी तलाकशुदा मां के साथ रह रही छोटी बहन को दिया जाना चाहिए। यह निर्देश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने याची स्वाति की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। इस आशय की याचिका मेरठ निवासी स्वाति ने दाखिल की थी। स्वाति के पिता गोपाल कृष्ण, जिला निर्वाचन कार्यालय मेरठ में चपरासी के पद पर कार्यरत थे और उनका निधन 15 मार्च 2011 को हो गया था। स्वाति के माता-पिता का तलाक 2001 में हो चुका था। पिता के साथ बड़ी बहन चारु रहती थीं, जिन्हें पारिवारिक पेंशन दी गई। जबकि याचि और उसका छोटा भाई मां के साथ रह रहे थे और बड़ी बहन को नौकरी पिता की जगह मिल चुकी थी, इसलिए उसने पारिवारिक पेंशन के लिए दावा किया। वर्ष 2013 में चारु को पिता की जगह कनिष्ठ लिपिक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति मिल गई, जिसके बाद उनकी पारिवारिक पेंशन बंद कर दी गई। अब स्वाति, जो अविवाहित है और अपनी मां व छोटे भाई के साथ रहती है, ने यह पेंशन पाने का दावा किया। राज्य सरकार के 16 मई 2015 के शासनादेश के अनुसार, अविवाहित बेटियों को पारिवारिक पेंशन के लिए आश्रितों की श्रेणी में रखा गया है। सरकारी अधिवक्ता ने भी इस आधार पर जांच का समर्थन किया। कोर्ट ने कहा कि यदि कोई तकनीकी कठिनाई न हो और याची का दावा सही पाया जाए, तो दो महीने के भीतर उसके पक्ष में पारिवारिक पेंशन जारी की जाए। जितेन्द्र 16 मई 2025