अंतर्राष्ट्रीय
17-May-2025
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वाशिंगटन (ईएमएस)। जब भारत आत्मनिर्भर बनता है, तब दुनिया के कुछ ताकतवर देश बेचैन होने लगाते हैं। हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल भारत की सबसे बड़ी और सबसे भरोसेमंद रक्षा कंपनी आज एक अंतरराष्ट्रीय विवाद के केंद्र में है। आरोप है कि एचएएल ने ब्रिटेन की एक रक्षा कंपनी से मिली तकनीक को रूस को ट्रंसफर किया। लेकिन सवाल ये है कि क्या ये आरोप हकीकत हैं या फिर अमेरिका की घबराहट का एक नया रूप है। दरअसल, 13 मई को एक रिपोर्ट छापी है। जिस रिपोर्ट में बताया कि, 2023 और 2024 के शिपिंग रिकॉर्ड के अनुसार, ब्रिटिश एयरोस्पेस निर्माता एचआर स्मिथ ग्रुप ने भारत को उसके उपकरण निर्यात किए जिन्हें रूसी हथियार प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण माना गया था। इसमें ट्रांसमीटर, कॉकपिट उपकरण और एंटेना शामिल थे। ये सभी ड्यूल यूज टेक्नोलॉजी हैं। यानी इनका इस्तेमाल सिविल एविएशन और मिलिट्री दोनों जगह किया जा सकता है। दावा ये है कि एचएएल ने ये तकनीक रूस को ट्रांसफर कर दी। यहीं से विवाद शुरू होता है। एचएएल ने इन आरोपों को पूरी तरह से गलत, बेबुनियाद करार दिया। कंपनी का कहना है कि ब्रिटेन से मंगाए गए उपकरण केवल भारत के घरेलू डिफेंस के उपयोग हुए थे। कोई भी तकनीक न रूस और न ही किसी अन्य देश को ट्रांसफर की गई है। एचएएल ने कहा कि सभी इंटरनेशनल डिफेंस ट्रेड रूल और एक्सपोर्ट कंट्रोल गाइडलाइंस का पालन करती है। रिपोर्ट के बाद मंत्रालय एचएएल के बचाव में आया। सरकारी सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक है, और इसमें राजनीतिक आख्यान के अनुरूप मुद्दों को गढ़ने और तथ्यों को विकृत करने की कोशिश की गई है। भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स, रूसी हथियार एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट की सबसे बड़ी व्यापारिक साझेदार है। एच.आर. स्मिथ के वकील ने हाल ही में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स का एक बयान उपलब्ध कराया, जिसमें कहा गया था कि ब्रिटिश उपकरण रूस को नहीं बेचे गए थे। लेकिन बात इतनी भर नहीं है। बड़ा सवाल ये है कि अमेरिका और पश्चिमी मीडिया को इतनी चिंता क्यों हो रही है। भारत और रूस का रक्षा सहयोग दशकों पुराना है। एचएएल ने एसयू-30 एमकेआई जैसा फाइटर जेट भारत में बनाए हैं। ये रूस की टेक्नोलॉजी पर आधारित है। एचएएल ब्रह्मोस मिसाइल प्रोग्राम का भी हिस्सा है जो भारत रूस का ज्वाइंट वेंचर है। रूसी तकनीक पर भारत अब स्वदेशी बदलाव कर चुका है। लेकिन दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनी हुई है। रिपोर्ट बताते हैं कि भारत और रूस मिलकर एस 500 का ज्वाइंट प्रोडक्शन करने को तैयार हैं। रूस के साथ मिलकर एस 500 के ज्वाइंट प्रोडक्शन का ऑफर मॉस्को की तरफ से आया है। लेकिन अमेरिका चाहता है कि भारत पूरी तरह पश्चिमी ब्लॉक में आ जाए। लेकिन भारत ने न रूस से दूरी बनाई न अमेरिकी दबाव में झुका है। यही बात कुछ ताकतवर देशों को खल रही है। रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर टेक्नोलॉजिकल प्रतिबंध लगाए हैं। आशीष/ईएमएस 17 मई 2025