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18-May-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। दुनिया की तमाम महाशक्तियां कश्मीर मुद्दे पर बात करने से बच रहीं हैं। अमेरिका ने मध्यस्थता की बात कही थी, इस पर भारत ने साफ कह दिया कि बीच में दखल न दें। हमे किसी के मध्यस्थता की जरुरत नहीं है। अब तुर्की कूद रहा है, ये वो देश है जिसे दुनिया के नक्शे में मैग्नीफाई ग्लास से ढूंढना पड़ता है वो मध्यस्थता के सपने देख रहा है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने पहले तो खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया और अब कश्मीर मुद्दे में हस्तक्षेप किया है। ये भारत और पाकिस्तान के बीच का मसला है, जिसे उसे सुलझाना है। अब तुर्की कश्मीर मुद्दे में भी घुस गया है और उसने इस मुद्दे पर मदद के तरीके तलाशने की पेशकश की है। उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बातचीत की और कहा कि उन्होंने कश्मीर पर विस्तार से चर्चा की, और नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने में रुचि व्यक्त की। भारत कई बार कह चुका है कि ये उसका आंतरिक मामला मामला है लेकिन पाकिस्तान ने ट्रंप के बाद अब तुर्की को भी कश्मीर की पंचायत में शामिल करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के खुले समर्थन में आने के बाद एर्दोगन ने कश्मीर के मुद्दे पर भी अपनी राय देनी शुरू कर दी है। उन्होंने टिप्पणी की है -हमने पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ के साथ कश्मीर मुद्दे पर व्यापक बातचीत की और मदद के तरीके तलाशे। मुद्दों पर संतुलित दृष्टिकोण पार्टियों को समाधान के करीब ला सकता है और नए सिरे से तनाव को रोकने में मदद कर सकता है’ एर्दोगन इस मामले पर सुझाव भी दे रहे हैं और बता रहे हैं कि दोनों पड़ोसी देशों को बातचीत की मेज पर आना चाहिए। एर्दोगन ने एक कदम आगे बढ़कर कश्मीर मुद्दे के मानवाधिकार-आधारित समाधान की मांग की, जिसमें अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भागीदारी हो। वो इस मुद्दे पर मध्यस्थता का भी प्रस्ताव दे रहे हैं। भारत हमेशा से कश्मीर को अपना आंतरिक मुद्दा मानता आया है और कभी किसी का हस्तक्षेप नहीं चाहता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया है कि बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं हो सकते और पाकिस्तान के साथ बातचीत के लिए केवल दो मुद्दे बचे हैं – आतंकवाद और पीओके की भारत में वापसी। बावजूद इसके पाकिस्तान इस मामले पर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप के लिए लामबंदी कर रहा है। यह पहली बार नहीं है जब एर्दोगन ने कश्मीर पर सार्वजनिक टिप्पणी की है, जिससे अक्सर भारत की तीखी प्रतिक्रिया आई है। एर्दोगन ने अक्सर कश्मीर पर पाकिस्तान के विचारों का समर्थन किया है और संयुक्त राष्ट्र महासभा जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है। कश्मीर पर एर्दोगन की ताजा टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब तुर्की के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को हथियार भी दिए थे, जिसके बाद भारत में उसके बहिष्कार की बड़े पैमाने पर मांग की जा रही है। वीरेंद्र/ईएमएस/18मई 2025