सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अतिरिक्त और स्थायी न्यायाधीशों के बीच नहीं होना चाहिए अंतर नई दिल्ली,(ईएमएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सभी हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पूरी और समान पेंशन देने का आदेश दिया है, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि या स्थायी या अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में स्थिति कुछ भी हो। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के न्यायाधीशों के साथ सभी जिला न्यायाधीशों के लिए समान सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों का भी निर्देश दिया है। एक रैंक, एक पेंशन के सिद्धांत का समर्थन करते हुए भारत के सीजेआई बी आर गवई ने कहा कि वेतन की तरह ही सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों में एकरूपता न्यायिक स्वतंत्रता की रक्षा और न्यायिक कार्यालय की गरिमा को बनाए रखने के लिए जरुरी है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पूर्ण पेंशन के हकदार हैं, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि कुछ भी हो या वे बार से पदोन्नत हुए हों या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हों। अतिरिक्त और स्थायी न्यायाधीशों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने यह भी कहा कि विधवाओं, विधुरों और अन्य आश्रितों के लिए ग्रेच्युटी और पारिवारिक पेंशन जैसे लाभ सभी न्यायाधीशों के लिए समान होने चाहिए। कोर्ट ने कहा हम मानते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद टर्मिनल लाभों के लिए न्यायाधीशों के बीच कोई भी भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा। इस प्रकार, हम सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पूर्ण पेंशन के हकदार मानते हैं, चाहे वे कभी भी पद पर आए हों। हम यह भी मानते हैं कि अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी पूर्ण पेंशन मिलेगी और न्यायाधीशों और अतिरिक्त न्यायाधीशों के बीच कोई भी भेदभाव हिंसा को बढ़ावा देगा। सीजेआई गवई की अगुवाई वाली पीठ ने केंद्र सरकार को उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों को 15 लाख रुपए प्रति साल और सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को 13.5 लाख रुपए प्रति वर्ष की पूर्ण पेंशन देने का निर्देश दिया है। सिराज/ईएमएस 19मई25