-ऑपरेशन सिंदूर में भारत से मिली हार के बाद आलोचना झेल रह आर्मी चीफ इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर इन दिनों सवालों के घेरे में हैं। ऑपरेशन सिंदूर में भारत से मिली करारी हार के बाद पाकिस्तान की सेना और एयर डिफेंस सिस्टम की जमकर आलोचना हो रही है। इस बीच एक बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर मुनीर की वर्दी पर टंगे मेडल किस बात के लिए दिए गए, जबकि उन्होंने आज तक कोई जंग लड़ी ही नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद मुनीर ने भारत के खिलाफ उन्होंने ऑपरेशन बुनयान उल मरसूस चलाया, लेकिन ये पूरी तरह नाकाम साबित हुआ। मुनीर नवंबर 2022 में पाकिस्तान के सेना प्रमुख बने थे। उनके कार्यकाल में कोई पूर्ण युद्ध नहीं हुआ। बलूचिस्तान में अलगाववादियों और तहरीक-ए-तालिबान के खिलाफ कुछ आतंकरोधी अभियान जरूर चले, लेकिन उन्हें जंग नहीं कहा जा सकता. तो सवाल है उनके सीने पर मेडल लटके क्यों हैं। निशान- ए- इम्तियाज (मिलिट्री)- ये दिसंबर 2022 में दिया गया था, आर्मी का सर्वोच्च मेडल है। हिलाल-ए- इम्तियाज- मार्च 2018 में दिया गया था। स्वॉर्ड ऑफ ऑनर- यह पुरस्कार उन्हें ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल, मंगला में उनके प्रशिक्षण के दौरान सर्वोत्तम प्रदर्शन के लिए मिला था। इसके अलावा मुनीर के पास कई पदक हैं, जैसे तमगा-ए-डिफा, तमगा-ए-बका, तमगा-ए-इस्तेकबाल, तमगा-ए- अज्म और भी कई मेडल.ऑर्डर ऑफ बहरीन, फर्स्ट क्लास, तुर्की के लीजन ऑफ मेरिट जैसे विदेशी मेडल भी मिले हैं। इसके अलावा उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर भी मिला है, जो ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल, मंगला में प्रशिक्षण के दौरान सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए दिया गया था। जनरल मुनीर को विदेशों से भी मेडल मिले हैं। पाकिस्तान में आर्मी मेडल अब सैन्य बहादुरी की बजाय सिर्फ पद और प्रचार का हिस्सा बनकर रह गए हैं। सिराज/ईएमएस 19मई25