19-May-2025
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भोपाल (ईएमएस)। अखिल भारतीय साहित्य परिषद, भोपाल इकाई की मासिक गोष्ठी इस बार व्यंग्य साहित्य के पुरोधा शरद जोशी को समर्पित रही। कार्यक्रम में उज्जैन, भोपाल, पुणे और रतलाम सहित विभिन्न शहरों से आए व्यंग्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से शरद जोशी को श्रद्धांजलि अर्पित की। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. नुसरत मेहदी (अध्यक्ष, अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं निदेशक, उर्दू अकादमी) ने की। उन्होंने अपनी व्यंग्य रचना आप कब हँसेंगे कॉमरेड का पाठ करते हुए प्रगतिशील विचारधारा से जुड़े साहित्यकारों की वर्तमान मानसिकता पर प्रश्नचिह्न खड़ा किया। उज्जैन से वरिष्ठ व्यंग्यकार डाॅ. पिलकेंद्र अरोरा ने शरद जोशी के व्यंग्य-लेखन की विषयवस्तु, शैली और उनके साथ बिताए पलों के संस्मरण साझा किए। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि, अखिल भारतीय साहित्य परिषद की राष्ट्रीय मंत्री एवं निराला सृजनपीठ की निदेशक डॉ. साधना बलवटे ने शरद जी के लेखन को जनमानस की भावना का प्रतिबिंब बताते हुए अपनी दो व्यंग्य रचनाएँ मच्छरों का अधिवेशन और कलियुग का धोबी प्रस्तुत कीं। मुख्य वक्ता गोपेश वाजपेई ने शरद जोशी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विस्तार से चर्चा की। सुनीता यादव (महामंत्री, अखिल भारतीय साहित्य परिषद) ने शरद जी के चुने हुए व्यंग्यों के सामाजिक संदर्भों पर प्रकाश डाला। पुणे से डॉ. समीक्षा तेलंग ने अपने व्यंग्य दिमागचट का पाठ करते हुए कहा: ईश्वर ने पता नहीं क्या सोचकर चेहरे पर मुँह दिया, और उसमें से निकलने वाली आवाज़ भी। बस आवाज़ का बटन बंद रख देते तो जीवन में कम बेमेल होते। डाॅ. सौरभ जैन (उज्जैन) ने अपनी रचना में आज के डिजिटल युग की विसंगतियों को रेखांकित करते हुए कहा: पहले घरों में एक टीवी होता था, अब हर कमरे में एक है। अब रामायण नहीं, वेब सीरीज़ आश्रम देखने की होड़ है। भोपाल के वरिष्ठ व्यंग्यकार अशोक व्यास ने अपने व्यंग्य संतुलित लेकिन विवादित बयान में कहा:रम्मू भैया बोले, मेरे बयान से कहीं मैं पिट ना जाऊँ। मैंने कहा, आजकल पिटे हुए मोहरों की राजनीति में बहुत डिमांड है। रतलाम से आशीष दशोत्तर ने दुबला और दो आषाढ़ शीर्षक से व्यंग्य पाठ किया: साहब ने मंगतू की अर्ज़ी पर नज़र डाली, जिसमें लिखा था कि उसकी हालत दुबला और दो आषाढ़ जैसी हो गई है। कार्यक्रम का संचालन परिषद की महामंत्री सुनीता यादव ने किया। खुशी विजयवर्गीय ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। गोष्ठी में रमेश व्यास शास्त्री, यशवंत गोरे, सरोज लता सोनी, मनोरमा पंत, कुमार चंदन, ओमप्रकाश, शोभा जैन, सुमित शर्मा, मांगीलाल नामदेव, प्रमिला झरबड़े सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित रहे।