नई दिल्ली,(ईएमएस)। वक्फ संशोधन कानून पर अंतरिम रोक के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को बहस पूरी हो गई है। सुनवाई के दौरान केंद्र की मोदी सरकार ने कानून पर अंतरिम रोक लगाने का जोरदार विरोध किया है। सुनवाई पूरी होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने पूरे मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बता दें कि अंतरिम आदेश सुरक्षित रखने से पहले सीजेआई बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने संशोधित वक्फ कानून का विरोध करने वालों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक सिंघवी और केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें लगातार तीन दिनों तक सुनीं। बहस के दौरान केंद्र ने वक्फ कानून का पुरजोर समर्थन किया। इस दौरान केंद्र के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के सामने तर्क दिया कि वक्फ अपने स्वभाव से ही एक धर्मनिरपेक्ष अवधारणा है और इसके पक्ष में संवैधानिकता की धारणा को देखकर रोका नहीं जा सकता। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में मामले में याचिकाकर्ताओं का नेतृत्व कर रहे सिब्बल ने वक्फ कानून को गैर संवैधानिक बताया। वहीं, तर्क दिया कि यह गैर-न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से वक्फ पर कब्जा करने का साधन बन जाएगा। सिब्बल ने कहा कि केंद्र सरकार यह तय नहीं कर सकती कि कौन से मुद्दे उठाए जा सकते हैं। वहीं, याचिकाकर्ताओं ने मौजूदा चरण में तीन प्रमुख मुद्दों पर अंतरिम आदेश की मांग की है। इन तीन मुद्दों में से एक मुद्दा कोर्ट द्वारा वक्फ, उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ या विलेख द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की शक्ति से जुड़ा था। वहीं, दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना पर था, इसके लिए उनका तर्क था कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही काम करना चाहिए। वहीं, तीसरा और अंतिम मुद्दा उस प्रावधान पर है जिसके अनुसार जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करता है कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तब वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा। आशीष दुबे / 22 मई 2025