नई दिल्ली (ईएमएस)। खानपान में बदलाव डायबिटीज की बीमारी के नियंत्रण में बेहद असरदार साबित हो सकता है, लेकिन व्यवहार में इस बदलाव को अपनाना अक्सर मुश्किल होता है। इसी संदर्भ में हाल ही में एक शोध किया गया, जिसमें यह सामने आया कि ऑनलाइन माध्यम से दिया गया पोषण संबंधी मार्गदर्शन डायबिटीज को नियंत्रित करने में उपयोगी हो सकता है। यह शोध अमेरिका स्थित फिजिशियन कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन (पीसीआरएम) के नेतृत्व में किया गया, जिसमें भारतीय मूल की डॉक्टर वनीता रहमान ने अहम भूमिका निभाई। शोध के अनुसार, 12 हफ्ते तक चलने वाले इस कार्यक्रम में टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित 76 मरीजों को शामिल किया गया, जिनमें से 58 ने इसे पूरा किया। इस कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने एक डॉक्टर द्वारा निर्देशित और पौधों पर आधारित पोषण योजना का पालन किया। परिणामस्वरूप, 22 प्रतिशत प्रतिभागियों ने अपनी दवाओं की खुराक में कमी की, औसतन उनका वजन 3.7 किलो कम हुआ और उनके ब्लड शुगर स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार देखा गया। इसके अलावा कोलेस्ट्रॉल के स्तर में भी गिरावट दर्ज की गई, जिससे यह संकेत मिलता है कि संपूर्ण खाद्य पदार्थों पर आधारित, वसा रहित भोजन डायबिटीज नियंत्रण में अहम भूमिका निभा सकता है। भारत में डायबिटीज की मौजूदा स्थिति को देखते हुए इस कार्यक्रम की खास उपयोगिता बताई गई है। भारत में वर्तमान में लगभग 10.1 करोड़ वयस्क डायबिटीज से ग्रसित हैं, जबकि 13.6 करोड़ लोग प्रिडायबिटिक स्थिति में हैं। डॉ. रहमान ने कहा कि भारत में यह संकट हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था की सीमा के भीतर ही हल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसे देश में जहां टियर-2 और टियर-3 शहरों में डॉक्टरों तक नियमित पहुंच नहीं है, वहां ऑनलाइन माध्यम से पौष्टिक भोजन संबंधी मार्गदर्शन लोगों के लिए एक व्यावहारिक समाधान बन सकता है। इस शोध में भारतीय मरीजों की उन समस्याओं पर भी ध्यान दिया गया, जिनका सामना वे जीवनशैली बदलते समय करते हैं, जैसे पोषण संबंधी जानकारी की कमी, शुरुआत कैसे करें इसका स्पष्ट मार्गदर्शन न मिलना और अनुशासन बनाए रखने की कठिनाई। ऐसे में यह ऑनलाइन कार्यक्रम भारतीय सांस्कृतिक भोजन परंपरा के अनुरूप होने के कारण न केवल व्यवहारिक है, बल्कि लंबे समय तक अपनाया भी जा सकता है। मालूम हो कि भारत में डायबिटीज एक बड़ी स्वास्थ्य चुनौती के रूप में उभर रही है। देश में करोड़ों लोग इस रोग से पीड़ित हैं या इसकी शुरुआत की अवस्था में हैं। सुदामा/ईएमएस 24 मई 2025