मुंबई,(ईएमएस)। पिछले साल जुलाई में मुंबई स्थित नौसेना डॉकयार्ड में हुए एक गंभीर हादसे का शिकार हुआ भारतीय नौसेना का स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस ब्रह्मपुत्र एक बार फिर समुद्री लहरों पर जल्द उतरने को तैयार है। वरिष्ठ नौसैनिक अधिकारियों ने बताया कि युद्धपोत के ‘फ्लोट और मूव क्षमताओं को बहाल करने का कार्य इस साल के अंत या 2026 की शुरुआत तक पूरा हो सकता है, जबकि इसकी ‘फाइट’यानी युद्ध क्षमता जून-जुलाई 2026 तक दोबारा सक्रिय हो सकती है। कई लोगों को आशंका थी कि भारी नुकसान के कारण यह पोत दोबारा सेवा में नहीं लौट पाएगा, लेकिन नौसेना इसे ठीक करने और सेवा में वापस लाने के लिए तेजी से काम कर रही है। वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, नौसेना डॉकयार्ड में युद्धपोत की मरम्मत तेजी से चल रही है। उसे फिर से समुद्र में चलने लायक बनाना प्राथमिकता है। यह पहली बार है जब वर्ष 2000 में सेवा में आए इस गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट के दोबारा ऑपरेशन को लेकर आधिकारिक जानकारी सामने आई है। यह युद्धपोत कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया था। दूसरे अधिकारी ने बताया कि, मरम्मत चरणबद्ध तरीके से चल रही है। सबसे पहले जहाज की ढांचा, प्रणोदन प्रणाली और बिजली उत्पादन को दुरुस्त किया जा रहा है ताकि फ्लोट और मूव क्षमता बहाल हो सके। युद्धपोत की फाइट यानी हथियार प्रणाली और सेंसर को पुनः सक्रिय करने का कार्य भी समानांतर रूप से चल रहा है। सभी क्षतिग्रस्त उपकरणों को हटाकर डॉकयार्ड की वर्कशॉप में ले जाया जा रहा है, जहां उनकी मरम्मत या रिप्लेसमेंट हो रहा है। युद्धपोत के क्रू सदस्य भी मरम्मत कार्य में तकनीकी सहायता दे रहे हैं। बता दें कि 21 जुलाई 2024 को नौसेना डॉकयार्ड में खड़े 3,850 टन वजनी आईएनएस ब्रह्मपुत्र पर आग लग गई थी। आग बुझाने के लिए बड़े पैमाने पर पानी पंप किया गया, जिससे युद्धपोत झुक कर पलट गया। इस हादसे में लीडिंग सीमैन सितेंद्र सिंह की मौत हो गई थी। वह उस समय युद्धपोत के मरम्मत कार्य में शामिल थे। जबकि अधिकांश क्रू मेंबर सुरक्षित बाहर निकल गए थे, कुछ ने समुद्र में छलांग लगाकर जान बचाई, लेकिन सितेंद्र सिंह डूब गए। इसके बाद युद्धपोत को नवंबर 2024 में ड्राई डॉक में ले जाया गया और फिर नुकसान का व्यापक मूल्यांकन कर मरम्मत की योजना बनाई गई। वीरेंद्र/ईएमएस/25मई 2025