नई दिल्ली (ईएमएस)। हैल्थ एक्सपटर्स के अनुसार, हेपेटाइटिस लिवर की सूजन है, जो अक्सर वायरल संक्रमण के कारण होती है। यह बीमारी लिवर कैंसर, लिवर फेलियर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। हेपेटाइटिस दो प्रकार का होता है। एक्यूट हेपेटाइटिस जिसमें लक्षण अचानक प्रकट होते हैं और यह आमतौर पर छह महीने के भीतर ठीक हो जाता है। इसके लक्षणों में बुखार, थकान, पेट दर्द कुछ दिनों या हफ्तों तक होते हैं। दूसरा क्रॉनिक हेपेटाइटिस है, जो छह महीने से अधिक समय तक बना रहता है और धीरे-धीरे लिवर को नुकसान पहुंचाता है। यदि समय पर इलाज न हो तो यह लिवर फेलियर या कैंसर में बदल सकता है। हेपेटाइटिस के लक्षण शुरू में हल्के और धीरे-धीरे बढ़ने वाले होते हैं, जिससे जल्दी पहचान मुश्किल हो जाती है। आम लक्षणों में दस्त, कमजोरी, थकावट, बुखार, मतली, भूख कम लगना और पेट के दाईं ओर दर्द शामिल हैं। यदि यह लंबे समय तक रहता है, तो इसके गंभीर संकेत भी दिख सकते हैं जैसे भूल जाना, अधिक नींद आना, पेशाब का रंग गहरा होना, मल का रंग हल्का होना, त्वचा पर खुजली, और त्वचा या आंखों के सफेद हिस्से का पीलापन। हेपेटाइटिस से बचाव के लिए हमेशा उबला या शुद्ध पानी पिएं और बाहर का खुला खाना खाने से बचें। इसके लिए सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन भी उपलब्ध हैं। संक्रमित व्यक्ति के टूथब्रश, रेजर जैसी चीजें साझा न करें। गर्भवती महिलाओं की हेपेटाइटिस बी की जांच आवश्यक है, और संक्रमण पाए जाने पर तुरंत इलाज करवाएं। स्वच्छ और ताजा भोजन लें और डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा या डाइट न अपनाएं। सही सावधानी और समय पर इलाज से हेपेटाइटिस को नियंत्रित किया जा सकता है और लिवर की सेहत सुरक्षित रखी जा सकती है। हैल्थ एक्सपटर्स के अनुसार, हमारा शरीर लगातार काम करता रहता है और इसमें लिवर एक अहम अंग है जो कई जरूरी कार्यों को बिना रुके पूरा करता है। यह खून साफ करने, खाना पचाने और शरीर को ऊर्जा देने का काम करता है। लेकिन जब लिवर में सूजन आ जाती है, जिसे हम हेपेटाइटिस कहते हैं, तो शरीर कमजोर पड़ने लगता है। शुरुआत में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते, जिससे समय रहते इसका पता नहीं चल पाता और लिवर को नुकसान पहुंचता रहता है। सही जानकारी और सावधानी से हेपेटाइटिस को रोका और इलाज किया जा सकता है। सुदामा नरवरे/28 मई 2025
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