राज्य
29-May-2025
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रायपुर(ईएमएस)। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत बीते एक दशक से सेवाएं दे रहे 750 से अधिक स्वास्थ्य मितान अब बेरोजगारी और आर्थिक संकट की कगार पर हैं। वजह – 30 अप्रैल को थर्ड पार्टी एजेंसी FHPL कंपनी का अनुबंध समाप्त हो गया, और आज तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। नतीजतन, ये मितान पिछले तीन महीनों से वेतन से वंचित हैं। गंभीर होती स्थिति से आक्रोशित होकर दर्जनों मितान स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल के सरकारी निवास पहुंचे और अपनी पीड़ा बयां करते हुए ज्ञापन सौंपा। मितानों की प्रमुख मांग थी कि उन्हें राज्य नोडल एजेंसी के अंतर्गत कलेक्टर दर पर स्थायी रूप से समायोजित किया जाए। स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने मितानों की समस्याएं सुनते हुए कहा आप सभी का कार्य अनुभव लंबा और उपयोगी है। यदि विभागीय आवश्यकता हुई, तो नियमानुसार परीक्षण कर समायोजन की प्रक्रिया चलाई जाएगी। अनुभव को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि थर्ड पार्टी एजेंसियों के चलते अक्सर 3 से 4 महीने वेतन में देरी की शिकायतें आती हैं। मंत्री ने भरोसा दिलाया कि अगर भविष्य में कोई नई एजेंसी नहीं आती है, तो मितानों को भारत सरकार की गाइडलाइन या कलेक्टर दर पर काम सौंपा जाएगा। स्वास्थ्य मितानों का कहना है कि वे पहले कियोस्क ऑपरेटर के रूप में कार्यरत थे और बीते 10–12 वर्षों से राज्य के 33 जिलों में आयुष्मान योजना को सफल बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने आयुष्मान कार्ड, व्यय वंदना कार्ड, आभा कार्ड निर्माण, क्लेम प्रोसेसिंग, वेरिफिकेशन, ऑडिटिंग से लेकर गांव-शहर में स्वास्थ्य शिविरों तक में सक्रिय भागीदारी निभाई है। सत्यप्रकाश(ईएमएस)29 मई 2025