अंतर्राष्ट्रीय
29-May-2025


मैनहट्टन ट्रेड कोर्ट ने ट्रम्प के टैरिफ पर लगाई रोक, कहा-राष्ट्रपति अपने अधिकार क्षेत्र से आगे बढ़ रहे, इकोनॉमी का हवाला देकर कुछ भी करना गलत, इधर इलॉन ने ट्रम्प सरकार का साथ छोड़ा कोर्ट और मस्क ने मुश्किल में डाला ट्रंप को वॉशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुसीबतें दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। ट्रंप को चुनाव जीताने के लिए जिस टेस्ला के मालिक और अमेरिकी अरबपति इलॉन मस्क ने भारतीय मुद्रा में 83 अरब डॉलर खर्च किए थे, उन्होंने उनका साथ छोड़ दिया है। दोनों की जोड़ी ने पूरी दुनिया में हंगामा बरपा दिया था। मस्क के इस्तीफे की स्पष्ट वजह सामने नहीं आई है, लेकिन वे उस बिल का विरोध कर रहे थे जिसे ट्रम्प ने बिग ब्यूटीफुल बताया था। मस्क ने कहा था कि डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी का मकसद खर्चों में कटौती करना है और यह बिल उसके खिलाफ है। वहीं अमेरिका के मैनहट्टन ट्रेड कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से लगाए गए टैरिफ के बड़े हिस्से पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने अधिकारों से बाहर जाकर अमेरिका के ट्रेड पार्टनर्स से इंपोर्ट पर बड़े पैमाने पर टैरिफ लगा दिया है। कोर्ट ने सरकार से इस पर 10 दिनों के भीतर जवाब देने को भी कहा है। द कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने कहा कि अमेरिकी संविधान संसद (कांग्रेस) को दूसरे देशों के साथ केवल व्यापार को रेगुलेट करने का विशेषाधिकार देता है। इसका मतलब यह नहीं कि राष्ट्रपति इकोनॉमी का हवाला देकर अपने इमरजेंसी पावर से कुछ भी करें। मामले की सुनवाई करने वाले तीन जजों के पैनल ने कहा कि राष्ट्रपति टैरिफ को एक दबाव के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं, हम उनकी समझ और टैरिफ की प्रभावशीलता पर फैसला नहीं देते। राष्ट्रपति का यह प्रयोग गलत है इसलिए नहीं कि यह नासमझी या बेअसर है, बल्कि इसलिए कि यह फेडरल लॉ के खिलाफ है। 3 अप्रैल को ट्रम्प ने कई देशों पर टैरिफ लगाया था अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 3 अप्रैल को देर रात भारत पर 26 प्रतिशत, चीन पर 34 प्रतिशत, यूरोपीय यूनियन पर 20 प्रतिशत, साउथ कोरिया पर 25 प्रतिशत, जापान पर 24 प्रतिशत, वियतनाम पर 46 प्रतिशत और ताइवान पर 32 प्रतिशत टैरिफ (रेसिप्रोकल यानी जैसे को तैसा टैरिफ) लगाने का ऐलान किया था। अमेरिका ने करीब 60 देशों पर उनके टैरिफ की तुलना में आधा टैरिफ लगाने का फैसला किया था। हालांकि ट्रम्प ने बाद में 90 दिनों के लिए इसपर रोक लगा दी थी। हालांकि, उन्होंने चीन को इस छूट में शामिल नहीं किया था। बल्कि उस पर लगे टैरिफ को 104 प्रतिशत से बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया था। भारत पर टैरिफ को लेकर ट्रम्प ने कहा था कि भारत अमेरिका पर 52 प्रतिशत तक टैरिफ लगाता है, इसलिए अमेरिका भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाएगा। अन्य देश हमसे जितना टैरिफ वसूल रहे, हम उनसे लगभग आधे टैरिफ लेंगे। इसलिए टैरिफ पूरी तरह से रेसिप्रोकल नहीं होंगे। मैं ऐसा कर सकता था, लेकिन यह बहुत से देशों के लिए कठिन होता। हम ऐसा नहीं करना चाहते थे। ट्रम्प ने टैरिफ बढ़ाने का फैसला बन रहा घातक टैरिफ ट्रम्प के इकोनॉमिक प्लान्स का हिस्सा था। उनका कहना था कि टैरिफ से अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार बढ़ेगा। टैक्स रेवेन्यू बढ़ेगा और इकोनॉमी बढ़ेगी। 2024 में अमेरिका में आयात का 40 प्रतिशत से अधिक हिस्सा चीन, मैक्सिको और कनाडा से आए सामानों का था। कम टैरिफ से अमेरिका को व्यापार घाटा हो रहा है। 2023 में अमेरिका को चीन से 30.2 प्रतिशत, मेक्सिको से 19 प्रतिशत और कनाडा से 14.5 प्रतिशत व्यापार घाटा हुआ। कुल मिलाकर ये तीनों देश 2023 में अमेरिका के 670 अरब डॉलर यानी करीब 40 लाख करोड़ रुपए के व्यापार घाटे के लिए जिम्मेदार हैं। ट्रम्प सरकार इसी घाटे को कम करना चाहती थी। इसलिए 4 मार्च 2025 से मेक्सिको और कनाडा पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया। चीन पर भी अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लागू किया गया। कम टैरिफ से अमेरिका को कैसे घाटा हो रहा था, इसे एक उदाहरण से समझते हैं। हार्ले-डेविडसन समेत यूएस मेड मोटरसाइकिलों पर भारत में 100 प्रतिशत टैरिफ है, लेकिन भारत से अमेरिका में एक्सपोर्ट होने वाली गाडिय़ों पर इसके मुकाबले काफी कम टैरिफ है। बिग ब्यूटीफुल बिल के खिलाफ थे मस्क इलॉन मस्क ने ट्रम्प प्रशासन छोड़ दिया है। मस्क ने कहा कि स्पेशल गवर्नमेंट एंप्लायी के तौर पर मेरा समय पूरा हुआ। उन्होंने इस जिम्मेदारी के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को धन्यवाद भी दिया। ट्रम्प ने मस्क को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी का जिम्मा दिया था। जिसका काम सरकार की फिजूलखर्ची कम करना था। जानकारी के मुताबिक ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनने के बाद डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी प्रमुख के तौर पर मस्क की नियुक्ति 30 मई तक के लिए ही की थी। यानी जब मस्क ने इस्तीफा दिया, उसके एक दिन बाद ही उनका कार्यकाल खत्म हो रहा था। मस्क के इस्तीफे की स्पष्ट वजह सामने नहीं आई है, लेकिन वे उस बिल का विरोध कर रहे थे जिसे ट्रम्प ने बिग ब्यूटीफुल बताया था। मस्क ने कहा था कि डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी का मकसद खर्चों में कटौती करना है और यह बिल उसके खिलाफ है। बिग ब्यूटीफुल बिल से मस्क इसलिए नाराज थे कि इनकम टैक्स और एस्टेट टैक्स में 2017 में की गई कटौती को स्थायी बनाना, टैक्स कटौती को बढ़ाने का भी प्रस्ताव था। ओवरटाइम और सोशल सिक्योरिटी इनकम पर टैक्स कटौती का प्रस्ताव था। व्हाइट हाउस का कहना है कि सालाना 30 से 80 हजार डॉलर की कमाई वालों को अगले साल 15 प्रतिशत कम टैक्स देना होगा। अवैध इमिग्रेशन रोकने के लिए बॉर्डर सिक्योरिटी और अमेरिकी सेना को मजबूत करने पर ज्यादा खर्च करना। सरकार में फिजूलखर्ची, धोखाधड़ी और दुरुपयोग रोकने के लिए कड़े इंतजाम। डेब्ट सीलिंग यानी सरकार कितना कर्ज ले सकती है, उसकी सीमा बढ़ाना। ये सीमा समय-समय पर बढ़ानी पड़ती है ताकि सरकार अपने बिल और खर्चे चुका सके। विनोद उपाध्याय / 29 मई, 2025