वॉशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच तनातनी अब खुलकर सामने आ गई है। विदेशी छात्रों के नामांकन पर रोक से शुरू हुआ विवाद अब अदालती लड़ाई, फंडिंग फ्रीज़ और सिलेबस कंट्रोल जैसे गंभीर मोर्चों तक पहुंच चुका है। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड को 30 दिन का नोटिस देकर चेतावनी दी है कि अगर जवाब नहीं मिला, तो उसकी विदेशी छात्रों को पढ़ाने की पात्रता समाप्त कर दी जाएगी। ट्रंप प्रशासन ने 22 मई 2025 को हार्वर्ड यूनिवर्सिटी सर्टिफिकेशन रद्द करने की घोषणा कर दी थी। यह सर्टिफिकेशन अमेरिका में विदेशी छात्रों को पढ़ाने की अनुमति देता है। इसके बाद हार्वर्ड ने बोस्टन की एक संघीय अदालत में याचिका दाखिल कर दी। यूनिवर्सिटी का आरोप है कि ट्रंप प्रशासन ने यह कदम राजनीतिक दबाव में लिया, क्योंकि हार्वर्ड ने व्हाइट हाउस की कुछ नीतियों का विरोध किया था।हार्वर्ड केवल छात्रों का मामला नहीं लड़ रही, बल्कि संस्थागत स्वतंत्रता और शैक्षणिक स्वायत्तता की लड़ाई भी है। ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड के खिलाफ कई कदम उठाए हैं। 2।6 बिलियन डॉलर की फेडरल रिसर्च फंडिंग फ्रीज कर दी गई है। यूनिवर्सिटी के सभी बचे हुए सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मांग की जा रही है कि सरकार को सिलेबस और नीति निर्धारण में हस्तक्षेप का अधिकार मिले। हार्वर्ड के वकीलों ने अदालत में कहा कि सर्टिफिकेशन को बिना किसी उचित कारण और नोटिस के खत्म कर देना फेडरल नियमों का उल्लंघन है। नियमों के अनुसार, सरकार को पहले नोटिस देना होता है। उचित सुनवाई और सफाई का मौका देना होता है। उन्होंने इसे “संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ प्रतिशोधात्मक कार्रवाई” करार दिया है। हालांकि, बढ़ते दबाव को देखते हुए ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकता है। इसके बावजूद, डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने आधिकारिक नोटिस भेजा है और 30 दिनों में जवाब मांगा है। ट्रंप की मांग है कि हार्वर्ड में विदेशी छात्रों की संख्या 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। यूनिवर्सिटी को सभी विदेशी छात्रों की पूरी सूची सरकार को सौंपनी होगी। वीरेंद्र/ईएमएस/30मई2025