नई दिल्ली,(ईएमएस)। फेक न्यूज और गलत सूचनाएं बहुत कुछ प्रभावित कर देती हैं। इसका असर केवल मानवीय जीवन पर ही नहीं पड़ता, बल्कि युद्ध जैसी परिस्थित पर भी पड़ता है। पिछले माह ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकाने ध्वस्त करने में सेना के 15 मिनट सिर्फ गलत और फेक सूचनाओं का मुकाबला करने में बर्बाद हो गए। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लगभग 15 प्रतिशत समय फेक न्यूज और गलत सूचना का मुकाबला करने में चला गया। उन्होंने इस चार दिवसीय सैन्य संघर्ष को नॉन-कॉन्टैक्ट और मल्टी-डोमेन युद्ध करार दिया, जो भविष्य के युद्धों का संकेत देता है। एक इंटरव्यू में सीडीएस ने कहा, संकट के दौरान भारत ने पूर्ण संचालनात्मक स्पष्टता और स्वायत्तता बनाए रखी, चाहे वैश्विक भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य कुछ भी रहा हो। उन्होंने बताया कि भारत ने चीन के साथ 3,488 किमी लंबी एलएसी (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर कोई असामान्य गतिविधि नहीं देखी, हालांकि पाकिस्तान और चीन के बीच घनिष्ठ सैन्य संबंध हैं। आतंकवाद के खिलाफ नई रेड लाइन खींची सीडीएस चौहान ने कहा कि भारत ने अब आतंकवाद और प्रॉक्सी वॉर के खिलाफ एक नई रेडलाइन तय कर दी है और उम्मीद जताई कि पाकिस्तान इससे सबक सीखेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर भविष्य में पाकिस्तान से जुड़ा कोई भी आतंकी हमला हुआ तो भारत की प्रतिक्रिया सटीक और निर्णायक होगी। उन्होंने बताया कि फेक न्यूज़ और गलत प्रचार के खिलाफ लड़ाई में समय और ऊर्जा लगी। इसलिए उन्होंने इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर के लिए एक अलग वर्टिकल की आवश्यकता बताई। शुरुआत में दो महिला अफसरों को प्रवक्ता नियुक्त किया गया था, जबकि सीनियर सैन्य अधिकारी ऑपरेशन में व्यस्त थे। 10 मई के बाद तीनों सेनाओं के डीजीएमओ ने मीडिया को ब्रीफ किया। जनरल चौहान ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान साइबर हमले सीमित थे। हालांकि कुछ डिनायल-ऑफ-सर्विस अटैक हुए, लेकिन भारत के एयर-गैप्ड सैन्य सिस्टम पूरी तरह सुरक्षित रहे। आम जनता के प्लेटफॉर्म्स पर मामूली व्यवधान जरूर आया, लेकिन सैन्य संचालन में कोई प्रभाव नहीं पड़ा। पाकिस्तान को चीनी सपोर्ट के कोई सबूत नहीं जनरल चौहान ने यह भी कहा कि भले ही पाकिस्तान ने चीनी सैटेलाइट का इस्तेमाल किया हो, लेकिन रियल-टाइम टार्गेटिंग सपोर्ट दिए जाने का कोई सबूत नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान द्वारा हाल के वर्षों में खरीदे गए 80प्रतिशत हथियार चीन से आए हैं, जिससे ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स द्वारा रखरखाव सहायता की संभावना जरूर बनती है। इसके विपरीत, भारत ने आकाश मिसाइल सिस्टम जैसे घरेलू हथियारों पर भरोसा करते हुए विभिन्न स्वदेशी और विदेशी रडार सिस्टमों को एकीकृत रक्षा ढांचे में जोड़कर सफलता प्राप्त की। वीरेंद्र/ईएमएस/01जून2025