नई दिल्ली,(ईएमएस)। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से कांग्रेस और तमाम विपक्षी दल केंद्र की एनडीए सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस बार बार पूछ रही है कि भारत को क्या क्या नुकसान हुआ है। इस पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे। इसी बीच चीफ डिफेंस स्टाफ यानी सीडीएस अनिल चौहान का बयान आया कि सवाल ये नहीं है कि भारत के विमान कितने गिरे, सवाल ये है कि आखिर गिरे क्यों है। इस बयान के बाद कांग्रेस ने एक बार फिर सत्र बुलाकर एक एक सवाल का जवाब देने की मांग की है। कांग्रेस ने सीडीएस चौहान के एक बयान का हवाला देते हुए सरकार पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि कई अहम सवालों का जवाब देने के लिए सरकार को तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। पार्टी कहा कि सरकार को इस बारे में सच बताना चाहिए कि क्या नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने यह भी कहा कि कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा देश की मौजूदा रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा कराई जानी चाहिए। जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान के साथ हालिया सैन्य टकराव में विमान के नुकसान की बात स्वीकार की थी, लेकिन राफेल छह भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराने के इस्लामाबाद के दावे को एकदम गलत बताया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट किया, सिंगापुर में एक इंटरव्यू में सीडीएस द्वारा की गई टिप्पणियों के मद्देनजर, कुछ बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न हैं जिन्हें पूछे जाने की आवश्यकता है। ये तभी पूछे जा सकते हैं जब संसद का विशेष सत्र तत्काल बुलाया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने देश को गुमराह किया है। खरगे ने कहा, हमारी वायुसेना के पायलट दुश्मन से लड़ते हुए अपनी जान जोखिम में डाल रहे थे। हमें कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन हमारे पायलट सुरक्षित हैं...हम उनके दृढ़ साहस और बहादुरी को सलाम करते हैं। हालांकि, एक व्यापक रणनीतिक समीक्षा समय की मांग है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी कारगिल समीक्षा समिति की तर्ज पर एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति द्वारा हमारी रक्षा तैयारियों की व्यापक समीक्षा की मांग करती है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, 29 जुलाई 1999 को, वाजपेयी सरकार ने भारत के रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ के. सुब्रमण्यम, जिनके पुत्र अब हमारे विदेश मंत्री हैं, की अध्यक्षता में कारगिल समीक्षा समिति का गठन किया था। यह कारगिल युद्ध समाप्त होने के ठीक तीन दिन बाद की बात है। उन्होंने कहा कि इस समिति ने पांच महीने बाद अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और फ़्रॉम सरप्राइज़ टू रेकनिंग शीर्षक वाली रिपोर्ट को आवश्यक संशोधनों के बाद 23 फरवरी, 2000 को संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया। वीरेंद्र/ईएमएस/01जून2025